Chambal Mata Statue: वियतनाम के मार्बल से बनी है माता चंबल की मूर्ति

Chambal Mata Statue: कोटा को राजस्थान की एजुकेशन सिटी के नाम से पहचाना जाता है लेकिन अब ये पर्यटन सिटी के रूप में विकसित हो रही है।

Update:2024-05-08 17:15 IST

Chambal Mata Statue (Photos - Social Media)

Chambal Mata Statue : कोटा राजस्थान का एक प्रसिद्ध शहर है और यहां का चंबल रिवर फ्रंट काफी खूबसूरत है जहां बड़ी संख्या में पर्यटक पहुंचते हैं। अब यहां माता चंबल की 242 फीट की मूर्ति पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बन चुकी है। इस मूर्ति को वियतनाम की मार्बल के 15 से टुकड़ों को जोड़कर तैयार किया गया है। इसमें मूर्ति के हाथ में कलश भी है जिससे पानी गिरता रहेगा चलिए आज आपको इसकी खासियत के बारे में बताते हैं।

वियतनाम के मार्बल की मूर्ति

माता चंबल की मूर्ति 242 फीट ऊंची है। इसका पेडस्टल 65 फीट का है और बाकी की मूर्ति 177 फीट ऊंची है। इसे बनाने में 26 करोड रुपए की लागत आई है। यह वियतनाम के मार्बल से बनाई गई है इसके लगभग 1500 अलग-अलग टुकड़े लाकर जयपुर से मूर्ति के शॉप में बनवाकर मंगवाई गए थे और इन सभी को जोड़कर तैयार किया गया है।

Chambal Mata Statue


कितना पानी होगा डिस्चार्ज

मूर्ति में फाउंटेन लगाया गया है जिसमें 75 हॉर्स पावर के चार पंप लगे हुए हैं। 1 घंटे में यह 7.60 लाख लीटर पानी का डिस्चार्ज करेंगे। इसे देखने में ऐसा लगेगा कि पानी झरने से नीचे गिर रहा है। चंबल माता के हाथ में एक कलश है और इसी कलश से लगातार पानी प्रवाहित होता है। पानी रीसायकल होकर वापस कंपो के जरिए कलश से गिरता चला जाता है।


1500 क्विंटल है वजन

माता चंबल की इस मूर्ति को बनाने में कंक्रीट का काफी उपयोग किया गया है। पहले सरिया और कंक्रीट का स्ट्रक्चर तैयार किया गया था और बाद में 1000 क्यूबिक मीटर सीमेंट कंक्रीट भी मूर्ति के भीतर भरी गई है। 100 से ज्यादा कार्य करो ने इसके लिए काम किया है और इसका वजन 1500 क्विंटल है।

हर घर से आएगी नजर

यह मूर्ति इतनी भव्य है कि यह यहां के हर घाट से नजर आएगी। यहां पर लगभग 22 घाट है और सभी जगह से इस मूर्ति को देखा जा सकेगा। इसमें रोशनी भी लगाई गई है और एक दूर से जगमग करती हुई दिखाई देती है।



रोज शाम आरती

चंबल माता की मूर्ति पर रोजाना शाम का आरती भी की जाती है। आरती के लिए यहां पर ढूंढ तैयार की गई है जो आने वाले पर्यटकों को काफी अच्छी लगती है। जब इस मूर्ति का उद्घाटन हुआ था तब 131 पंडितों ने चंबल माता की आरती की थी।

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