Famous Dussehra Mela 2023: भारत में यहाँ मनाया जाता है दुनिया का सबसे बड़ा दशहरा, 600 साल पुरानी चली आ रही ये प्रथा

Famous Dussehra Mela 2023: भारत के अलग अलग कोने में इसे अलग तरह से मनाया जाता है। आइये जानते हैं दुनिया का सबसे लंबा दशहरा कहाँ मनाया जाता है।

Update:2023-10-17 07:15 IST

Dussehra 2023 (Image Credit-Social Media)

Famous Dussehra Mela 2023: बुराई पर अच्छी की जीत का पर्व दशहरा 24 अक्टूबर को है। वहीँ इसकी तैयारी कई दिन पहले से शुरू हो जातीं हैं। रावण, मेघनाथ और कुम्भकरण का पुतला फूका जाता है और आतिशबाज़ी से पूरा आसमान जगमगा जाता है। वहीँ इसके पहले कई जगहों पर रामलीला का भी आयोजन होता है। जिसका अंत दशहरा पर रावण वध के साथ होता है। भारत के अलग अलग कोने में इसे अलग तरह से मनाया जाता है। आइये जानते हैं दुनिया का सबसे लंबा दशहरा कहाँ मनाया जाता है।

600 साल पुराने अनुष्ठान के साथ यहाँ मनाया जाता है सबसे लम्बा दशहरा

छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में अनोखा दशहरा उत्सव 600 साल पुरानी परंपरा का पालन करते हुए रविवार को शुरू हुआ, जिसमें देवी 'काछिन' बस्तर के 'राज परिवार' को उत्सव शुरू करने की अनुमति देती हैं। इस दौरान एक लड़की, जिसे 'काछिन' देवी माना जाता है, ने 'राज परिवार' को कांटों के झूले पर झूलकर 'दशहरा' मनाने की अनुमति दी।

छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में 600 साल पुराने अनुष्ठान के साथ रविवार को 75 दिवसीय दशहरा उत्सव मनाया गया। मुख्य कार्यक्रम जगदलपुर में होता है, जहां पूरा शहर खूबसूरत सजावट और जुलूसों से जीवंत हो उठता है। बस्तर में दशहरा उत्सव आम तौर पर 75 दिनों तक चलता है, जो इसे देश का सबसे लंबा दशहरा उत्सव बनाता है। बस्तर में ये 75-दिवसीय उत्सव विशिष्ट है क्योंकि यहां प्रतिदिन विशिष्ट अनुष्ठान मनाए जाते हैं, और अन्य क्षेत्रों के विपरीत जहां 'रावण' के पुतले जलाए जाते हैं, यहां ये त्योहार 'महिषासुर मर्दिनी आदिशक्ति' को श्रद्धांजलि देता है।

आपको बता दें कि जिले का आदिवासी समुदाय यहां के दशहरा उत्सव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। ये अनुष्ठान 600 साल से अधिक समय से किया जा रहा है। देवी द्वारा त्योहार मनाने की अनुमति देने के बाद, उत्सव शुरू होता है। 'कलश स्थापना' और 'रथ यात्रा' की रस्म आज से इस उत्सव की शुरूआत होती है। ऐसा भी माना जाता है कि यहाँ के राजा की दो बेटियों, अर्थात् काछिन देवी और रैला देवी, ने 'जौहर' (दुश्मनों के सामने आत्मसमर्पण करने के बजाय खुद को आग में जलाना) किया था। तब से बेटियों की पवित्र आत्माएं यहां घूमती रहती हैं और बच्चियों के पास आकर सभी को आशीर्वाद देती हैं। उनकी ही अनुमति लेकर हम कार्यक्रम की शुरुआत करते हैं।

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