नई दिल्ली: खेलों में उलटफेर एक बार होता है, लेकिन जो बार-बार होता है उसे काबिलियत कहते हैं। पूजा ढांडा इस समय प्रो रेसलिंग लीग (पीडब्ल्यूएल) के तीसरे सीजन के साथ-साथ पूरी दुनिया में अपनी काबिलियत की वजह से चर्चा का विषय बनी हुई हैं। जब पूजा ने ओलम्पिक और विश्व विजेता हेलेन मारोलिस को हराया था तब सबने उसे एक बड़ा उलटफेर माना था, लेकिन अब उन्होंने विश्व चैम्पियनशिप में रजत पदक जीतने वाली ओडुनायो को हराकर अपनी ताकत का परिचय एकबार फिर दिया है।
पंजाब रॉयल्स की ओर से खेल रहीं पूजा ने मुम्बई महारथी की ओडुनायो को चित-पट के आधार पर हराकर एक हफ्ते में दूसरा बड़ा उलटफेर किया। इन दोनों दिग्गजों के खिलाफ पूजा एक खास रणनीति के साथ खेलती नजर आईं। हेलेन के खिलाफ पूजा मुकाबले में पिछड़ रही थीं, लेकिन आखिरी लम्हों में उन्होंने बाजी पलट दी। यही पूजा ने ओडुनायो के खिलाफ भी किया और सवा चार मिनट के खेल में पिछडऩे के बाद नाइजीरियन रेसलर को चित कर दिया। ओडुनायो पर पूजा की यह जीत बेहद खास है और वो इसकी वजह अपनी तैयारियों को बताती हैं। मैच के बाद जब पूजा से उनकी इस जीत की असल वजह पूछी गई तब उन्होंने कहा कि उन्हें पता है क्या करना है। उन्होंने कहा, मैंने तैयारी अपने हिसाब से की थी। मुझे ओडुनायो को थकाना था और फिर जोर लगाना था। पूजा ने हरियाणा की ओलम्पिक और विश्व चैम्पियन हेलेन मारोलिस को हराकर एक बड़ी जीत हासिल की थी। इस जीत ने भारतीय महिला कुश्ती के नाम एक सुनहरा अध्याय जोड़ दिया था।
पूजा की उस जीत को भारतीय महिला कुश्ती के अध्याय में सबसे बड़ी जीत के रूप में देखा जाने लगा। उन्होंने अब तक खेले अपने पांच मुकाबलों में से तीन जीते हैं जबकि महज एक में उन्हें हार का सामना करना पड़ा है और एक मैच में उन्हें ब्लॉक किया गया था। उन्होंने हरियाणा हैमर्स की आइकॉन स्टार हेलेन मारोलिस और मुम्बई की ओडुनायो को हराने के अलावा दिल्ली सुल्तान की संगीता फोगट को भी हराया है। वहीं उन्हें अब तक लीग में वीर मराठा की मारवा आमरी के खिलाफ ही शिकस्त झेलनी पड़ी है। पूजा ने अपने स्पोट्र्स कॅरियर की शुरुआत एक जूडो खिलाड़ी के रूप में की थी। 2010 के यूथ ओलम्पिक के रेसलिंग इवेंट में सिल्वर मेडल जीतने वाली पूजा 2009 में एक जूडो खिलाड़ी के तौर पर यूथ एशियन चैम्पियनशिप में एक गोल्ड सहित तीन अंतरराष्ट्रीय पदक जीत चुकी थीं।
हालांकि इसके बाद पूर्व रेसलर और कोच कृपाशंकर विश्नोई ने पूजा को रेसलिंग में आने की सलाह दी। कृपाशंकर ने कहा कि पूजा की बॉडी शेप को ध्यान में रखकर मैंने उसके माता-पिता को जूडो से हटाकर कुश्ती में लाने की सलाह दी थी। पूजा अपनी सफलता के पीछे अपने पिता को सारा श्रेय देती हैं। वो कहती हैं अगर मेरे पापा ना होते तो आज मैं यहां ना होती। मेरे पापा ने मुझे पूरा सपोर्ट किया। आज भी मैं जहां भी जाती हूं वो मेरे साथ होते हैं। कैम्प में मेरे से ज्यादा मेरे पापा सबको दिख जाते हैं। पूजा ने अपने कॅरियर की शुरुआत सुभाष चंद्र सोनी की कोचिंग में की जिन्होंने उनकी फुट मुवमेंट पर बहुत काम किया।
24 साल की पूजा का जन्म हिसार के एक छोटे से गांव गुडाना में हुआ था। परिवार में माता-पिता के अलावा भैया और भाभी हैं। उन्होंने कई महीनों तक रिहैबिटेशन में भाग लिया। जुलाई 2015 में उन्हें अपने घुटने की सर्जरी करानी पड़ी थी। ये सिलसिला पिछले साल के आखिर तक चला। यूं तो पूजा ढांडा का नाम कई सफलताएं हैं लेकिन हाल ही में हुए कॉमनवेल्थ गेम्स 2018 के ट्रायल में उन्होंने स्टार रेसलर गीता फोगट को हराकर खासी सुर्खियां बटोरी थीं। 2017 की राष्ट्रीय चैम्पियनशिप में पूजा स्वर्ण पदक जीतने से पहले 2013 में भी राष्ट्रीय चैम्पियन रही हैं। देश के सबसे सफल पहलवान और डबल ओलम्पिक पदकधारी सुशील कुमार और योगेश्वर दत्त को पूजा अपना रोल मॉडल मानती हैं। फिलहाल वो अपनी टीम पंजाब रॉयल्स के लिए एक खिताब जीतना चाहती हैं। पंजाब की टीम प्रो रेसलिंग लीग की मौजूदा चैम्पियन है।