Gujarat Hanuman Dandi Temple: गुजरात के इस मंदिर में पुत्र सहित विराजित हैं भगवान हनुमान
Gujarat Hanuman Dandi Temple: देश भर में भगवान हनुमान के कई सारे मंदिर मौजूद है। चलिए आज हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताते हैं जहां वह अपने पुत्र के साथ विराजमान हैं।
Gujarat Hanuman Dandi Temple: भारत में कई सारे ऐतिहासिक और धार्मिक स्थान मौजूद है जो पर्यटकों के बीच अपनी खासियत और चमत्कारों की वजह से प्रसिद्ध है। धार्मिक स्थानों की जब भी बात आती है तो सभी स्थान ऐसे हैं जिनसे कोई ना कोई कहानी चमत्कार जुड़ा हुआ है। हनुमान जी यह कैसे देवता हैं जिनके बारे में यह कहा जाता है कि वह आज भी हमारे बीच मौजूद है और हमारी रक्षा करते हैं। आज हम आपको हनुमान जी के कैसे मंदिर के बारे में बताते हैं जो पिता पुत्र के बीच की लड़ाई को खत्म कर देता है। हम हनुमान जी के जी मंदिर की बात कर रहे हैं वह गुजरात में द्वारका के निकट स्थित है और इस मंदिर में भगवान हनुमान अपने पुत्र मकरध्वज के साथ विराजित है। चलिए आपको भगवान हनुमान की पौराणिक कथा और इस मंदिर के बारे में बताते हैं।
हनुमान जी के पुत्र
रामायण में हनुमानजी के बारे में दी है जानकारी के अनुसार, मकरध्वज का जन्म मछली के गर्भ से हुआ था। लंक दहन के बाद हनुमानजी जब पूंछ में लगी आग को बुझाने समुद्र में उतरे तो उनके शरीर के टपकते पसीने को एक मछली ने निगल लिया। वह मछली एक अप्सरा थी जो शाप के कारण मछली बन गई थी। हनुमानजी के पसीने से मछली ने गर्भ धारण किया। इससे हनुमानजी के पुत्र मकरध्वज का जन्म हुआ।
ऐसी है कहानी
वह मछली अहिरावण के दरबार में लायी गई। जब मछली का पेट फाड़ा गया तो उसमें से एक बालक निकला जो दिखने में बलशाली लेकिन मुख वानर जैसा था। अहिरावण ने इसे अपने पास रख लिया और जब वह बड़ा हुआ तो उसे पाताल का द्वारपाल बना दिया। रावण वध के बाद अहिरावण अपनी माया से भगवान राम और लक्ष्मण को पाताल ले गया और उन्हें बंधक बना लिया। हनुमानजी जब दोनों को मुक्त कराने पाताल पहुंचे तो वहां उनका अपने पुत्र मकरध्वज से आमना-सामना हुआ। मकरध्वज और हनुमानजी में भयंकर युद्ध हुआ। युद्ध के दौरान जब मकरध्वज को हनुमानजी जी ने पराजित कर दिया तब उससे पूछा कि तुम्हारे पिता कौन हैं। मकरध्वज ने तब हनुमानजी को अपने जन्म की कथा सुनाई और बताया कि उनके पिता महावीर हनुमानजी हैं। इस तरह पिता और पुत्र का परिचय हुआ। ऐसा है मंदिर हनुमान जी का यह मंदिर बहुत ही खास है जहां उनके साथ उनके पुत्र मकरध्वज भी दिखाई देते हैं। हनुमान जी ब्रह्मचारी हैं लेकिन फिर भी उनके पास सीने से उत्पन्न हुए पुत्र के वह पिता हैं। इस मंदिर में पिता पुत्र की जो मूर्ति स्थापित है उनके हाथों में कोई भी अस्त्र शस्त्र नहीं है और वह प्रसन्न चित्र मुद्रा में विराजमान है।
ऐसी मान्यता
इस मंदिर से जुड़ी मान्यता के मुताबिक जिनपिता पुत्र के बीच किसी बात को लेकर वाद विवाद चल रहा है या उनकी अक्सर लड़ाई होती है। अगर वह लोग आकर यहां दर्शन करते हैं तो उनके बीच के matbhef समाप्त हो जाते हैं।