देश में ताबड़तोड़ भूकंप: बार-बार क्यों थरथरा रही धरती, जानें वजह...
करीब 4 करोड़ वर्ष पहले भारतीय-यूरोपियन प्लेटों की टकराहट से हिमालय पर्वत श्रृंखला का निर्माण हुआ। बहुत गंभीर तीव्रता क्षेत्र में भारत का उत्तर-पूर्व आता है।
नीलमणि लाल
नई दिल्ली। भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में बार बार भूकंप आ रहे हैं। दरअसल, भारत का एक बड़ा क्षेत्र अधिकतम तीव्रता और व्यापक प्रबलता वाले भूकंपों की आशंका वाले क्षेत्रों के दायरे में आता है। भारत में भूकंप, भारतीय प्लेट और यूरेशियन प्लेट के मध्य होने वाली टकराहट के कारण उत्पन्न होते हैं। भारतीय प्लेट की उत्तरी, पूर्वी और पश्चिमी सीमा पर सर्वाधिक तीव्रता वाले भूकंप आते हैं। करीब चार करोड़ वर्ष पहले भारतीय और यूरोपियन प्लेटों की टकराहट के परिणामस्वरूप हिमालय पर्वत श्रृंखला का निर्माण हुआ था। बहुत गंभीर तीव्रता क्षेत्र या ज़ोन 5 (उच्चतम जोखिम वाले भूकंपीय क्षेत्र) में भारत का पूरा उत्तर-पूर्व आता है। इस सूची में गुवाहाटी, जोरहाट, तेजपुर आदि शामिल हैं।
विनाशकारी भूकंप का अंदेशा
अर्थक्वेक ट्रैक एजेंसी के मुताबिक, हिमालयन बेल्ट की फॉल्ट लाइन के कारण एशियाई इलाके में ज्यादा भूकंप आ रहे हैं। इसी बेल्ट में हिंदुकुश रीजन भी आता है। हिमालय कुछ सेंटीमीटर के हिसाब से उत्तर में खिसक रहा है। भारत सरकार की मदद से अमेरिकी वैज्ञानिकों ने हिमालयन फॉल्ट लाइन पर एक स्टडी की थी। इस स्टडी के मुताबिक, हिमालय 700 साल पुरानी फॉल्ट लाइन पर मौजूद है। यह फॉल्ट लाइन ऐसी जगह पर पहुंच चुकी है, जिसकी वजह से कभी भी वहां ऐसा बड़ा भूकंप आ सकता है, जो पिछले 500 साल में नहीं देखा गया हो।
भूकंप का का लम्बा इतिहास
- 26 जनवरी, 2001 को जब राष्ट्रपति महोदय, देश की राजधानी में गणतंत्र दिवस की 51वीं वर्षगांठ पर सलामी ले रहे थे तब गुजरात में सुबह 8 बजकर 46 मिनट और 41 सेकंड पर भूकंप का तेज झटका आया, जिसका केंद्र भूतल में 23.6 किलोमीटर गहराई पर स्थित था। रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 6.9 थी लेकिन अमेरिका के भूगर्भ सर्वेक्षण विभाग ने इसे 7.8 बताया था।
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भूकंप आने के बाद भी दस घंटों के भीतर कम से कम 83 झटके और आए थे। पाकिस्तान की सीमा के पास आए इस भूकंप ने नई दिल्ली की इमारतों को भी हिला दिया था। इस भूकंप को नेपाल और बांग्लादेश में भी महसूस किया गया था। कुछ विशेषज्ञों ने इस भूकंप की तुलना 60 मेगा टन क्षमता वाले हाइड्रोजन बम के विस्फोट से की थी।
- 15 अगस्त, 1950 को उत्तरी असम में आए 8.5 परिमाण वाले भूकंप में करीब 11538 लोगों की जान गई थी। सन् 1897 में शिलांग के पठार में आए एक अन्य भूकंप का परिमाण 8.7 था। ये दोनों भूकंप इतने प्रबल थे कि इनसे भूमि के उभार में स्थाई तौर पर परिवर्तन हो गया और पत्थर ऊपर की ओर उठ गए थे।
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- सन् 1819 में कच्छ के रण में आया भूकंप विश्व के बड़े अंतरप्लेट भूकंपों में से एक था।
- 30 सितंबर, 1993 को लातुर (किलारी) में आया भूकंप विश्व के स्थायी महाद्वीपीय क्षेत्र में आए प्रमुख विनाशकारी भूकंपों में से एक था।
क्यों आता है भूकंप?
- पृथ्वी के अंदर सात प्लेट्स हैं, जो लगातार घूम रही हैं। जहां ये प्लेट्स ज्यादा टकराती हैं, वह जोन फॉल्ट लाइन कहलाता है।
- बार-बार टकराने से प्लेट्स के कोने मुड़ते हैं। जब ज्यादा दबाव बनता है तो प्लेट्स टूटने लगती हैं।
- नीचे की एनर्जी बाहर आने का रास्ता खोजती है। डिस्टर्बेंस के बाद भूकंप आता है।
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