Ajab Gajab: यहाँ पिता ही बनता है अपनी बेटी का दूल्हा, जानिए क्या है इस कुप्रथा के पीछे की वजह

Unique Marriage Tradition History: यहां का मर्द जब कम उम्र में किसी विधवा महिला के साथ शादी करता है, तभी यह बात तय कर ली जाती है कि आगे चलकर शख्स उस महिला की बेटी से ही शादी करेगा।

Report :  AKshita Pidiha
Update:2023-10-19 07:39 IST

Evil Customs (Image Credit-Social Media)

Bangladesh Unique Marriage Traditions: दुनियाभर की जनजातियों के बारे में आप जितना जानते हो उससे कहीं ज़्यादा आप अभी नहीं जानते हैं ।इनकी अथरंगी परम्पराएँ आपको हमेशा हैरान करेंगी। ये हमें भले ही अजीब लगें पर इन जनजातियों को बाहरी दुनिया से कोई मतलब नहीं होता है , ना ही बाहरी दुनिया के लोग इन जनजातियों के मामले में दख़ल अंदाजी कर सकते हैं ।यदि करते भी हैं तो उन्हें हिंसा का सामना करना पड़ता है ।आज के मॉर्डन युग में भी इस तरह की परम्पराएँ देखने को मिल रही है ।यह आश्चर्य करने वाली बात है।हालाँकि इन कुप्रथाओं के कारण देखा गया है कि जनजातियों का एक वर्ग शोषित होता रहा है , पर इनकी आवाज़ कोई भी उठाने वाला नहीं होता है ।इसलिए ये परम्पराएँ सदियों- सदियाँ चलती चली जाती है ।ना कोई सोशल ऐक्टिविस्ट इनके क्षेत्र में एंट्री कर सकते हैं । ना ही कोई मीडिया पर्सन।यदि इन इलाक़ों में डिजिटल दुनिया का प्रवेश हो जाए तो तस्वीर काफ़ी बदल सकती है ।कुछ उदाहरण इस प्रथ में भी आपको देखने को मिल सकते हैं ।

यहाँ पिता ही बनता है अपनी बेटी का दूल्हा

दरासल, जनजातियाँ हम शहरी लोगों से काफ़ी अलग होती हैं ।आज हम भारत नहीं बल्कि बांग्लादेश में रहने वाली एक जनजाति के बारे में बताने वाले हैं ।जिसे आप कुप्रथा भी कह सकते हैं ।पर यहाँ की जनजाति के लिए यह प्रमुख प्रथा है जिसे आज भी मनाया जाता है।


इस जनजाति का नाम मंडी है । ये कम्युनिटी बांग्लादेश के दक्षिण-पूर्व स्थित माधोपुर जंगल में रहती है।90 फीसदी कम्युनिटी ने अब इसाई धर्म अपना लिया है।इस समुदाय में बहुत ही छोटी उमर में महिलाओं की शादी कर दी जाती है , ऐसे में बहुत जल्दी ही महिला विधवा हो जाती है ।ऐसे में पिता को अपनी बेटी के साथ शादी करनी पड़ती है ।जी हां, यह सुनने में भले ही अजीब है । लेकिन यह सच है। इसे जनजातियाँ सालों से निभा रही हैं। यहां का मर्द जब कम उम्र में किसी विधवा महिला के साथ शादी करता है, तभी यह बात तय कर ली जाती है कि आगे चलकर शख्स उस महिला की बेटी से ही शादी करेगा। इसमें महिला की पहली शादी से हुई बेटी की बलि चढ़ाई जाती है। इसका मतलब ये हुआ कि बच्ची अपने सौतेले पिता से शादी करती है ।इस प्रथा में पिता का सौतेला होना जरूरी है। सगा पिता कभी भी इस कुप्रथा का हिस्सा नहीं बनता है।


इसमें कुछ कंडिशन होती है ।जैसे महिला छोटी उमर में विधवा हो गयी हो और उसे एक बेटी हो ।इसके बाद ही कोई मर्द उससे शादी करता है ।और फिर उस बेटी को बचपन से पालने के बाद उसकी दूसरी बीवी की बेटी से शादी करेगा ।मर्द शादी भी इसी शर्त पर करता है कि आगे चलकर उस महिला की बेटी उसकी बीवी बनेगी ।इस कुप्रथा में इसे बेटी का बलि देना कहते हैं ।इस प्रथा को लेकर जनजाति का कहना है कि इस प्रथा से बेटी और महिला दोनों की सुरक्षा और हिफ़ाज़त लम्बे समय तक पुरुष कर सकता है । हालाँकि अभी तक के मुताबिक़ इसमें कई लड़कियों का जीवन बर्बाद हो चुका है ।

हालांकि, कम्युनिटी धीरे-धीरे इस परम्परा को खत्म कर रही है।क्योंकि, मॉडर्न लड़कियां इस रिचुअल को नहीं मान रहीं।वे ढाका भाग रही हैं। कोई मेड के रूप में काम कर रही है, तो कोई ब्यूटिशियन बन रही है।ये और भी हैरान करने वाली बात है ,इस जनजाति में कहा जाता है महिलाओं की हुकूमत चलती है ।महिलाओं को अपने दूसरे पति से अपनी सगी बेटी से शादी करवाने में कोई समस्या नहीं होती है ।

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