UP Famous Bird Sanctuaries: उत्तर प्रदेश के पक्षी अभयारण्य, पर्यटकों को करते हैं आकर्षित

Bird Sanctuaries of Uttar Pradesh: उत्तर प्रदेश, भारत का उत्तरी राज्य, अपनी बेहद प्राचीन, समृद्ध सांस्कृतिक विरासत, ऐतिहासिक स्मारकों और विविध वन्य जीवन के लिए जाना जाता है। राज्य कई प्रमुख पक्षी अभयारण्यों का घर भी है। जो विभिन्न प्रकार की देसी विदेशी पक्षियों की सैकड़ों प्रजातियों को सुरक्षित आश्रय प्रदान करते हैं।

Written By :  Nirala Tripathi
Update:2023-12-02 16:33 IST

UP Famous Bird Sanctuaries (Photo- Social Media)

UP Famous Bird Sanctuaries: सदियों से रंग-बिरंगे पक्षी हमें हरदम आकर्षित करते रहे हैं, हैरान कर देनें वाली उनकी उड़ाने, शिकार और घोंसले बनाने की आदतें, मनुष्य लिए हरदम एक रहस्य रहीं है। भारत अधिकांश साइबेरियाई पक्षियों जैसे साइबेरियन क्रेन, ग्रेटर फ्लेमिंगो और डेमोईसेल क्रेन के साथ ही साथ, सैकड़ों विभिन्न प्रकार की प्रवासी प्रजातियों के पक्षियों का एक प्रमुख शीतकालीन घर भी है। भारतीय महाद्वीप में सर्दियों के शुरू होते ही हर वर्ष, रंग- बिरंगे, छोटे- बड़े, लाखों प्रवासी पक्षी, उत्तरी- मध्य एशिया, यूरोप, साइबेरिया, चीन, तिब्बत और टुण्ड्रा के बेहद बर्फीले क्षेत्रों से, सर्दियों के शुरू होते ही हज़ारों मील की लंबी यात्रा कर भारतीय उपमहाद्वीप में आकर कुछ महीने बिताते हैं और गर्मियों के मौसम से पहले ही वापस चले जाते हैं।

प्रवासी पक्षी (Migratory Birds) यहां भोजन, प्रजनन और घोंसले की तलाश में पहुंचते है। ये ऊंचे पहाड़ों, विशालकाय महासागरों और कई नदियों को पार करते हुए हजारों किलोमीटर का सफ़र तय करके भारत पहुंचते है। फिर एक तय समय के बाद वापस अपने वतन को लौट जाते है।

पृथ्वी के ध्रुवों और मध्य अक्षांशों के इलाकों के बीच मौसम और जलवायु में बहुत अधिक अंतर होता है। इस अंतर की वजह से उत्तरी ध्रुव के पास रहने वाले बहुत सारे पक्षी सर्दी का मौसम आने पर अपने प्राकृतिक आवासों को छोड़ देते हैं। निचले अक्षांश वाले इलाकों का रुख कर लेते है , जहां उन्हें उनके हिसाब से कम ठंड का सामना करना होता है। साथ ही भोजन और आवास की भरपूर उपलब्धता भी रहती है। इसीलिए भारत में उत्तर के मैदानी इलाकों की बड़ी नदियों, झीलों, व घास के दलदली मैदानों के पास सर्दी के मौसम में लाखों की संख्या में प्रवासी पक्षी , हजारों किलोमीटर की दूरी तय करके आते हैं।

उत्तर प्रदेश, भारत का उत्तरी राज्य, अपनी बेहद प्राचीन, समृद्ध सांस्कृतिक विरासत, ऐतिहासिक स्मारकों और विविध वन्य जीवन के लिए जाना जाता है। राज्य कई प्रमुख पक्षी अभयारण्यों का घर भी है। जो विभिन्न प्रकार की देसी विदेशी पक्षियों की सैकड़ों प्रजातियों को सुरक्षित आश्रय प्रदान करते हैं। वन्य जीवन व प्रवासी पक्षियों के लिए संरक्षित आवास प्रदान करने और उनकी जैव विविधता के संरक्षण में यह अभ्यारण महत्वपूर्ण भूमिका निभाते रहे हैं। पक्षी विहार वन्य जीवों, पक्षियों को नज़दीक से देखने वालों, बर्ड वाचर, फोटोग्राफर्सऔर प्रकृति के प्रति उत्साही सैलानियों और पक्षी वैज्ञानिकों के लिए एक स्वर्ग के समान हैं। उत्तर प्रदेश में पक्षी अभयारण्यों की यात्रा करने का सबसे अच्छा समय नवंबर से फरवरी तक सर्दियों के महीनों के दौरान होता है।

