Andhra Pradesh Famous Tree: कर्नाटक के जंगल में एक ऐसा पेड़ जो ऑक्सीजन के साथ देता है पानी

Andhra Pradesh Famous Park: पेड़ से हमें क्या मिलता है? ऑक्सीजन, शुद्ध हवा, फल, फूल और गर्मियों में तेज धूप से रहस्य भरी छाव हमें बचपन से यही सिखाया जाता है। लेकिन कुछ और भी है जो हमें पेड़ से मिलता है।

Written By :  Yachana Jaiswal
Update:2024-05-17 13:14 IST

Aandhra Pradesh Famous Trees(Pic Credit-Social Media)

Tree Which Give Water Details: प्रकृति हमें हैरान करने का एक भी मौका नहीं छोड़ती है। कुछ प्रकृति घटनाएं इतनी चमत्कारी होती है जिनपर भरोसा करना मुश्किल सा लगता है। आज हम आपको एक ऐसे ही प्रकृति की चौकाने घटना के बारे में बताने जा रहे है। जिसे सुनकर जानकर आपके भी होश उड़ जायेंगे। पेड़ से हमें क्या मिलता है? ऑक्सीजन, शुद्ध हवा, फल, फूल और गर्मियों में तेज धूप से रहस्य भरी छाव हमें बचपन से यही सिखाया जाता है। विज्ञान की किताब में भी हमने यही पढ़ा है। लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी पेड़ इन सबके अलावा और एक महत्वपूर्ण चीज देता है। भारत में एक ऐसा पेड़ भी है, जो न सिर्फ ऑक्सीजन पैदा करता है बल्कि पानी भी पैदा करता है। 

इस पेड़ के कई नाम

आंध्र प्रदेश के पापिकोंडा राष्ट्रीय उद्यान(Papikonda National Park) में, एक अनोखा पेड़ है जिसे कोंडा रेड्डी(Konda Reddy) जनजाति द्वारा वर्षों से संरक्षित किया गया है। भारतीय लॉरेल वृक्ष(Indian laurel tree) जिसे टर्मिनलिया टोमेंटोसा भी कहा जाता है। एक उष्णकटिबंधीय या उपोष्णकटिबंधीय वृक्ष है। जो आंध्र प्रदेश के पर्णपाती जंगलों में पाया जाता है। इसे मगरमच्छ की छाल का पेड़ और अंजन पेड़ के नाम से भी जाना जाता है।



भारत में इस जनजाति को ही था इसका पता

गोदावरी क्षेत्र की पापिकोंडा पहाड़ी श्रृंखला(Papikonda Hill Range) में रहने वाली कोंडा रेड्डी जनजाति(Konda Reddy Tribe) को भारतीय लॉरेल पेड़ की गर्मियों के दौरान अपने तने में पानी जमा करने की क्षमता का स्वदेशी ज्ञान है। यह प्रजाति इस खास किस्म के पेड़ को सालों से संरक्षित करके रख रही थी। यहां तक अभी तक कोई पहुंच नहीं पाया था। इसलिए बड़े ही देर से इस जानकारी के बारे में पता चल पाया है।

कितना और कैसा होता है स्टोर पानी?

एक पूर्ण विकसित पेड़ छह लीटर तक पीने योग्य पानी जमा कर सकता है, जिसका स्वाद खट्टा होता है और फाइटोकेमिकल्स(phytochemicals) घुले होने के कारण इसका रंग नारंगी-पीला होता है। संग्रहित पानी की मात्रा पेड़ की परिधि पर निर्भर करती है, और केवल 5-10% पेड़ ही अपने तनों में पानी जमा करने के लिए जाने जाते हैं। एक पार्श्वीय कटक, जिसे पंख कहा जाता है, पानी की उपस्थिति को इंगित करने के लिए ट्रंक पर विकसित होता है। पानी इकट्ठा करने के लिए पंख में एक छोटा सा छेद करें।


कैसा होता है यह पेड़?

भारतीय लॉरेल पेड़ में चिकनी, हल्के भूरे रंग की छाल, चमकदार हरी पत्तियाँ और घने पत्ते होते हैं जो पक्षियों के लिए आवास प्रदान करते हैं। इसके छोटे, गोल अंजीर युवा होने पर हरे रंग के होते हैं और उम्र बढ़ने के साथ गहरे भूरे रंग में बदल जाते हैं, और पक्षियों द्वारा खाए जाते हैं लेकिन इंसानों द्वारा नहीं। भारतीय लॉरेल अंजीर के पेड़ की पत्तियों का उपयोग उनके संभावित औषधीय गुणों के लिए पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों में भी किया गया है।

ऐसे करता है यह पेड़ पानी स्टोर

यह भारतीय लॉरेल वृक्ष, केवल दक्षिण एशियाई देशों में पाया जाता है। गर्मी के दिनों में इसमें पानी जमा हो जाता है। आम तौर पर, एक पेड़ में, पानी जाइलम ट्यूबों के माध्यम से जड़ों से दूसरे भागों तक जाता है और पत्तियों के माध्यम से वाष्पित हो जाता है। हालांकि, आंध्र प्रदेश का यह पेड़ अलग है। यह इस ट्यूब में एक रिक्त स्थान या छेद बनाता है, जिससे पानी को वाष्पित होने से रोका जा सकता है और चिलचिलाती गर्मी से बचने में मदद मिलती है।



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