फुटबाल लैंड़ पर लगेंगे चौके-छक्के, रणजी-2018 में दिखेगा पूर्वोत्तर का जलवा
पूर्वोत्तर के राज्यों को फुटबाल की फैक्ट्री कहा जाता है खुशखबरी यह है कि अब वहां क्रिकेट के चौके-छक्के भी लगेंगे। भौगोलिक दृष्टि से घाटियों वाला यह भू भाग अपनी प्राकृतिक सौन्दर्य के लिए पूरी दुनिया में फेमस है।
नई दिल्ली : पूर्वोत्तर के राज्यों को फुटबाल की फैक्ट्री कहा जाता है खुशखबरी यह है कि अब वहां क्रिकेट के चौके-छक्के भी लगेंगे। भौगोलिक दृष्टि से घाटियों वाला यह भू भाग अपनी प्राकृतिक सौन्दर्य के लिए पूरी दुनिया में फेमस है। पर्यटन प्रेमी यहां की हरी भरी वादियों में में आकर खो जाना चाहतें हैै। फुुटबाल यहां के हावओं बहता है। देश में क्रिकेट के प्रति दीवानगी का आलम है। ऐसे में अन्य खेलों के प्रति लोगों का रुझान कम ही रहता है। घरेलू क्रिकेट में कई स्तर की प्रतियोगिताएं होती है। जिनमें पूर्वोत्तर राज्यों का प्रतिनिधित्व न के बराबर है।
खेलों का बाजार बढ़ रहा है। पूर्वोत्तर राज्यों के खेल संघों की मांग लम्बे समय से चली आ रही थी कि उन्हे भी घरेलू क्रिकेट की प्रतिष्ठित प्रतियोगिता रणजी मे भाग लेने का अवसर मिलना चहिए। क्रिकेट की घरेलू प्रतियोगिताएं आजादी के पहले से ही खेली जाती रहीं है। फिर भी किन्ही कराणों से पूर्वोत्तर के 6 राज्यों को इनमें भाग लेने का अधिकार नहीं था।
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जिसको लेकर वहां के प्रतिनिधियों ने विनोद राय से मुलाकात की और प्रतिष्ठित प्रतियोगिता रणजी ट्रॉफी में खेलने अनुमति मांगी। सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त प्रशासको की समिति सीओए की तरफ से विनोद राय ने आश्वासन दिया कि अगले सीजन में यानी कि 2018 में पूर्वोत्तर की टीमों को खेलने दिया जाएगा। इसके साथ ही इसकी जिम्मेदारी बीसीसीआई महाप्रबंधक खेल विकास रत्नाकर शेट्टी को सौंपी।
मेघलाय, मणिपुर,मिजोरम, सिक्किम, नागालैंड, और अरुणाचल प्रदेश ये राज्य हैं जिन्हे रणजी में खेलने का मौका मिलेगा। पूर्वोत्तर राज्यों के संयोजक नबा भट्टाचार्या ने कहा इस सीजन में तो खेल आरंभ हो गया है अगले सीजन से हमारी टीमें मैदान में होंगी। इस समय रणजी में 28 टीमें खेलती है। पूर्वोत्तर राज्यों की भागीदारी के बाद ये संख्या 35 हो जाएगी। इस नये बदलाव के बाद देश को कुछ नयी क्रिकेट प्रतिभाएं जरुर मिलेंगी।