AI Technology News: चीन 40 AI मॉडल्स को मंजूरी देकर इस रेस में सबसे आगे, इनमे शाओमी का मॉडल भी शामिल

AI Technology News: चीन एआई तकनीक की दिशा में ऊंची छलांग लगाते हुए काफी आगे निकलने की चाहत रखता है। यही वजह है कि चीन में अब कम से कम 130 बड़े भाषा मॉडल (एलएलएम) हैं।

Report :  Jyotsna Singh
Update: 2024-02-02 11:39 GMT

China claim on 40 percent of AI models

AI Technology News: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक की बढ़ती लोकप्रियता के साथ चीन ने पिछले 6 महीनों में सार्वजनिक इस्तेमाल के लिए 40 से अधिक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) मॉडल्स को मंजूरी देकर इस रेस में बाजी मार ली है।इसी के साथ चीन में अब कम से कम 130 बड़े भाषा मॉडल (एलएलएम) हैं, जो वैश्विक कुल का 40 प्रतिशत हैं। चीनी मीडिया के अनुसार, अब तक 4 बैचों में 40 से अधिक AI मॉडल को मंजूरी मिली है।

बता दें कि AI तकनीक के विकास की रेस में चीन अमेरिका को पीछे छोड़ते हुए आगे निकलने की होड़ में निरंतर प्रयासरत है। इसी कड़ी में चीन में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस खूबी से लैस मॉडल्स की लिस्ट में हाल ही में एक साथ कुल 14 मॉडल्स को मंजूरी दी गई थी। इस लिस्ट में शाओमी का भी नाम शामिल है। आइए जानते हैं इस बारे में विस्तार से-

दुनियाभर में मौजूद कुल AI मॉडल के 40 प्रतिशत पर चीन की दावेदारी

चीन एआई तकनीक की दिशा में ऊंची छलांग लगाते हुए काफी आगे निकलने की चाहत रखता है। यही वजह है कि चीन में अब कम से कम 130 बड़े भाषा मॉडल (एलएलएम) हैं। जो दुनियाभर में मौजूद कुल AI मॉडल का 40 प्रतिशत हिस्से पर अपनी दावेदारी दर्ज करता है। बता दें, LLM न्यूरल नेटवर्क सहित कई अन्य तकनीकों का इस्तेमाल कर निर्मित किए जाते हैं। LLM यानी लार्ज लैंग्वेज मॉडल को इंसानों की तरह टेक्स्ट को समझने और उसे क्रिएट करने के लिए खास तरह की ट्रेनिंग दी जाती है। इनकी खूबी है की ये टेक्स्ट या ऑडियो प्रॉम्प्ट देने पर उससे जुड़ा सटीक जवाब देने में पूरी तरह से सक्षम होते हैं।

LLM जारी करने से पहले कंपनियों को सरकार से लेनी होगी मंजूरी

चीन में पिछले साल 2023 अगस्त में ही LLMs के पहले बैच को सार्वजनिक करने के लिए मंजूरी दे दी गई थी जिनमें बायडू, अलीबाबा और बाइटडांस आदि कंपनियों का नाम शामिल है।

असल में चीन में लोगों के एआई तकनीक के इस्तेमाल के लिए अपने लार्ज लैंग्वेज मॉडल जारी करने से पहले कंपनियों को सरकार से मंजूरी लेनी पड़ती है। पिछले साल अगस्त में इस नियम को लागू किया गया था। इसके पीछे की खास वजह ये है कि चीन लगातार बढ़ रही AI टेक्नोलॉजी पर किसी भी तरह की कोई चूक न हो जाए इसलिए अपनी कड़ी निगरानी के साथ ही इस पर अपना मजबूत नियंत्रण भी रखती है।

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