Ardhnarishwar Shivling: भारत में यहां है अर्धनारीश्वर शिवलिंग, जहां एक साथ होती है शिवशक्ति की पूजा

Unique Shivling In India: छत्तीसगढ़ में भगवान शिव का एक ऐसा मंदिर है, जहां शिवलिंग में ही एक साथ माता पार्वती भी वास करती है..

Written By :  Yachana Jaiswal
Update: 2024-08-04 10:39 GMT

Ardhnareshwar Shivling (Pic Credit-Social Media)

Chhatisgarh Famous Shiv Mandir: हरे भरे और प्रकृति रूप से छत्तीसगढ़ राज्य में महादेव का एक अनोखा मंदिर है। राजनांदगांव जिले में एक गांव ऐसा भी है, जहां शिवलिंग को पूजने मात्र से ही आप, भगवान शिव और माता पार्वती का आशीर्वाद भी पा सकते है। यहां के एक मंदिर में स्वयंभू शिवलिंग यानी प्राकृति रूप से उत्पन्न शिवलिंग में आधे हिस्से पर भगवान भोलेनाथ और आधे हिस्से में मां पार्वती विराजती हैं। कई वर्षों से छत्तीसगढ़ में इस विशेष शिवलिंग की पूजा की जा रही है।

लगभग 200 वर्षों से हो रही शिवलिंग की पूजा

छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले में एक जगह है इराईकला, यहीं पर अर्धनारीश्वर शिवलिंग का अनोखा मंदिर स्थित है। यहां एक शिवलिंग है, जो दो भागों में बटा हुआ है। जिसकी वजह से इस शिवलिंग को अर्धनारीश्वर शिवलिंग के रूप में पूजा जाता है। गांव के लोगों के अनुसार, लगभग 200 वर्षों से यहां इस शिवलिंग की पूजा अर्चना की जा रही है।


मंदिर का इतिहास(History Of Shiv Temple)

इस मन्दिर को लेकर मान्यता है कि यहां स्थित शिवलिंग द्वापर युग का है। प्राचीन मान्यताओं के अनुसार वर्तमान में जिस जगह पर अर्धनारीश्वर शिव मंदिर स्थापित है। उसी स्थान पर पहले गोपालक गोबर एकत्रित किया करते थे। एक बार इसी जगह गोबर की सफाई के लिए खुदाई करने के दौरान शिवलिंग नजर आया। तब से यहां पर शिवलिंग की पूजा सैकड़ों वर्षों से की जाती रही है।



शिवलिंग पर जल चढ़ाने से मिल रही दीर्घायु 

मंदिर में शिवलिंग पर जल चढ़ाने को लेकर एक अलग मान्यता लोगों के बीच देखने को मिल रही हैं। अर्धनारीश्वर मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं की मनोकामना तो पूर्ण होती है। वहीं जब से यहां इस अर्धनारीश्वर शिवलिंग की पूजा-अर्चना की जा रही है, तब से इस गांव के लोगों को दीर्घायु की प्राप्ति हो रही हैं। इस गांव में ज्यादातर लोगों की अधिकतम उम्र 107 साल तक पहुंचती है और वर्तमान में भी यहां 90-95 वर्ष से अधिक आयु के दर्जनों बुजुर्ग हैं. यहां के लोगों का मानना है कि अर्धनारीश्वर शिवलिंग की वजह से ही यहां अधिकांश लोग शतक के करीब है यहां पर आपको ज्यादातर लोग 90 वर्ष से ऊपर मिलेंगे। 



इकलौता अर्धनारेश्वर ज्योतिर्लिंग 

भगवान शंकर और माता आदिशक्ति के रूप में स्थापित यह मंदिर संभवतः आस पास के प्रदेश में भी एकमात्र अनोखा शिवलिंग है। यह शिवलिंग दो भागों में स्पष्ट रूप से नजर आता है। इस शिवलिंग के बीच से एक पतली दरार बनी हुई रेखा दिखती है बताया जाता है कि पहले यहां जलाभिषेक करने के बाद जल धरती में कहा समा जाता था यह पता नहीं चल पाता था। गांव में इस मंदिर के स्थापित होने के बाद से सुखद वातावरण बना हुआ है। वहीं प्राकृतिक आपदाओं से भी गांव सुरक्षित बना हुआ है।



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