Cricket Ball Manufacturing: जानें कैसे तैयार होती है क्रिकेट की गेंद, मैच में इस्तेमाल का क्या नियम
Cricket Ball Manufacturing: टेस्ट मैच में जहां व्हाइट बॉल का यूज होता है, वहीं टी20 और एकदिवसीय मैचों में रेड कलर की गेंद का इस्तेमाल होता है।
Cricket Ball Manufacturing: क्रिकेट का जन्म भले इंग्लैंड में हुआ हो लेकिन सबसे अधिक लोकप्रिय यह भारत में है। वर्तमान में क्रिकेट के तीन फॉर्मेट हैं, टेस्ट, वनडे और टी20। तीनों में अलग-अलग नियम हैं। टेस्ट मैच में जहां खिलाड़ी सफेद वर्दी में होते हैं, वहीं वनडे या टी20 में उनकी वर्दी रंगीन होती है। यही फर्क गेंद में भी होती है। टेस्ट मैच में जहां व्हाइट बॉल का यूज होता है, वहीं टी20 और एकदिवसीय मैचों में रेड कलर की गेंद का इस्तेमाल होता है।
पहली बार जब 1720 के आसपास में क्रिकेट खेला गया था तो उस दौरान कपड़े या ऊन के बनें गेंद का इस्तेमाल होता था। मगर अभी क्रिकेट में जिस गेंद का इस्तेमाल किया जाता है, वो लेदर की बनी होती है। इसका वजन लगभग 160 ग्राम होता है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, लेदर गेंद का पहली बार प्रयोग 1744 में हुआ। 1977 तक केवल लाल गेंद ही होती थी। लेकिन अब लाल गेंद से केवल टेस्ट मैच खेला जाता है। टी20 और वनडे सफेद गेंद से खेली जाती है।
कैसे तैयारी होती है क्रिकेट की गेंद ?
भारत में क्रिकेट की गेंद बनाने की फैक्ट्री यूपी के मेरठ और पंजाब के जालंधर में स्थित है। यहां पर बनने वाली गेंद बेहत उम्दा क्वालिटी की होती है और इसका इस्तेमाल अंतरराष्ट्रीय मुकाबलों में होता है। क्रिकेट की गेंद को बनाने में कॉर्क का इस्तेमाल किया जाता है। कॉर्क पर लेदर की परत चढ़ाई जाती है। लेदर को पहले सुखाया जाता है, उसके बाद साइज के मुताबिक उसके छोटे-छोटे टुकड़े किए जाते हैं। उसके बाद इसकी हाथों से सिलाई की जाती है।
बॉल पर चमक के लिए पॉलिश और स्टैम्प भी लगाया जाता है। बॉल की गुणवत्ता उसकी सिलाई पर ही निर्भर करती है। गेंद यदि 1400 पाउंड वजन झेल लेती है, तो यह सही होती है। अन्यथा गेंद को रिजेक्ट कर दिया जाता है। फैक्ट्री में गेंद किस प्रकार तैयार होती है, आप शुरू से अंत तक का पूरा प्रोसेस नीचे दिए गए वीडियो में पूरा देख सकते हैं।
मैच में गेंद के इस्तेमाल करने के क्या हैं नियम ?
टी20 और वनडे मैच में एक पारी के लिए एक गेंद दी जाती है। यानी एक मैच में दो गेंद का इस्तेमाल होता है। यदि कभी गेंदबाज गेंद की शेप को लेकर कोई शिकायत करता है तो उन्हें दूसरी गेंद दी जाती है लेकिन ये नहीं गेंद नहीं होती। इसे ऐसे समझते हैं, अगर 15वें ओवर में बॉलर की ओर से अंपायर से गेंद बदलने की रिक्वेस्ट की गई तो उस समय नई गेंद नहीं दी जाएगी, बल्कि पहले किसी मैच में करीब 15 ओवर तक इस्तेमाल हुई गेंद को यूज किया जाएगा। अंपायर द्वारा सहमति प्रदान करने के बाद ही दूसरी गेंद खिलाड़ी को दी जाती है।
क्या पड़ती है एक गेंद की कीमत ?
इंटरनेशनल मैच में यूज होने वाली गेंद की कीमत काफी ज्यादा होती है। वनडे और टी20 मैचों में आमतौर पर इस्तेमाल होने वाली कूकाबुरा की टर्फ व्हाइट बॉल की कीमत करीब 15 हजार रूपये है। ये कंपनी के हिसाब से बदलती भी है। कुछ कंपनियों की एक गेंद की कीमत 20 हजार रूपये तक पड़ती है।