जिम्बाब्वे क्रिकेट का 'सिकंदर' बन गया पाकिस्तान में जन्मा ये खिलाड़ी, कभी देखा था पायलट बनने का सपना
IND vs ZIM ODI Series: दुनिया की सबसे मजबूत टीमों में से एक भारतीय टीम के खिलाफ सिकंदर रजा की यह पारी कई सालों तक याद की जाएगी। भले ही सिकंदर रजा अपनी टीम को जीत नहीं दिला पाए, लेकिन उनकी इस बहादुरी भरी पारी के क्रिकेट फैंस कायल हो गए।
IND vs ZIM ODI Series: भारत ने जिम्बाब्वे को तीसरे मुकाबले में हरकार वनडे सीरीज 3-0 से अपने नाम की। पहले दोनों मैचों में टीम इंडिया को आसानी से जीत मिल गई। लेकिन तीसरे मैच में टीम इंडिया के खिलाड़ियों को जीत के लिए काफी पसीना बहाना पड़ा। ये तो शुभमन गिल ने सिकंदर राजा का कैच पकड़ लिया, वरना मैच का परिणाम कुछ और हो सकता था। सिकंदर रज़ा ने एक बार फिर अपनी काबिलियत दुनिया को दिखाई। 36 वर्षीय यह ऑलराउंडर इस समय जिम्बाब्वे का सबसे बड़ा खिलाड़ी बनकर उभरा है। पिछले कुछ मैचों के आंकड़ों पर नज़र डालने पर इसका पता भी चलता है।
सिकंदर रजा का तूफानी शतक:
दुनिया की सबसे मजबूत टीमों में से एक भारतीय टीम के खिलाफ सिकंदर रजा की यह पारी कई सालों तक याद की जाएगी। भले ही सिकंदर रजा अपनी टीम को जीत नहीं दिला पाए, लेकिन उनकी इस बहादुरी भरी पारी के क्रिकेट फैंस कायल हो गए। सिकंदर रजा ने 95 गेंद में 115 की ताबड़तोड़ पारी से भारतीय गेंदबाज़ों के होश ठिकाने लगा दिए। उन्होंने अपनी पारी में 9 चौके और तीन छक्के जड़कर क्रिकेट फैंस का दिन बना दिया। सोशल मीडिया पर इसके बाद सिकंदर रजा की इस पारी की पूरी दुनियाभर में चर्चा होने लगी।
पिछले 6 पारियों में तीसरा शतक:
सिकंदर रजा इस समय बेहतरीन फॉर्म में चल रहे हैं। उन्होंने अपनी पिछली 6 पारियों में तीन शतक जड़े हैं। इसमें खास बात है कि ये तीनों शतक उन्होंने चेज करते समय लगाए हैं। भारत के अलावा इससे पहले वाली सीरीज में बांग्लादेश के खिलाफ उन्होंने लगातार दो मैचों में शतक लगाकार अपनी टीम को जीत दिलाई थी। लेकिन भारत के खिलाफ वो जीत दिलाने से चूक गए। टीम इंडिया के खिलाफ इस बड़े टारगेट का पीछा करते हुए जब जिम्बाब्वे का टॉप ऑर्डर लड़खड़ा गया तब सिकंदर रजा ने यह आतिशी पारी खेलकर सभी का दिल जीत लिया।
पायलट बनने का था सपना:
बता दें सिकंदर रजा का जन्म पाकिस्तान के सियालकोट में 1986 को हुआ था। बचपन में उन्होंने पायलट बनने का सपना देखा था। इसके लिए स्कूल में एडमिशन भी लिया। लेकिन वो पायलट बनने के एंट्रेंस एग्जाम में फेल हो गए। उसके बाद वो परिवार के साथ 2002 में जिम्बाब्वे आकर बस गए। यहाँ उन्होंने सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। लेकिन इसके बाद 2007 में उन्होंने आधिकारिक रूप से क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया था। उसके बाद जिम्बाब्वे की टीम से जुड़ गए। अब लगातार अपने प्रदर्शन से सुर्खियां बटोर रहे हैं।