Alakhnath Mandir Bareilly: बरेली का अलखनाथ मंदिर जिसे मुग़ल भी नहीं पाए थे तोड़, शिव की होती है पूजा
Alakhnath Mandir Bareilly: अलखनाथ मेला मंदिर परिसर में आयोजित होने वाला एक महत्वपूर्ण वार्षिक आयोजन है। यह सितंबर के महीने में होता है और लगभग 15 दिनों तक चलता है। देश के विभिन्न हिस्सों से भक्त भगवान शिव का आशीर्वाद लेने और सांस्कृतिक कार्यक्रमों, मेलों और धार्मिक समारोहों में भाग लेने के लिए यहां इकट्ठा होते हैं।
Alakhnath Mandir Bareilly: अलखनाथ मंदिर बरेली शहर में स्थित एक प्रमुख हिंदू मंदिर है। यह भगवान शिव को समर्पित है और इस क्षेत्र के भक्तों के लिए बहुत धार्मिक महत्व रखता है। अलखनाथ मंदिर बरेली शहर के बाहरी इलाके में, बरेली जंक्शन रेलवे स्टेशन के पास स्थित है। इसका सटीक पता दरगाह शरीफ, बरेलवी रोड, अलखनाथ मार्ग, बरेली, उत्तर प्रदेश, भारत है।
कैसे पड़ा अलखनाथ नाम
जानकारी के अनुसार करीब 1000 साल पहले इस स्थान पर घाना जंगल था। इसी घने जंगल के बीच एक पेड़ के नीचे एक बाबा जिनका नाम अलखिया था वो तपस्या में लीन रहते थे। किवदंतियों के अनुसार तपस्या के दौरान उन्हें पता चला की जिस थान पर बैठ कर वो तपस्या कर रहे हैं उसके नीच एक शिवलिंग है। बाबा ने वृक्ष को खोदा तो वहां सचमुच में शिवलिंग मिला। उसके बाद बाबा ने यहाँ पर मंदिर की स्थापना की और तभी से यह मंदिर अलखनाथ मन्दिर के नाम से जाना जाने लगा।
मंदिर की वास्तुकला
मंदिर पारंपरिक और आधुनिक वास्तुकला शैलियों का मिश्रण दर्शाता है। इसमें जटिल नक्काशी, सुंदर कलाकृति और एक विशाल प्रांगण है। गर्भगृह में मुख्य देवता, भगवान शिव, एक शिवलिंग के रूप में स्थित हैं। मंदिर महत्वपूर्ण हिंदू त्योहारों के दौरान बड़ी संख्या में भक्तों को आकर्षित करता है, खासकर श्रावण महीने (जुलाई-अगस्त) के दौरान जब भक्त प्रार्थना करते हैं और विशेष अनुष्ठान करते हैं। महाशिवरात्रि, सावन सोमवार और कार्तिक पूर्णिमा कुछ प्रमुख अवसर हैं जिन्हें मंदिर में भक्ति और उत्साह के साथ मनाया जाता है। मुख्य मंदिर के आस पास कई अन्य देवताओं का मंदिर है। इसके अतिरिक्त यहाँ पर मंदिर परिसर में ही कई भवन है जहाँ साधु निवास करते हैं। यहाँ पर प्रदेश के अन्य क्षेत्रों से भी साधुओं का आना-जाना लगा रहता है।
अलखनाथ मेला
अलखनाथ मेला मंदिर परिसर में आयोजित होने वाला एक महत्वपूर्ण वार्षिक आयोजन है। यह सितंबर के महीने में होता है और लगभग 15 दिनों तक चलता है। देश के विभिन्न हिस्सों से भक्त भगवान शिव का आशीर्वाद लेने और सांस्कृतिक कार्यक्रमों, मेलों और धार्मिक समारोहों में भाग लेने के लिए यहां इकट्ठा होते हैं। अलखनाथ मंदिर को पूजा और ध्यान के लिए एक पवित्र स्थान माना जाता है। भक्त आशीर्वाद लेने, प्रार्थना करने और शांत और आध्यात्मिक वातावरण में सांत्वना पाने के लिए मंदिर में आते हैं।
मुग़ल भी नहीं तोड़ पाए थे मंदिर
लोग बताते हैं कि जब पुरे उत्तर भारत में मुग़ल मंदिरों को तोड़ रहे थे तो ऐसे में यह मंदिर तमाम साधुओं और बाबाओं का शरणस्थली बना। जानकारी एक अनुसार इस मंदिर में मुग़ल प्रवेश नहीं कर पाए थे। लोगों का मानना है कि ऐसे समय में जब देश के तमाम मंदिर मुग़लों ने तोड़ दिए, इस मंदिर की रक्षा स्वयं बाबा ने की थी।