उत्तर प्रदेश कई पक्षी अभयारण्यों से समृद्ध राज्य है, जो विभिन्न प्रकार की पक्षी प्रजातियों का घर है। उत्तर प्रदेश में पक्षी अभयारण्य न केवल पक्षियों के लिए एक सुरक्षित आश्रय प्रदान करते हैं बल्कि पर्यटकों को भी आकर्षित करते हैं और इन प्रजातियों के संरक्षण में मदद करते हैं।

आइए जानते है उत्तर प्रदेश की प्रमुख बर्ड सैंक्चुअरी के बारे में-

Photo- Social Media

सोहागी बरवा पक्षी अभयारण्य

उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर जिले में स्थित, सोहागी बरवा वन्यजीव अभयारण्य देसी और प्रवासी पक्षियों को देखने के लिए एक उत्तम स्थान है। 453 वर्ग किमी के क्षेत्र में फैला, अभयारण्य 100 से अधिक पक्षी प्रजातियों का घर है, जिनमें साइबेरियन क्रेन, उत्तरी पिंटेल और कॉमन टील्स जैसे प्रवासी पक्षी शामिल हैं।

Photo- Social Media

सुर सरोवर पक्षी अभयारण्य

ताज महल के लिए प्रसिद्ध आगरा शहर के नज़दीक स्थित यह यह अभयारण्य हालांकि आकार में काफ़ी छोटा है । लेकिन पक्षियों की प्रजातियां के मामले में बहुत समृद्ध है। इसमें ताजे पानी की आद्र भूमि शामिल है, जिसे कीठम झील के रूप में भी जाना जाता है।

यह अभयारण्य 7.13 वर्ग किमी के क्षेत्र में फैला हुआ है। 165 से अधिक पक्षी प्रजातियों का घर है, जिसमें लुप्तप्राय सारस क्रेन भी शामिल है। अभयारण्य में सारस का प्रजनन केंद्र भी है, जहां इन पक्षियों को संरक्षित किया जाता है। फिर उनको वापस जंगल में छोड़ दिया जाता है।

Photo- Social Media

नवाबगंज पक्षी अभयारण्य

उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले में नवाबगंज कस्बे में स्थित यह पक्षी अभयारण्य मैग्रेटरी बर्ड्स को बेहद नज़दीक से देखने और उनकी फ़ोटो उतारने वालों के लिए एक बेहतरीन स्थान है। 2.246 वर्ग किमी के क्षेत्र में फैला, अभयारण्य 250 से अधिक पक्षियों की प्रजातियों का घर है, अभयारण्य में एक बड़ी झील भी है जहाँ साइबेरियन क्रेन और पिंटेल जैसे कई प्रवासी पक्षियों को बेहद नज़दीक से देखा जा सकता है। यह बर्ड सैंक्चुअरी प्रदेश की राजधानी लखनऊ से एक घंटे की दूरी पर है।

Photo- Social Media

सांडी पक्षी अभयारण्य

उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले में स्थित, सांडी पक्षी अभयारण्य 2.5 वर्ग किमी के क्षेत्र में फैला है। यह अभयारण्य 150 से अधिक पक्षियों की प्रजातियों का घर है, जिनमें लुप्तप्राय सारस क्रेन भी शामिल है। पद चिन्ह के आकार की दहर झील में कई प्रवासी पक्षी जैसे उत्तरी पिंटेल, गडवाल और कॉमन टील्स देखे जा सकते है।

Photo- Social Media

बखिरा पक्षी अभयारण्य

उत्तर प्रदेश के संत कबीर नगर जिले में स्थित, बखिरा पक्षी अभयारण्य पक्षी देखने के लिए एक प्रमुख स्थान है।29 वर्ग किमी के क्षेत्र में फैला, अभयारण्य 200 से अधिक पक्षियों की प्रजातियों का घर है, जिनमें लुप्तप्राय सफेद पूंछ वाले गिद्ध भी शामिल हैं।अभयारण्य में एक बड़ी झील भी है जहाँ कई प्रवासी पक्षी जैसे साइबेरियन क्रेन, नॉर्दर्न पिंटेल और कॉमन टील्स देखे जाते है।

Photo- Social Media

लाख बहोसी पक्षी अभ्यारण्य

यह उत्तर प्रदेश के कन्नौज जिले के लखबहोसि गांव के पास स्थित है।1989 में स्थापित यह भारत के बड़े पक्षी अभ्यारण्य में से एक है। जो 80 वर्ग किलोमीटर के विशाल क्षेत्र में फैला हुआ है। इस अभयारण्य में हर साल नवंबर से मार्च महीने के बीच लगभग 50 हजार जलमुर्गियां आती हैं। यह आर्द्रभूमि कुछ पक्षियों के घोंसले बनाने के साथ-साथ प्रजनन के लिए उनके निवास स्थान के रूप में कार्य करती है। इस प्रकार, यह अभयारण्य कई वर्षों से पक्षी प्रेमियों के साथ-साथ पर्यटकों के लिए भी एक आकर्षक स्थल बन गया

