Beautiful Trek of Maharashtra: मानसून में बिल्कुल मिस न करें ये ट्रेक, सुन्दरता ऐसी की ट्रेक भी होगा मजेदार

Maharashtra Famous Trek: महाराष्ट्र के आस पास कई खूबसूरत जगह है, जहां आप ट्रेकिंग के बाद खूबसूरत नजारों का लुत्फ उठा सकते है। उन्हीं में से एक है माहुली, जिसके बारे में यहां जरूरी जानकारी दी गई है...

Written By :  Yachana Jaiswal
Update:2024-07-08 19:03 IST

Maharashtra Famous Tourist Place (Pic Credit-Social Media) 

Maharashtra Famous Mahuli Trekking: महाराष्ट्र में यदि आप मानसून में घूमने निकलते है तो ट्रेकिंग एक बेहतरीन और यादगार छुट्टियां मनाने का विकल्प हो सकता है। महाराष्ट्र के एक बहुत ही खूबसूरत ट्रेक माहुली के बारे में डिटेल में हम आपको यहां बताने जा रहे है। माहुली की यात्रा हमेशा खास रही है और रहेगी भी। यह जगह मुख्य सह्याद्रि पर्वत शहापुर के पूर्वी भाग में स्थित है जबकि माहुली किला इसके पश्चिमी भाग में एकांत पहाड़ी पर स्थित है। यह ट्रेकिंग इतिहास के साथ प्रकृति के तरफ भी हमारा ध्यान आकर्षित करती है।

महाराष्ट्र में माहुली (Mahuli Trekking)

मुंबई के पास एक अच्छा एक दिवसीय ट्रेक के बारे में सोच रहे है तो, महुली समुद्र तल से 2815 फीट ऊपर उचित विकल्प है। यह ठाणे जिले का सबसे ऊँचा स्थान है। यह एक लोकप्रिय ट्रेकिंग विकल्प है और अपने शिखरों के कारण रॉक क्लाइम्बर्स के लिए स्वर्ग है। यह पर्वत परिसर वास्तव में दो या दो से अधिक पहाड़ियों का समूह है जिसमें समान स्तंभ और शिखर हैं। महुली के आसपास के जंगल को अभयारण्य घोषित किया गया है। महुली किले को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा संरक्षित स्मारक घोषित किया गया है।



कैसे करें माहुली का ट्रेक(How To Reach on Mahuli)

आसनगांव पहुँचें और बेस गांव तक स्थानीय एसटी बस लें। शेयर ऑटो का विकल्प भी उपलब्ध है। एप्रोच रोड से उतरें। हनुमान मंदिर से थोड़ा आगे एक इनर रोड है जो महुली की ओर जाता है। एक छोटा सा बोर्ड भी बताता है कि ट्रेक यहीं से शुरू होता है। शिखर तक एक अच्छी तरह से चिह्नित मार्ग उपलब्ध है। कुछ जगहों पर धीरे-धीरे चढ़ाई होती है। इस ट्रेक में कुछ खड़ी ढलान वाली चढ़ाई भी है। लगभग 90 मिनट की ट्रैकिंग के बाद आप एक पठार पर पहुँचेंगे जहाँ आपको लोहे की सीढ़ी मिलेगी। एक घंटे की चढ़ाई आपको छोटा महुली तक ले जाएगी।



ये है पहाड़ी व किले के नाम

विशाल माहुली पहाड़ी दूर से ही दिखाई देती है जिसके शिखर पर तीन जुड़े हुए किले हैं। सबसे बाईं ओर का किला माहुली चंदेरी/भंडारगढ़ है। बीच वाला किला माहुली है और सबसे बाईं ओर छोटा माहुली है। भंडारगढ़ और माहुली के बीच में प्रसिद्ध शिखर नवरा, नवरी और करावली हैं। यदि छोटा महुली तक जाने की योजना है तो महुली में एक दिवसीय ट्रेक भी किया जा सकता है। 



ऐसे दिखेगा माहुली का तीन पहाड़ एक साथ

 शिखरों सहित पूरी पहाड़ी को कवर करने के लिए आपको गुफाओं में एक रात बितानी पड़ेगी। गुफाओं में एक साथ लगभग 12 लोग रह सकते हैं। छोटा महुली से पठार पर 45 मिनट का ट्रेक है, फिर लगभग 20 फीट की चट्टान पर चढ़ना, केवल एक और लोहे की सीढ़ी पर चढ़ने के लिए। फिर 25 मिनट तक एक तरफ़ ट्रेक करने से आपको 3 शिखरों का शानदार नज़ारा देखने को मिलेगा।

माहुली किले का इतिहास (History of Mahuli Village)

इस किले के निर्माता मुगल हैं। कुछ वास्तुशिल्प डिजाइनों से यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है जो अब खंडहर में हैं। यह किला निज़ाम शाही वंश के शासन में आया था। शिवाजी महाराज ने इस किले को मुगलों से छीन लिया। पुरंदर की संधि में, मराठों ने फिर से किला खो दिया। शिवाजी महाराज ने महुली को जीतने की कोशिश की, लेकिन असफल रहे। एक हज़ार मराठा मारे गए। उनमें से ज़्यादातर आस-पास के गाँवों से थे। शिवाजी राजे ने अपने मृत कदम सरदार से कहा कि वह हमारा सोना है। इसलिए राजे ने इस परिवार को "सोनारे" उपनाम दिया। ऐसी ही एक संधि में शिवाजी राजे ने 22 किलों की पेशकश की थी। इनमें से 3 किलों का उल्लेख ऊपर किया गया है। लेकिन असल में नाम अलग-अलग होने के बावजूद यह एक बड़ा किला है जिसकी पुष्टि नहीं हुई है। रायगढ़ से पहले महुली शिवाजी राजे की शुरुआती राजधानियों में से एक थी।


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