ICC World Cup 2023: 2011 विश्व कप में खेले गए ग्राउंड में अब मैच क्यों नहीं, BCCI की आलोचना किसलिए हो रही ?
ICC ODI World Cup 2023: ICC विश्व कप 2023 के लिए पूरे मिलाकर 10 स्टेडियम का चयन 48 मैच के लिए किया गया है। जिसमें भारत में मौजूद कई अन्य इंटरनेशनल स्टेडियम साफ तौर पर छूट रहे है। जिस कारण बीसीसीआई की आलोचना भी की जा रही है।
ICC ODI World Cup 2023: इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल (आईसीसी) ने मंगलवार को 2023 मेंस वनडे क्रिकेट विश्व कप के लिए बेसब्री इंतजार किए जाने वाले शेड्यूल की घोषणा कर दी है। टूर्नामेंट शुरू होने में पूरे 100 दिन बाकी हैं। टूर्नामेंट का उद्घाटन अहमदाबाद के नरेंद्र मोदी स्टेडियम से 5 अक्टूबर के खेल से शुरू की जायेगा और 19 नवंबर को अंतिम मैच का भी मेजबानी यही विश्व का सबसे बड़ा स्टेडियम करेगा। इसके अतिरिक्त मुंबई का वानखेड़े और कोलकाता का ईडन गार्डन 15 और 16 नवंबर को होने वाला सेमीफाइनल मैच की मेजबानी करेगा।
Also Read
केवल 10 स्टेडियम का चयन कई बड़े स्टेडियम लिस्ट से बाहर
भारत को इस वर्ष ऐतिहासिक वर्ल्ड कप आयोजन करने का अवसर मिला है। अबकी वर्ल्ड कप का पूरा मैच भारत में ही खेला जाएगा। जिसके लिए 48 मैच के लिए 10 शहर चयनित किए गए है। अहमदाबाद, मुंबई, कोलकाता, दिल्ली, बेंगलुरु, चेन्नई, धर्मशाला, हैदराबाद, लखनऊ और पुणे के स्टेडियम को लिया गया है।
ज्यादातर मेट्रो वाले शहरों को ही वर्ड कप की मेजबानी का मौका दिया जाता है। हालांकि साथ ही मैच शेड्यूल करने का स्टेडियम सेलेक्ट करने का भी क्राइटेरिया फिक्स है। आईसीसी के ऑर्गेनाइज करने के बावजूद भारत का आंतरिक क्रिकेट बोर्ड यानी बीसीसीआई के सुझावों को भी महत्त्वता दी जाती है।आईसीसी मेंस वनडे क्रिकेट वर्ल्ड कप के लिए बड़े महानगरों को शामिल किया गया है लेकिन वर्ल्ड कप के शेड्यूल वेन्यू में 10 ही स्थानों को लिया गया है जिस कारण कई बड़े स्थान छूट गए है जैसे - मोहाली, इंदौर, राजकोट, रांची और नागपुर।
बड़े स्टेडियम छूटने से अधिकारी नाराज
वर्ल्ड कप में जिन स्थानों को जगह दिया गया है बेशक वह बड़े स्थान है।लेकिन 48 मेचों के लिए केवल 10 स्टेडियम को सेलेक्ट करने से कुछ प्रमुख शहर लिस्ट से पुरी तरह से छूट गए हैं जहां पूर्व में कई इंटरनेशनल मैच का आयोजन किया गया है। जैसे - मोहाली, इंदौर, राजकोट, रांची और नागपुर जिससे इन स्थानों के अधिकारियों को बीसीसीआई से निराशा मिली है।
इंदौर का होलकर स्टेडियम
इंदौर का होल्कर स्टेडियम हर फॉर्मेट के मैच के लिए बहते विकल्प है। यह स्टेडियम बीते कई वर्षों से कई एतिहासिक अंतरराष्ट्रीय खेलों की मेजबानी करता रहा है। फिलहाल में, होलकर स्टेडियम में बॉर्डर-गावस्कर टेस्ट सीरीज में एक टेस्ट मैच का आयोजन किया गया था। फिर भी यह स्टेडियम विश्व कप के वेन्यू लिस्ट में शामिल न हो सका। जिससे मध्य प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन(Madhya Pradesh Cricket Association) के अध्यक्ष अभिलाष खांडेकर की निराशा बीसीसीआई को लेकर जाहिर हुई है।
खांडेकर ने मीडिया से बात चीत कर बताया कि,"इंदौर ने 1987 में ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के बीच हुए विश्व कप मैच की मेजबानी कर सफल आयोजन किया था। हमें बुरा लगा है कि इंदौर को वर्ल्ड कप से बाहर रखा गया है। मैं बीसीसीआई की मजबूरियों को नहीं जानता। इंदौर में हमेशा से क्रिकेट का एक समृद्ध इतिहास रहा है और इसलिए हमें इसकी उम्मीद थी विश्व कप का एक मैच तो इस स्थान पर खेला जाएगा।"
पंजाब के मोहाली का स्टेडियम
पंजाब के मोहाली का स्टेडियम जहां 2011 सीरीज में भारत और पाकिस्तान के बीच ब्लॉकबस्टर सेमीफाइनल मैच का आयोजन किया गया था। साथ ही में 1996 से विश्व कप मैचों की मेजबानी भी करता आया है। फिर भी इस वर्ष इस ग्राउंड को भी वर्ल्ड कप में शामिल नहीं किया गया है। जिसपर पंजाब क्रिकेट एसोसिएशन के एक अधिकारी ने बीसीसीआई के खिलाफ अपनी निराशा जताई है।
पंजाब क्रिकेट एसोसिएशन के एक अधिकारी ने कहा कि, "ऐसा लगता है कि केवल महानगरों और शहरों, जहां से पदाधिकारी हैं, उन्हीं को ही मैच का आयोजन करने का भी मौका मिला हैं। हमने इसके लिए बहुत कोशिश की, लेकिन एक भी मैच नहीं मिल सका। एक प्रैक्टिस मैच भी नहीं मिलना काफी निराशाजनक है।" पंजाब के खेल मंत्री गुरुमीत सिंह मीत हेयर का मानना है कि मोहाली को टूर्नामेंट से बाहर रखना एक बड़ा राजनीतिक फैसला था। खेल मंत्री का कहना है कि "यह गौरव की बात है कि विश्व कप भारत में आयोजित हो रहा है, लेकिन यह दुखद है कि जिस क्रिकेट स्टेडियम ने भारतीय क्रिकेट को एक से बढ़कर एक सुपरस्टार प्लेयर दिए हैं। जो स्टेडियम देश के टॉप पांच प्लेस में से एक हुआ करता था, उसे 2023 में एक भी मैच नहीं दिया गया है। दूसरी ओर, अहमदाबाद का नरेंद्र मोदी स्टेडियम शुरुआती मैच के साथ फाइनल और भारत और पाकिस्तान के बीच होने वाले बड़े मैच की भी मेजबानी कर रहा है। पंजाब के पड़ोसी, धर्मशाला को भी पांच मैच दिया गया। लेकिन पंजाब को एक भी मैच नहीं मिला है। इससे यह साफ होता है कि इसमें भी राजनीति खेली जा रही है।”