Bhopal Famous Shiv Mandir: भोपाल का प्रमुख शिव मंदिर, जहां आप भी जाए दर्शन करने

Bhopal Famous Shiv Mandir: भोपाल बहुत ही खूबसूरत और सुदूरवर्ती इलाके में बसे शांत और अध्यात्म से ओत प्रोत एक खूबसूरत मंदिर है..

Written By :  Yachana Jaiswal
Update: 2024-07-15 04:51 GMT

Bhopal Famous Shiv Temple (Pic Credit-Social Media)

Bhopal Famous Shiv Mandir Details: ऐसी जगह जहां आप प्रकृति के सबसे करीब होने का अनुभव कर सकते है। यहां पर चारों तरफ पानी और हरियाली से भरे छोटे पहाड़ है। यहां आप अपने परिवार या दोस्त के साथ आ सकते है। हम बात कर रहे है बहुत ही अलौकिक शिव मंदिर की, जिसकी चोटी से आपको अद्भुत दृश्य देखने को मिलेंगे। यहां तक पहुंचने के लिए सड़क थोड़ी मुश्किल लग सकती है। प्रकृति की गोद में, हरे-भरे पहाड़ों और पानी से घिरा यह स्थान घूमने के लिए एक शानदार जगह है। यहां बहुत कम व्यवसायिकता है। भोपाल आने वाले लोगों को सुबह-सुबह यहाँ ज़रूर आना चाहिए। 

भोपाल का प्रमुख मंदिर

मंदिर का नाम: विश्वनाथ मंदिर (Vishwanath Mandir)

लोकेशन: कलियासोत डैम, भोपाल, मध्य प्रदेश 462007

यह मंदिर कोलार स्क्वायर से 3 किलोमीटर की दूरी पर है। श्री विश्वनाथ मंदिर की सड़क से सुंदर दृश्य व प्रकृति नजारे देखे जा सकते है। लेकिन कुछ अप्राकृतिक चीजें भी देखी जा सकती हैं। इस स्थान से दिखने वाले दृश्य फोटोग्राफी के लिए बहुत अच्छे हैं।



ऐसे हुआ था मंदिर का निर्माण 

साल 1985-86 में भोपाल के इस खूबसूरत कलियासोत जलाशय का निर्माण कार्य पूरा खत्म किया गया था। डैम के निर्माण कार्य के खत्म होने के बाद सरगुजा राजघराने के अरुणेश्वरसिंह देव बाबा साहब ने डैम के किनारे से कुछ दूर एक छोटा टापू देखा था, तब यहां चारों तरफ सिर्फ जंगल ही जंगल था। उनके मन में टापू पर शिवालय बनाने की प्रेरणा आई। कुछ दिनों में वहां भगवान शंकर का मंदिर बनकर तैयार हो गया। मंदिर का रखरखाव श्री काशी विश्वनाथ मंदिर समिति द्वारा ही किया जाता है।



मंदिर की रमणीकता 

कलियासोत जलाशय हरी-भरी पहाड़ियों से घिरा हुआ है। चारों तरफ भारी मात्रा में जल राशि के बीच भगवान भोलेनाथ का मंदिर काफी रमणीक प्रतीत होता है। इस छोटे से टापू पर बड़ी संख्या में पोधे इसके शुरुआती दिनों में रोपे गए थे, जो अब वृक्ष का रूप लेने लगे हैं। गर्मी के दिनों में यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं। कलियासोत डैम में गेट लगने के बाद इस मंदिर वाले टापू के चारों तरफ काफी पानी भरा रहता है। गहराई ज्यादा होने और पानी में कई मगरमच्छों के रहने से मंदिर जाने के लिए नाव के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं है। मंदिर समिति श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए नाव का निर्माण करा रही है।



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