सिल्वर गर्ल सुधा का रायबरेली में शानदार स्वागत, जानिए अभीतक का सफर

Update: 2018-09-13 10:55 GMT

रायबरेली : जकार्ता में हुए एशियन गेम्स की स्टेपलचेज प्रतियोगिता में सिल्वर मेडल जीतने वाली एथलीट सुधा सिंह के रायबरेली आगमन पर जश्न का माहौल है। एक बार फिर से सुधा ने जनपद का नाम रोशन किया है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट करके सुधा को मेडल जीतने की बधाई दी थी और उनकी टाइमिंग 9 मिनट 40 सेकंड व 03 को शेयर भी किया, इसके पूर्व जुलाई 2016 में भी नरेंद्र मोदी ने सुधा को मिलकर शुभकामनाएं दी थी। सांसद सोनिया गांधी ने भी गेम से पहले बधाई दी थी।

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एशियन गेम्स में रजत पदक जीतने के बाद सुधा के घर वाले बहुुुत खुश हैं। उनके पिता हरि नारायण सिंह का कहना है कि उन्हें पदक जीतने की पूरी उम्मीद थी। सुधा ने जनपद ही नहीं पूरे देश का नाम रोशन किया है।

सुधा सिंह का परिवार एक साधारण परिवार है। इनका परिवार मूलतः ग्राम पोस्ट भिमी का अमेठी का रहने वाला है। इनके पिता कि नौकरी 20 वर्ष पूर्व रायबरेली जिले के आई.टी.आई में लग गई थी। जिसके बाद इनके पिता पूरे परिवार के साथ रायबरेली के शिवाजी नगर कालोनी में रहने लगे। सुधा अपने पिता हरिनारायण सिंह, माता शिवकुमारी सिंह व अपने दो भाइयों धीरेन्द्र सिंह व प्रवेश नारायण सिंह के साथ रहती है। सुधा ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा राजकीय बालिका इंटर कालेज में पूरी की। सुधा का मन बचपन से ही खेल कूद में लगता था। जिसके चलते स्कूल में होने वाली खेल प्रतियोगिता में हमेशा हिस्सा लेकर प्रथम, द्वितीय स्थान प्राप्त करती थी। जब सुधा एक अच्छी एथलीट के रूप में निकल कर आई तो इनका दाखिला परिवार ने लखनऊ खेल हॉस्टल में करा दिया। जहां सुधा के कोच ने बेहतरीन कोचिंग दी और कोचिंग के दौरान सुधा ने प्रदेश स्तरीय होने वाली एथलेटिक्स स्टीपल चेज में हिस्सा लिया और अपनी मेहनत और सफलता के दम पर बहुत सी उपलब्धियों को प्राप्त करती गई।

सुधा सिंह ने हाई स्कूल की परीक्षा 2005 व इंटर की परीक्षा 2007 में अच्छे अंको से पास की। एक ओर पढाई में अच्छे नंबर तो दूसरी तरफ अपने खेल में आसमान चूमती सुधा सिंह को आखिरकार बाम्बे बी.टी.स्टेशन पर रेलवे विभाग में टी.आई की नौकरी 2008 में मिल गई। जिससे सुधा सिंह के घर वालो ने सुधा की शादी के लिए एक लड़का भी तलाश लिया। जिसका नाम जीतेन्द्र सिंह है। जो आर्मी में नौकरी करते है और आर्मी हैदरबाद बटालियन की ओर से वह एथलेटिक्स के चैम्पियन है।

सुधा का ससुराल रायबरेली के बरस गांव में है। जहां परिवार के सभी लोग रहते हैं। यहीं से सुधा की शादी हो जाने के बाद भी ससुराल की सहमति से ही अपने सपनों को साकार कर लिया।

सुधा सिंह की उपलब्धियां

14.11.2010 चीन में सिल्वर मेडल

49 वे नेशनल इंटर स्टेट एथलेटिक्स चैम्पियनशिप चेन्नई में 2009 में प्रदेश के लिए गोल्ड मेडल

15 वे नेशनल फेडरेशन कप सीनियर एथलेटिक्स चैम्पियनशिप 2010 रांची में नेशनल रिकार्ड गोल्ड मेडल

50 वे नेशनल इंटर स्टेट एथलेटिक्स चैम्पियनशिप 2010 पटियाला में सिल्वर मेडल

2007 में यूपी की तरफ से 33 वे नेशनल गेम्स (गोवाहाटी ) 9 से 18 फरवरी में 3000 मीटर स्टेपल चेज में गोल्ड मेडल जीता

2005 एशियन क्रास कंट्री चैम्पियनशिप चीन में भारत की तरफ से प्रतिनिधित्व

2010 में कामनवेल्थ में हिस्सा लिया

एशियन एथलेटिक्स चैम्पियनशिप 2010 में चीन के गुवान्झुओ शहर में 3000 मीटर स्टेपल चेज में भारत के लिए गोल्ड मेडल जीता

2014 के एशियन गेम्स में कांस्य पदक

2015 रियो ओलंपिक में चयन

2016 आईएएएफ डायमण्ड लीग मीट में नेशनल रिकार्ड तोड़ा

एशियन एथलेटिक्स चैम्पियन शिप में 2010 में 3000 मीटर स्टीपलचेस में गोल्ड मेडल

रायबरेली पहुंच क्या बोली सुधा

सुधा सिंह का शहर की सीमा में प्रवेश होते ही जोरदार स्वागत किया गया। त्रिपुला चौराहे पर स्थित हनुमान मंदिर में मत्था टेकने के बाद पत्रकारों से वार्ता करने पर सुधा सिंह ने बताया कि कि मेरा संघर्ष कोई अकेले का संघर्ष नहीं रहा है। यह सब मेरे रायबरेली वासियों की शुभकामनाएं और पूजा पाठ का असर है जिससे मुझे यह मेडल मिला है। सुधा सिंह ने नए खिलाड़ियों को संदेश दिया कि पूरे मन से मेहनत करनी चाहिए। सुबह शाम मेहनत करते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि मैं कुछ भी कर सकता हूं। विशेषकर लड़कियों के लिए कहा, मन लगाकर मेहनत करने से कुछ भी हासिल किया जा सकता है।

सुधा सिंह के पिता हरिनारायण सिंह ने कहा कि अभिभावकों को अपनी संतान को आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। बच्चे आगे बढ़कर सफल होकर देश दुनिया मे नाम रोशन करते हैं।

सुधा की मां इस जीत से काफी गदगद हैं। उन्हें ख़ुशी है कि उनकी बेटी जीत का परचम लहराकर अब घर आ गई है। उन्होंने कहा कि देश की हर बेटी को देश का नाम रौशन करना चाहिए जैसे मेरी बेटी ने किया है।

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