राज्यसभा में विपक्षी दलों के नेताओं का हंगामा, रूल बुक भी फेंकी

राज्यसभा में मंगलवार को एक बार फिर विपक्षी दलों के नेताओं ने जमकर हंगामा किया...

Written By :  Network
Published By :  Ragini Sinha
Update: 2021-08-10 14:32 GMT

राज्यसभा में विपक्ष दलों के नेताओं का हंगामा (ट्विटर)

संसद में अर्मादित व्यवहार एक बार फिर देखने को मिला है। राज्यसभा में मंगलवार को एक बार फिर विपक्षी दलों के नेताओं ने जमकर हंगामा किया। हंगामे के बाद अध्यक्ष भुवनेश्वर कलिता ने बुधवार सुबह 11 बजे तक के लिए कार्यवाही स्थगित कर दी। कृषि कानूनों के मुद्दे पर ध्यानाकर्षण प्रस्ताव को अल्पकालिक चर्चा में बदलने को लेकर विपक्षी सदस्यों, मुख्य रूप से कांग्रेस के लगातार हंगामे के कारण संसद के उच्च सदन में मंगलवार को कई बार कार्यवाही बाधित हुई।

मेज पर चढ़ गए सांसद, फेंक दी रूल बुक

बाद में, बीजद नेता प्रसन्ना आचार्य ने भी हंगामे के बीच अपनी बात रखी। विपक्षी सदस्य नारे लगाते रहे, आचार्य को सुनना मुश्किल हो गया और सभापति ने सदन को दोपहर 2.32 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया। आचार्य जब बोल रहे थे, तभी विरोध कर रहे सदस्यों में से एक सांसद महासचिव की मेज पर चढ़ गए। वह सदन की वेल में रहे और नारेबाजी करते रहे। इस दौरान आसन की तरफ रूल बुक भी फेंक दी। इस हंगामे के दौरान विपक्षी दल के नेताओं ने 'जय जवान, जय किसान' के नारे भी लगाए। इसके साथ ही तीनों कृषि कानून वापस लेने की मांग की।

 आखिर क्यों हुआ हंगामा

 दोपहर 2 बजे दोपहर के भोजन के बाद जैसे ही सदन की कार्यवाही शुरू हुई। कलिता ने कृषि से संबंधित समस्याओं और उनके समाधान पर एक संक्षिप्त चर्चा शुरू करने का आह्वान किया। इस पर अपना विरोध दर्ज कराने के लिए कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने सभापति से कहा कि ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के उनके नोटिस को सदन के संज्ञान में लाए बिना और बिना सहमति के ही चर्चा का समय कम कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि यह निर्णय एकतरफा है।

हंगामे के बाद सदन की कार्यवाही स्थगित

जब दोपहर तीन बजकर तीन मिनट पर राज्यसभा की दोबारा बैठक हुई तो कलिता ने कहा कि उपसभापति ने सत्तारूढ़ भाजपा और विपक्ष के सदस्यों को चर्चा के लिए अपने कक्ष में बुलाया है। इसके बाद उन्होंने सदन की कार्यवाही शाम चार बजे तक के लिए स्थगित कर दी। इससे पहले दोपहर के भोजन के बाद के सत्र में सदन को दोपहर तीन बजकर तीन मिनट तक के लिए स्थगित कर दिया गया था।

2015 के आसन के फैसले का हवाला

जयराम रमेश ने तीन दिसंबर 2015 के आसन के फैसले का हवाला दिया। उन्होंने कहा कि उक्त फैसले के मुताबिक ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पर चर्चा का समय पूरे सदन के मामले को समझने और सहमति के बाद ही बदला जा सकता है। परंतु सदन के सदस्यों की कोई राय नहीं ली गई। यह एकतरफा है और मुझे स्वीकार्य नहीं है। उन्होंने कहा कि मैंने 23 जुलाई को तीनों कृषि कानूनों और पिछले नौ-दस महीने से चल रहे किसान आंदोलन पर ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के लिए नोटिस दिया था। आज, मुझे अपना नाम अल्पावधि चर्चा की सूची में दिखाई दिया। मेरे ध्यानाकर्षण प्रस्ताव को अल्पावधि की चर्चा में परिवर्तित कर दिया है। यही वजह रही कि दोपहर 2.32 बजे संक्षिप्त स्थगन के बाद जब सदन की बैठक दोबारा शुरू हुई तो विपक्षी सांसदों ने फिर नारेबाजी शुरू कर दी। इसके बाद कलिता ने कार्यवाही 30 मिनट के लिए अपराह्न 3.03 बजे तक के लिए स्थगित कर दी थी।

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