Chitrakoot Famous Shiv Temple: त्रेता युग से जुड़ी है इस शिव मन्दिर की मान्यता

Chitrakoot Famous Shiv Temple: चित्रकूट में एक शिव मंदिर भी महत्वपूर्ण है। शिव जी का यह मंडी मत्यगजेंद्र नाथ शिव मंदिर के नाम से जाना जाता है। जिसकी मान्यता रामायण के त्रेता युग से है।

Written By :  Yachana Jaiswal
Update:2024-03-08 11:38 IST

Famous Shiv Mandir (Pic Credit-Social Media)

Chitrakoot Famous Shiv Temple: प्राचीन शहर चित्रकूट कई महत्वपूर्ण धार्मिक मंदिरों में पूजनीय है। कहा जाता है कि कामदगिरि मंदिर उस पहाड़ी के ऊपर स्थित है जहां दिव्य त्रिमूर्ति भगवान राम, भगवान लक्ष्मण और देवी सीता अपने निर्वासन के दौरान रहे थे। इसलिए हनुमान धारा, स्फटिकशिला, भरत मिलाप मंदिर, गुप्त गोदावरी, जानकी कुंड, परम कुटीर और राम घाट चित्रकूट में देखने के लिए प्रमुख आकर्षण और आकर्षक स्थान हैं। लेकिन इन्हीं मंदिरों के साथ चित्रकूट में एक शिव मंदिर भी महत्वपूर्ण है। शिव जी का यह मंडी मत्यगजेंद्र नाथ शिव मंदिर के नाम से जाना जाता है। जिसकी मान्यता रामायण के त्रेता युग से है।

अनोखा है ये शिव मंदिर

मत्यगजेंद्रनाथ शिव मंदिर, चित्रकूट में मध्य प्रदेश की सांस्कृतिक रूप से समृद्ध भूमि के अनदेखे पहलू की खोज करता है। राम घाट पर मंदाकिनी नदी के तट पर स्थित, यह मंदिर उन हजारों मंदिरों के बीच एक स्थान रखता है जो प्राचीन शहर चित्रकूट में पाए जा सकते हैं। यह मंदिर राम घाट पर प्रमुख आकर्षणों में से एक है, जिसकी यात्रा से आपका चित्रकूट में समग्र अनुभव बेहतर हो जाएगा। चित्रकूट-एमपी में मत्यगजेंद्र नाथ शिव मंदिर मंदिरों में रामायण समय का भी साक्षी है। मंदिरों, हिंदू एतीर्थस्थलों और भी बहुत कुछ के लिए जाना जाता है। मत्यगजेंद्र नाथ मंदिर पवित्र मंदाकिनी नदी के किनारे रामघाट पर स्थित है। भगवान शिव के स्वरूप मत्यगजेंद्र को चित्रकूट का क्षेत्रपाल कहा जाता है। इसलिए बिना इनके दर्शन के चित्रकूट की यात्रा फलित नहीं होती है।मत्यगजेंद्र का अपभ्रंश के कारण मत्तगजेंद्र नाम भी प्रचलित है।

समय: 24 घंटे खुला रहता है।

पता - मत्यगजेन्द्र नाथ शिव मंदिर, चित्रकूट-एमपी

चित्रकूट बस स्टैंड से दूरी: 2.5 किमी

रामायण युग से स्थापित है ये मंदिर

त्रेता युग में भगवान श्रीराम, माता जानकी और अपने प्रिय भाई लक्ष्मण के साथ जब वनवास का समय बिताने के लिए अयोध्या से निकले थे। तब वह पहले चित्रकूट पहुंचे थे। जब वे लोग चित्रकूट पहुंचे तो, उन्होंने क्षेत्रपाल मत्यगजेंद्र जी से आज्ञा लेना उचित समझकर उनसे मिलने पहुंचने वाले थे।चित्रकूट के स्थानीय संत ऋषि केशवानंद जी का कहना हैं कि श्रीराम ने लक्ष्मण जी को मत्यगजेंद्र नाथजी से निवास उनसे आज्ञा लेने के लिए आगे अकेले भेजा था। जहां लक्ष्मण जी के सामने दिगंबर स्वरूप में वे प्रकट हुए।



मत्यगजेंद्र जी लक्ष्मण जी के सामने अपना एक हाथ गुप्तांग और दूसरा हाथ अपने मुख पर रखकर नृत्य की कलाकृतियों में झूमने लगे। ये देखकर लक्ष्मणजी ने श्रीराम से इसका मतलब पूछा। तब श्रीराम जी ने इसका अर्थ यह बताते हुए कहा कि, ब्रह्मचर्य पालन करने और अपने शब्दों पर संयम रखने के संकेत हमें मिले है। जिसके बाद दोनों भाइयों ने पूरे वनवास समय में मत्यगजेंद्र नाथ की दी गई इस महत्वपूर्ण सीख का दृढ़ता के साथ पालन किया। राम जी सीता जी और लक्ष्मण जी ने 14 वर्ष में से साढ़े 11 वर्ष चित्रकूट में ही रहे थे ।

शिवपुराण में भी इस अनोखे मंदिर का उल्लेख किया गया हैं - 

ये मंदिर बहुत त्रेता युग के समय का साक्षी है, इस मंदिर पर यह भी मान्यता है कि इसकी स्थापना स्वयं ब्रह्मा जी ने की है। शिवपुराण में भी इसका उल्लेख किया गया है।

नायविंत समोदेशी नब्रम्ह सद्दशी पूरी।

यज्ञवेदी स्थितातत्र त्रिशद्धनुष मायता।।

शर्तअष्टोत्तरं कुण्ड ब्राम्हणां काल्पितं पुरा।

धताचकार विधिवच्छत् यज्ञम् खण्डितम्।। (शिवपुराण अष्टम खंड, द्वितीय अध्याय)।

मंदिर के पास कई तरह की सेवाएं 

मत्यगजेंद्र नाथ शिव मंदिर, मुख्यालय, चित्रकूट एमपी, चित्रकूट-एमपी में मंदिरों की श्रेणी में एक शीर्ष खिलाड़ी है। यह सुप्रसिद्ध प्रतिष्ठान स्थानीय और मध्य प्रदेश के चित्रकूट के अन्य हिस्सों के ग्राहकों को वन-स्टॉप डेस्टिनेशन यात्रा के दौरान, महत्त्वपूर्ण जगह है। चित्रकूट एचओ में मत्यगजेंद्र नाथ शिव मंदिर के पास अपने ग्राहकों की विभिन्न आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए उत्पादों और/या सेवाओं की एक विस्तृत श्रृंखला मौजूद है।।

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