Photo- Social Media

पटना पक्षी अभयारण्य

उत्तर प्रदेश राज्य में एक छोटा लेकिन अद्वितीय संरक्षित क्षेत्र है। जिसे लोकप्रिय रूप से पटना झील के नाम से जाना जाता है। 109 हेक्टेयर आकार में, यह एक साथ 1,00,000 से अधिक जलपक्षियों को समायोजित कर लेता है। इसका नाम एटा राजस्व जिले की जलेसर तहसील के गांव पटना के नाम पर रखा गया है।

हर साल पटना पक्षी अभयारण्य सर्दियों के दौरान 50000 से अधिक पक्षियों को आश्रय प्रदान करता है।इस अभयारण्य के अंदर स्थित हिंदू भगवान शिव का प्राचीन मंदिर इस क्षेत्र के लोगों के लिए आस्था और तीर्थयात्रा का एक महत्वपूर्ण केंद्र भी है।

Photo- Social Media

ओखला पक्षी अभयारण्य

नई दिल्ली के पास गाजियाबाद में, यमुना नदी पर ओखला बैराज और ओखला वियर के बीच में स्थित है।इसे 1990 में अस्तित्व में लाया गया। ओखला पक्षी अभयारण्य के दक्षिण में कालिंदी कुंज, अपने शांत वातावरण और प्राकृतिक प्रचुरता के कारण एक बहुत ही आनंददायक स्थान है। इस क्षेत्र में देखी जाने वाली पक्षियों की लगभग 250 प्रजातियों में से 160 प्रजातियाँ प्रवासी पक्षियों की हैं।गीज़, चैती, कूट, पिन-टेल, स्पॉट-बिल, पोचार्ड, पेलिकन, शॉवलर, गडवाल, मैलार्ड और कई अन्य जो तिब्बत, यूरोप और साइबेरिया से अपने शीतकालीन प्रवास के लिए आते हैं।

Photo- Social Media

डॉ. भीमराव अम्बेडकर पक्षी अभयारण्य

उत्तर प्रदेश, प्रतापगढ़ जिले के कुंडा शहर में स्थित है। कुंडा के दक्षिण में, गंगा नदी से सटा हुआ, यह मुख्य शहर से 13 किलोमीटर की दूरी पर है। यह क्षेत्र गंगा के मैदानों के जलोढ़ भूमि का एक हिस्सा है। हर साल भारत और विदेश से सैकड़ों स्थानीय और प्रवासी पक्षी सर्दियों के मौसम की शुरुआत के साथ यहां आते हैं और वसंत ऋतु की शुरुआत तक इस क्षेत्र में निवास करते हैं। प्रवासी पक्षी इस अभयारण्य तक पहुँचने के लिए 5000 किमी तक की यात्रा करते हैं। कुछ पक्षी 8000 मीटर की ऊँचाई से क्षेत्र की तुलनात्मक गर्मी की ओर पलायन करते हैं।

Photo- Social Media

जय प्रकाश नारायण पक्षी अभ्यारण्य

बलिया शहरी क्षेत्र से 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस जलस्रोत को इसके पूर्व नाम 'सुरहा ताल' से ही पुकारते हैं। 2002 द्वारा इसका नाम बदलकर "जय प्रकाश नारायण पक्षी अभ्यारण्य" कर दिया गया।

सर्दियों के महीनों के दौरान मुख्य रूप से विदेशी और स्थानीय प्रवासी पक्षी जय प्रकाश नारायण पक्षी अभयारण्य में आते हैं। अनुमान के मुताबिक 'सुरहा ताल' में साल भर 15 प्रजातियों के लगभग 10,000 पक्षी देखे जा सकते हैं। वे अभयारण्य के स्थानीय निवासी हैं। सर्दियों के दौरान, विदेशी और स्थानीय प्रवासी पक्षियों के आगमन के साथ, यह आंकड़ा 200,000 तक पहुंच जाता है।

Photo- Social Media

Photo- Social Mediaविजय सागर बर्ड संचुरी

बीजा नगर झील और उसके आसपास के 262 हेक्टेयर क्षेत्र को 1990 में एक सुरक्षित, शिकार रहित क्षेत्र में परिवर्तित कर दिया गया था। यह विंध्याचल पर्वत श्रृंखला में स्थित है, जो स्थानीय और प्रवासी पक्षियों की लगभग 200 प्रजातियों का घर है। नवंबर के महीने से पक्षियों का आना शुरू हो जाता है और दिसंबर-जनवरी तक अभयारण्य पंख वाले पर्यटकों से भर जाता है। मार्च से गर्म दिनों की शुरुआत के साथ ये आगंतुक अगले वर्ष लौटने के लिए अपने घरों की ओर उड़ान भरना शुरू कर देते हैं। कुछ स्थानीय प्रजातियाँ इस अभयारण्य में रहती हैं, अपने घोंसले बनाती हैं और अंडे देती हैं और इसे अपना स्थायी घर बना लिया है।

Tags:    

Similar News