India Cricket Team : क्रिकेट टीम का उपकप्तान : घर का न घाट का
Team India Vice Captain: हार्दिक पांड्या टी20 विश्व कप फाइनल के गेम-चेंजर थे। माना जा रहा था कि वही टी20 टीम के अगले कप्तान या फिर कम से कम उपकप्तान बनाये जाएंगे। लेकिन हुआ उल्टा
Team India Vice Captain: हार्दिक पांड्या टी20 विश्व कप फाइनल के गेम-चेंजर थे। माना जा रहा था कि वही टी20 टीम के अगले कप्तान या फिर कम से कम उपकप्तान बनाये जाएंगे। लेकिन हुआ उल्टा। उन्हें नए कमांडर सूर्यकुमार यादव की यूनिट में बिना पावर का एक पैदल सैनिक का ही दर्जा मिला। दूसरी ओर, शुभमन गिल जो कभी एक रिजर्व खिलाड़ी थे, उन्हें उप-कप्तान बना दिया गया। उनकी उपकप्तानी भी कोई खुशी की बात नहीं क्योंकि उपकप्तान कब 12वां खिलाड़ी बना दिया जाए कोई नहीं जानता। सेलेक्शन का ये एक अनसुलझा रहस्य है
क्रिकेट प्रेमी इसे इसे गिल का प्रमोशनऔर हार्दिक के डिमोशन के रूप में देख रहे हैं। लेकिन मामला कुछ और ही है। भारतीय ड्रेसिंग रूम की पॉलिटिक्स से परिचित लोग ऐसा ही कहते हैं। कागजों पर किसी कप्तान का डिप्टी टीम का नंबर 2 खिलाड़ी और कप्तान का उत्तराधिकारी होता है लेकिन जानकर कहते हैं कि यह एक गलत धारणा है क्योंकि उप-कप्तानी में कप्तानी की गारंटी नहीं होती है। बल्कि ये सांप सीढ़ी के गेम की तरह है। कब धड़ाम हो गए, पता ही नहीं चलता है।
गुजरे दौर फम
जरा कुछ खिलाड़ियों पर नजर डालें। वीरेंद्र सहवाग, युवराज सिंह, केएल राहुल, ऋषभ पंत, अजिंक्य रहाणे, जसप्रीत बुमराह और यहाँ तक कि हार्दिक पांड्या टॉप पर अपनी जगह पक्की करने के करीब पहुँचे, लेकिन पक्की कर नहीं पाए। भले ही इन्होंने कुछ मैचों में टीम इंडिया का नेतृत्व किया, लेकिन वे लंबे समय तक कप्तानी बनने के लिए चयनकर्ताओं का विश्वास नहीं जीत सके। क्या गिल इस चलन को तोड़ पाएंगे और धोनी, विराट या रोहित जैसे बड़े कप्तान बन पाएंगे, यह देखना बाकी है। अगर वह ऐसा नहीं करते हैं, तो मान लीजिए कि उपकप्तानी का अभिशाप जारी रहेगा।
ये कैसी उपकप्तानी
उप-कप्तान के पास पद तो होता है, लेकिन कोई असली विशेषाधिकार नहीं होते। उसे कभी-कभी कप्तान का आर्मबैंड पहनने को मिलता है, लेकिन उसके पास ऐसा कुछ नहीं होता जिससे वह कोई सम्मान पा सके। एक आधिकारिक पद के कारण कप्तानी की दौड़ में थोड़ा आगे होता है सो वह अन्य लोगों का टारगेट भी बन सकता है। जब वह मैदान पर कप्तान की जगह लेता है, तब भी वह अक्सर ड्रेसिंग रूम से कप्तान और कोच जो भी आदेश देते हैं, बस उनको ही लागू करता है।
कई सालों तक टीम में उप-कप्तान का प्रोफाइल या उसकी पोजीशन स्पष्ट नहीं थी। अपनी किताब "सनी डेज़" में सुनील गावस्कर ने एक घटना का जिक्र किया है जिसे वे अपने क्रिकेट करियर की सबसे शर्मनाक घटना कहते हैं। यह घटना देवधर ट्रॉफी के एक मैच की थी। हुआ ये कि वेस्ट ज़ोन के कप्तान अजीत वाडेकर चोटिल हो गए। चूंकि जब वे बॉम्बे के लिए खेलते थे, तब गावस्कर उनके डिप्टी थे, इसलिए उन्होंने कार्यभार संभाला। गावस्कर लिखते हैं - मैंने तीन ओवर तक टीम का नेतृत्व किया, फिर अचानक 12वें खिलाड़ी ने आकर मुझसे कहा कि टीम के सबसे सीनियर खिलाड़ी अशोक मांकड़ को कप्तान की भूमिका निभानी है। अशोक ने इस बात के लिए बहुत खेद व्यक्त किया, लेकिन उन्होंने कमान संभाली। गावस्कर कहते हैं कि मेरे लिए यह सबसे शर्मनाक था कि मुझे बीस हजार से अधिक लोगों के सामने किसी अन्य खिलाड़ी को प्रभार सौंपने के लिए कहा गया।
बहरहाल, टीम सेलेक्शन प्रक्रिया पिछले कुछ वर्षों में काफी बदला है, लेकिन अभी भी उप-कप्तानों के बारे में कोई स्पष्टता नहीं है। किसी मैच में वे स्टैंड-इन कप्तान हो सकते हैं और अगले ही मैच में 12वें खिलाड़ी बना दिये जा सकते हैं। रहाणे ने अपने लंबे करियर में यह सब देखा है।