Ancient Temples Of India: हजारों साल पुराने हैं भारत के ये मंदिर, वास्तुकला देख उड़ जाएंगे होश
Ancient Temples Of India: आज हम आपको दुनियाभर में प्रसिद्ध भारत कुछ प्राचीन मंदिरों के बारे में बताने जा रहे हैं।
Ancient Temples Of India: भारत का इतिहास कई हजार वर्ष पुराना माना जाता है। इस देश में एक से बढ़कर एक ऐतिहासिक इमारतें और मंदिर मौजूद हैं, जो न केवल दुनिया के सात अजूबे बल्कि यूनेस्को विश्व धरोहर स्थलों में भी शामिल हैं। आज दुनिया में सबसे ज्यादा मंदिर भारत में ही हैं। आज हम आपको कुछ ऐसे ऐतिहासिक और प्राचीन मंदिरों से रूबरू कराएंगे, जो अपने भव्यता, वास्तुकला और महत्ता के लिए पर्यटकों के बीच काफी प्रसिद्ध हैं। इन मंदिरों को देख साइंटिस्ट भी चौंक उठते हैं।
भारत के प्राचीन मंदिर
कैलाश मंदिर (Kailasa Temple)
पहले हम बात करते हैं कैलाश मंदिर (Kailasa Temple) की। एक हजार साल से भी ज्यादा पुराना यह प्राचीन मंदिर भारत के असाधारण मंदिरों में से एक माना जाता है। अब आप सोच रहे होंगे इस मंदिर में ऐसी क्या बात है? तो चलिए जानते हैं। यह मंदिर महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में स्थित एलोरा की गुफाओं में है, जो कि भगवान शिव को समर्पित है। इसकी खासियत यह है कि इस पूरे मंदिर को केवल एक ही चट्टान काटकर बनाया गया है। 276 फीट लंबा और 154 फीट चौड़ा कैलाश मंदिर दो या तीन मंजिला इमारत के बराबर है। ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर को बनाने के लिए करीब 40 हजार टन वजनी पत्थरों को काटा गया था।
अंबरनाथ मंदिर (Ambarnath Shiv Temple)
महाराष्ट्र में मुंबई के पास अंबरनाथ शहर में स्थित अंबरनाथ मंदिर प्राचीन हिन्दू शिल्पकला की जीती जागती मिसाल है। ग्यारहवीं शताब्दी के मध्य में बना यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और इसे अंबरेश्वर शिव मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि इस जैसा मंदिर पूरी दुनिया में दूसरा नहीं है। इस मंदिर को पांडवकालीन मंदिर भी बताया जाता है। अंबरनाथ मंदिर के चारों ओर आम और इमली के पेड़ हैं। इस मंदिर की वास्तुकला दुनियाभर के पर्यटकों को अपनी ओर खिंचती है।
कोणार्क सूर्य मंदिर (Konark Sun Temple)
ओडिशा के पुरी जिले में स्थित कोणार्क सूर्य मंदिर का नाम तो आपने सुना ही होगा। भारत के सबसे पुराने मंदिर में से एक कोणार्क सूर्य मंदिर यूनेस्को विश्व धरोहर स्थलों में शामिल है। इस मंदिर का निर्माण 13वीं शताब्दी में बलुआ पत्थर और ग्रेनाइट से कराया गया था। इस मंदिर की भव्यता और इंजीनियरिंग की निपुणता हैरान करने वाली है। इस मन्दिर की संरचना ऐसी की गई है कि रथ में 12 जोड़े विशाल पहिए लगे हैं, जिसे 7 शक्तिशाली घोड़े खींच रहे हैं। इस मंदिर को देखने के लिए दुनियाभर से सैलानी आते हैं।
बृहदेश्वर मंदिर (Brihadeswara Temple)
यह मंदिर तमिलनाडु के तंजावूर में स्थित है। इस मंदिर को पूरी तरह से ग्रेनाइट से बनाया गया है। भगवान शिव को समर्पित बृहदेश्वर मंदिर को यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर का दर्जा प्राप्त है। 11वीं सदी के आरंभ में इस 13 मंजिल का निर्माण हुआ। यह मंदिर अपनी विशिष्ट वास्तुकला के लिए जाना जाता है। इस खूबसूरत और प्राचीन मंदिर को देखने के लिए बड़ी संख्या में पर्यटक आते हैं।
इस मंदिर की वास्तुकला से जुड़ा एक रहस्य भी है। दरअसल, भगवान शिव को समर्पित बृहदेश्वर मंदिर को बनाने के लिए करीब एक लाख तीस हजार टन ग्रेनाइट का इस्तेमाल हुआ। लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि इतनी भारी संख्या में ग्रेनाइट कहां से आया इस बात का अब तक पता नहीं चला। हैरानी वाली बात यह भी है कि मंदिर के 100 किलोमीटर के दायरे में भी ग्रेनाइट का कोई भंडार नहीं है।