Hanuman Ji Famous Temple: संजीवनी लेने के दौरान हनुमान की ने यहां किया था विश्राम
Sikkim Famous Hanuman Mandir: सिक्किम के इन सुंदर पहाड़ियों के बीच राज्य की राजधानी गंगटोक में एक बहुत ही खास जगह है। जो हिंदू महाकव्य रामायण से जुड़ी हुई है।
Famous Temple of Bajrangbali: सिक्किम राज्य भारत के खुबसूरत और ठंडे जगहों में से एक है। यह भारत के सीमा पर पड़ने वाला राज्य है। यहां पर ज्यादातर लोग बौद्ध धर्म को मानते है। लेकिन सिक्किम के इन सुंदर पहाड़ियों के बीच राज्य की राजधानी गंगटोक में एक बहुत ही खास जगह है। जो हिंदू महाकव्य रामायण से जुड़ी हुई है। हम बात कर रहे है हनुमान टोक की।
हनुमान टोक गंगटोक में स्थित सबसे प्रसिद्ध हिंदू तीर्थ स्थलों में से एक है। यह मंदिर भगवान हनुमान को समर्पित है। मंदिर को हनुमान टोक के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि स्थानीय लोगों के बीच मंदिर के लिए "टोक" शब्द है। वर्ष 1952 में स्थापित इस मंदिर की देखभाल "भारतीय सेना" द्वारा की जाती है। स्थानीय लोगो के अनुसार, जब हनुमान भगवान राम के भाई लक्ष्मण को बचाने के लिए दूनागिरी (पर्वत) पर उड़ान भर रहे थे, जिसके पास जीवन रक्षक जड़ी बूटी संजीवनी थी, तो उन्होंने कुछ समय के लिए उस स्थान पर विश्राम किया जहां अब उनका मंदिर है।
मन्दिर से जुड़ी खास जानकारी
दर्शन का समय
खुलने का समय - प्रातः 07:00 बजे
समापन समय - सायं 05:00 बजे
ड्रेस कोड
पारंपरिक और औपचारिक कपड़े
फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी
अनुमत
प्रसाद
उपलब्ध
मंदिर का लोकेशन और ऊंचाई
हनुमान टोक गंगटोक-नाथुला राजमार्ग की द्विभाजित सड़क पर व्हाइट हॉल से लगभग 5 किमी की दूरी पर स्थित है। सिक्किम में यह मंदिर गंगटोक से 11 किलोमीटर दूर, एक अन्य प्रसिद्ध आकर्षण, नाथुला की सड़क पर स्थित है। यह मंदिर 7,200 फीट की ऊंचाई पर स्थित मंदिर है जो दुनिया की तीसरी सबसे ऊंची चोटी है जहां से माउंट कंचनजंगा और गंगटोक शहर के सुन्दर दृश्यों को देखा जा सकता है। इस पहाड़ी की चोटी से आप गंगटोक शहर और आसपास की पहाड़ियों का अद्भुत दृश्य देख सकते हैं। यह भगवान हनुमान को समर्पित एक मंदिर है। यह पूरी तरह से साफ सुथरा देखा जा सकता है।
कैसे पहुंच सकते है यहां
हनुमान टोक गंगटोक से 11 किलोमीटर दूर स्थित है, इस स्थान तक पहुंचने के लिए, आप शहर से स्थानीय टैक्सियों का लाभ उठा सकते हैं। साइट पर जाने का सबसे अच्छा समय मार्च से जून है। पूरे दिन यात्रा करना सुखद रहता है। इस समय मौसम भी इस अभियान के लिए सबसे उपयुक्त है।
मंदिर निर्माण का इतिहास
बहुत समय पहले स्थानीय लोग यहां खुले में पत्थर की पूजा करते थे। लेकिन अप्पाजी पंत नाम के एक अधिकारी ने वर्ष 1950 के दशक में इस स्थान के बारे में एक दिव्य सपना देखने के बाद भगवान हनुमान की मूर्ति स्थापित की थी। हनुमान टोक मंदिर को मनोकामना पूरी करने वाला माना जाता है, इसी मान्यता के कारण स्थानीय लोगों के साथ-साथ पर्यटक तीर्थयात्री भी बड़ी संख्या में यहां आते हैं। 1968 में पूरा क्षेत्र भारतीय सेना को सौंप दिया गया था, इसलिए अब इस जगह की देखभाल और संरक्षण सेना द्वारा किया जाता है।
मन्दिर को लेकर धार्मिक मान्यता
किंवदंतियों के अनुसार, भगवान राम के भाई लक्ष्मण को बचाने के लिए हिमालय से लंका तक संजीवनी पर्वत के साथ उड़ान भरते समय हनुमान आराम करने के लिए इसी स्थान पर आए थे। हनुमान मंदिर के पास ही साईबाबा का एक छोटा सा मंदिर भी है। यहां रहते हुए, आप कई स्तूप भी देख सकते हैं और सीढ़ी के प्रवेश द्वार से ठीक पहले, आपको सिक्किम के नामग्याल शाही परिवार का एक श्मशान घाट मिलेगा। गंगटोक का यह धार्मिक स्थान हरे-भरे हरियाली और दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी चोटी माउंट कंचनजंगा के दृश्य से घिरा हुआ है। हनुमान टोक की देखभाल वर्तमान में भारतीय सेना द्वारा की जाती है।