Diwali 2024: भारत के इन राज्यों में बेहद अलग तरह से मनाई जाती है दीपावली, अलग अलग बनते हैं पकवान

Diwali 2024: उत्तरी भारत में दिवाली का त्योहार भगवान् राम के 14 साल के वनवास से अयोध्या नगरी लौटने के बाद मनाया जाता है।

Update:2024-10-17 16:39 IST

Diwali 2024 (Image Credit-Social Media)

Diwali 2024: दीपों का पर्व दीवाली इस साल 31 अक्टूबर 2024 को मनाई जाएगी। वहीँ आपको बता दें कि इस दिन पूरा भारत अपने घरों को दीयों की जगमगाहट से रोशन कर देते हैं। इस दिन भगवान् गणेश और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है लेकिन आपको बता दें कि भारत में कुछ ऐसे राज्य भी हैं जहाँ इस त्योहार को अलग तरह से मनाया जाता है। आइये जानते हैं कि भारत में कहाँ किस तरह से मनाई जाती है दिवाली।

भारत के इन राज्यों में अलग तरह से मनाई जाती है दिवाली

भारत विविधताओं में एकता का देश है वहीँ यहाँ अलग अलग भाषा भाषी एक साथ मिलजुलकर रहते हैं साथ ही साथ सभी के अलग तरह के रीति-रिवाज़ हैं। वहीँ आज हम आपको भारत के कुछ ऐसे राज्यों के बारे में बताने जा रहे हैं जहाँ ये त्योहार अलग तरह से मनाया जाता है।

उत्तरी भारत

उत्तरी भारत में दिवाली का त्योहार भगवान् राम के 14 साल के वनवास से अयोध्या नगरी लौटने के बाद मनाया जाता है। दरअसल जब भगवान् राम 14 साल के कठिन वनवास के बाद अपने नगर अयोध्या आये तो अयोध्यावासियों और पूरे भारत में सभी ने अपने घरों को दीयों की रौशनी से जगमगा दिया था। साथ ही उन्होंने पूरे नगर में सड़कों पर चरों तरफ दीयों से रोशन कर दिया। इसके साथ ही भगवान् राम,माता सीता और लक्षण के लौटने पर उनके स्वागत में आतिशबाज़ी भी की। ये समय था कार्तिक महीने की अमावस्या इसे साल की सबसे काली रात भी कहा जाता है। वहीँ दीपों से इस रात की कालिमा को दूर कर दिया जाता है।

ऐसे में उत्तर भारत में लोग दुर्गा पूजा के बाद दशहरा से दीवाली की शुरुआत कर देते हैं। इसमें उत्तर प्रदेश, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, बिहार आदि शामिल हैं। वहीँ यहाँ दिवाली के अगले दिन यानी परेवा पर जुआ और ताश पार्टी रखते हैं। वहीँ इस त्योहार के बाद 3 से 4 दिन तक गोवर्धन पूजा,भाई दूज, चित्रगुप्त पूजा इन सभी पूजा को भी किया जाता है। वहीँ दिवाली की रात ऐसी मान्यता है कि माता लक्ष्मी आएंगीं ऐसे में रात को दरवाज़ा खोल के सोने का भी रिवाज़ है। दिवाली पर लोग एक दूसरे को मिठाई देते हैं और इस त्योहर की मिठास सभी तक पहुंचाते हैं। दिवाली की रात को लोग कच्चा दिया चिराग पर उल्टा रखते हैं और सोने से पहले सभी को ये काजल लगाया जाता है। वहीँ आधी रात को दालुदर को घर से बाहर भागने की पूजा की जाती है जिससे घर की दरिद्रता बाहर जाये और माँ लक्ष्मी घर के अंदर आएं।

पश्चिमी भारत

पश्चिमी राज्य में भी दिवाली अलग तरह से मनाई जाती है। इसमें महाराष्ट्र शामिल है जहाँ अनोखी महाराष्ट्रियन परंपरा वसुबारस का प्रदर्शन किया जाता है। इसमें गायों का पूजन किया जाता है। वहीँ इसके साथ ही त्योहार के तीसरे दिन महाराष्ट्रीयन 'करंजी', 'चकली' और 'सेव' जैसी मिठाइयों और स्नैक्स की तैयारी पर दावत करते हैं, जिन्हें फरल भी कहा जाता है।

दक्षिणी भारत

दक्षिणी भारत में, दिवाली का त्योहार तमिल महीने में मनाया जाता है जिसे अइपसी कहते हैं। यहाँ नरक चतुर्दशी को मुख्य रूप से इस त्योहार को मनाया जाता है। इस दिन से पहले घर के चूल्हों को साफ किया जाता है और चूने से रगड़ा जाता है। वहीँ आपको बता दें कि चूल्हों को पानी से भी गर्म किया जाता है जिसका उपयोग नकरचतुर्दशी के दिन तेल स्नान के लिए किया जाता है। बाकि उत्तर भारत की ही तरह घरों को साफ़ किया जाता है वहीँ रंगोली की तरह, प्रवेश द्वारों को कोलम नामक डिज़ाइन से सजाया जाता है। वहीँ दक्षिणी भारतीय में, दिवाली की एक अतिरिक्त परंपरा को थलाई दीपावली कहा जाता है, जहां विवाहित जोड़े अपनी पहली दिवाली दुल्हन के माता-पिता के घर में मनाते हैं।

आंध्र प्रदेश में, एक विशेष परंपरा निभाई जाती है जो मूल रूप से भगवान हरि की कहानी का पुनर्कथन है। कर्नाटक में, थोड़ी अनोखी परंपरा को अश्विज कृष्ण चतुर्दशी कहा जाता है, जहां लोग भगवान कृष्ण की याद में तेल से स्नान करते हैं जिन्होंने नरकासुर के साथ युद्ध के खून को धोया था। कर्नाटक में दिवाली के तीसरे दिन को बाली पद्यामी कहा जाता है, जहां महिलाएं गाय के गोबर से किले बनाती हैं और राजा बाली की पूजा की जाती है।

पूर्वी भारत

पश्चिम बंगाल में दुर्गा पूजा एक विशेष त्योहार है और दिवाली को काली पूजा कहा जाता है। इस दौरान सड़कें पंडालों या काली की मूर्तियों वाले स्टालों से भरी रहती हैं। पंडाल में घूमना बंगाल में उत्सवों का एक बड़ा हिस्सा है जहां परिवार काली माँ की विभिन्न मूर्तियों की आराधना करने के लिए तैयार होते हैं।

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