Dayan Devi Temple Video: भारत में डायन देवी का मंदिर, आख़िर क्यों भगवान की जगह इनकी हो रही पूजा, इस वीडियो में मिलेगा सारे सवालों का जवाब
Chattisgarh Dayan Devi Temple: भारत में एक ऐसी भी जगह है जहां पर नवरात्रि में लोग डायन देवी की पूजा करते हैं ।यहाँ दोनों नवरात्रियों में डायन माता की पूजा की जाती है ।यह मंदिर आश्चर्य करने वाला है ।क्योंकि भारत में भूत , प्रेत , डायन को बुरी शक्तियाँ माना जाता है ।वहीं दूसरी तरफ इस तरह के मंदिर में डायन देवी की पूजा की जाती है जो सबकी मनोकामना पूर्ति करती हैं ।
Dayan Devi Temple Video: भारत में देवी को आदिशक्ति कहा जाता है ।अर्थात् इसके जैसे शक्ति किसी के पास नहीं है ।हम साल के दो नवरात्रि में नौ देवियों की पूजा अर्चना करते हैं ।मन्नत माँगते हैं ।हर मंदिर की अपनी एक विशेषता होती है ।
पर आपको जानकर हैरानी हो सकती है कि भारत में एक ऐसी भी जगह है जहां पर नवरात्रि में लोग डायन देवी की पूजा करते हैं ।यहाँ दोनों नवरात्रियों में डायन माता की पूजा की जाती है ।यह मंदिर आश्चर्य करने वाला है ।क्योंकि भारत में भूत , प्रेत , डायन को बुरी शक्तियाँ माना जाता है ।वहीं दूसरी तरफ इस तरह के मंदिर में डायन देवी की पूजा की जाती है जो सबकी मनोकामना पूर्ति करती हैं ।
यह मंदिर छतीसगढ़ राज्य के बलोद ज़िले के गुंडरदेही ब्लॉक का झींका गाँव में है ।इस मंदिर की आस्था काफ़ी अलग है ।कहते हैं यह मंदिर 200 साल पुराना है ।यह मंदिर किसी देवी का नहीं बल्कि डायन देवी का मंदिर है । जिसे स्थानीय भाषा में लोग परेतिन दाई के मंदिर के नाम से जानते हैं।
इस मंदिर की आस्था ऐसी है कि इस मंदिर के सामने कोई भी वाहन या व्यक्ति बिना रुके या बिना झुके आगे नहीं बढ़ सकता है ।कहते है ऐसा करने पर आगे चलकर लोग दुर्घटना का शिकार हुए हैं ।साथ ही इस मंदिर में कुछ न कुछ दान में दिया जाता है ।
पहले यह मंदिर नीम के पेड़ के नीचे बसा था ।फिर यहाँ के आस पास के लोगों ने एक निर्माण की सामग्री जैसे ईंट , पत्थर यहाँ दान देना शुरू किया ।और फिर इस तरह से इस मंदिर का निर्माण हुआ ।इस मंदिर में भी कोई भी वस्तु का दान किया जा सकता है ।चाहे ईंट, पत्थर, पैरा, हरी घास, मिट्टी, सब्जी, भाजी आदि क्यों न हो।मंदिर में दान की शुरुआत ही ईंट से हुई थी , इसलिए अब मंदिर में ईंट इतनी अधिक संख्या में चढ़ती है कि इसका इस्तेमाल मंदिर निर्माण के अलावा गांव के अन्य विकास कामों में किया जाता है। यहां पर सबसे ज्यादा चढऩे वाली चीजों में ईंट ही अधिक है।
कहते हैं यहाँ के दूध वाले यदि दूध चढ़ाना भूल जायें तो माता ग़ुस्सा हो जाती है और दूध फट जाता है ।वैसे तो लोग डायन को बुरी शक्ति मानते हैं।पर यहाँ की डायन माता किसी का बुरा नहीं करती हैं ।वे दूर -दूर से आए राहगीरों की मनोकामना पूर्ति करती हैं ।यहाँ पर राज्य के हर कोने से लोग माथा टेकने पहुँचते हैं ।यह मंदिर पूरे छत्तीसगढ़ में फ़ेमस है ।हालांकि इस मंदिर के पीछे का इतिहास कब से है , कहाँ से है , यह कोई नहीं जानता है । पर ग्रामीणों ने अपनी पूर्वजों की परम्परा को सहेज रखा है ।कहा तो यह भी जाता है इस मंदिर पर यदि कोई वाहन न रुके तो वह आगे चलकर बंद हो जाता है ।और फिर इस मंदिर में नारियल चढ़ाने पर वो वाहन शुरू हो जाता है ।
इस मंदिर में किसी भी समस्या का समाधान है।कहते हैं जब आस पास के घरों में बच्चा रोता है और उसे कोई तकलीफ़ होती है तो उसे सीधे इस मंदिर में लाया जाता है। वह बच्चा चुप हो जाता है। हंसने-खेलने लगता है ।
दोनों नवरात्र पर बड़ी संख्या में स्थानीय लोग यहाँ ही दीप प्रज्ज्वलित करते हैं ।वे नवरात्रि सिर्फ़ इसी मंदिर की पूजा अर्चना करते हैं ।सोचिए वैसे तो लोग डायन , भूत प्रेत के नाम से ही डरते हैं ,फिर भी इस जगह पर डायन देवी की पूजा की जाती है ।