केले बेच रहा कांस्य पदक विजेता, कोरोना ने कर दिया ये हाल
सच यही है कि कोरोना वायरस के चलते देश में आज करोड़ों लोगों की नौकरियां जा चुकी हैं। उद्योग, बिजनेस सब एक एक कर बंद हो रहे है। लॉकडाउन की मार जितनी गरीब मजदूरों पर पड़ी है। उतनी ही मध्यम वर्ग परिवारों पर भी। इस दौरान महंगाई भी लगातार बढ़ती जा रही है। हालात कठिन हैं
कोरोना महामारी एक ओर बेतहाशा तेजी से बढ़ते हुए जानों को लीलती जा रही है वहीं दूसरी ओर हमारी अर्थ व्यवस्था को दीमक की तरह चाट रही है इसके अलावा ये महामारी हमारे खेल जगत को भी बुरी तरह गिरफ्त में ले चुकी है।
कोविड के इस दौरान में खेल लगभग बंद हो चुके हैं। महीनों तक प्रशिक्षण की कोई संभावना भी नहीं है। इसका सर्वाधिक बुरा असर हमारे खिलाडि़यों पर पड़ रहा है। वास्तव में इनको संगठनात्मक समर्थन के बिना वंचित परिवारों से हैं।
कोरोना महामारी के चलते खेलों पर ब्रेक लगा हआ है। बड़े बड़े टूर्नामेंट स्थगित हो चुके हैं। इस संकट का खासतौर पर उभरते हुए खिलाड़ियों पर बहुत बुरा असर पड़ रहा है। खासकर जिनके परिवार की आर्थिक स्थिति खराब है।
ये है मजबूरी
इन्हीं हालात का सामना कर रहे अली अंसारी की एक स्टोरी सामने आई थी, जो एशियन यूथ मीट मे भारत का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। उनके पिता की नौकरी चली गई है और अब वह फैमिली का खर्च उठाने के लिए ठेला लगाने को मजबूर हैं।
एशियन यूथ एथलेटिक्स चैंपियनशिप के कांस्य पदक विजेता अली अंसारी अपने परिवार के सदस्यों का पेट भरने के लिए ठेले पर फल बेच रहे हैं।
दिल्ली के महिपालपुर के अली कहते हैं कि कोरोना के इस दौर में छोटे परिवारों के युवा खिलाड़ियों का अपने खेल को जारी रखना मुश्किल हो गया है। मेरा परिवार आर्थिक रूप से कमजोर है। लॉकडाउन ने हमारे जीवन को और अधिक कठिन बना दिया है।
वह कहते हैं कि मैं पिता की दुकान पर मदद करता हूं। यहां मुझे लोग केले वाला बुलाते हैं, काम कोई भी छोटा नहीं होता लेकिन हम क्या कर सकते हैं। परिवार की मदद करने के लिए कुछ न कुछ तो करना ही होगा। मेरे सपने बिखर रहे हैं।
इसे भी पढ़ें
खेलकूद मंत्री उपेंद्र तिवारी भी कोरोना संक्रमण की चपेट में
ये पहली बार नहीं हुआ है जब कोरोना संकट काल में किसी युवा खिलाड़ी के बारे में इस तरह की खबर सामने आई है। इससे पहले झारखंड में कई युवा एथलीटों के आर्थिक तंगी के के कारण सब्जी बेचने की खबरें आई थीं। वहां की राज्य सरकार ने इन एथलीटों को आर्थिक मदद देने के निर्देश भी दिए थे।
सच यही है कि कोरोना वायरस के चलते देश में आज करोड़ों लोगों की नौकरियां जा चुकी हैं। उद्योग, बिजनेस सब एक एक कर बंद हो रहे है। लॉकडाउन की मार जितनी गरीब मजदूरों पर पड़ी है। उतनी ही मध्यम वर्ग परिवारों पर भी। इस दौरान महंगाई भी लगातार बढ़ती जा रही है। हालात कठिन हैं।