Ghaziabad Famous Temple: इस मंदिर में शिवलिंग को रावण के पिता ने किया था स्थापित, जिसकी कथा भी है खास

Ghaziabad Famous Mahadev Mandir: मंदिर में आंतरिक शांति का एहसास तब होता है, यह मंदिर महादेव के एकरूप दूधेश्वर नाथ से जाना जाता है।

Written By :  Yachana Jaiswal
Update: 2024-05-03 04:30 GMT

Doodheshwar Nath Mandir (Pic Credit-Social Media)

Ghaziabad Famous Mahadev Mandir: उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले में भगवान शिव का एक भव्य मंदिर है। जहां शिवलिंग पर दूध चढ़ाने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती है। भगवान शिव के इस रूप को दूधेश्वर नाथ के नाम से क्षेत्र के लोग पूजने लगे थे। जिसके बाद से इस मंदिर के शिवलिंग को इसी नाम से जाना जाने लगा। इस मंदिर में गहन मन और आंतरिक शांति का एहसास तब होता है जब घंटियों की आवाज आपके कानों पर पड़ती है। क्षेत्र का सबसे अच्छा मंदिर है। भगवान श्री दूधेश्वर महादेव के दर्शन के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ती है।

मंदिर से जुडी खास जानकारी

नाम: दूधेश्वर महादेव

लोकेशन- प्रेम नगर, माधोपुरा, गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश

समय – मंदिर में दर्शन सुबह 4 बजे से दोपहर 1 बजे तक मिलते है। उसके पश्चात् शाम के 4 से रात के 11 बजे तक मिलता है।

यह मंदिर शहर के एक बहुत व्यस्त हिस्से में स्थित है, इसलिए यहां यातायात हमेशा भारी रहता है और पार्किंग के सीमित विकल्प हैं, सार्वजनिक परिवहन लेना उचित है या बस बाइक या कुछ और पर आएं, सोमवार को सामान्य से अधिक भीड़ होती है और आमतौर पर कतार लगती है लेकिन लंबी कतार से बचने के लिए कोई शाम को जा सकता है।



कैसे पहुंचे मन्दिर तक

शहरी परिवहन द्वारा मंदिर तक पहुँच सकते हैं, जहाँ शहर के विभिन्न हिस्सों से हर आधे घंटे में बसें आती हैं। हम निजी कैब और रिक्शा जैसे अन्य परिवहन का भी उपयोग करेंगे। यह आपको बहुत मामूली कीमतों पर मंदिर तक पहुंचाएगा। हम निकटतम मेट्रो स्टेशन यानी प्रेम नगर या वैशाली तक मेट्रो भी ले सकते हैं और मंदिर तक पहुंचने के लिए फिर ऑटो-रिक्शा ले सकते हैं।



मंदिर की उत्पत्ति को लेकर प्रसिद्ध किंवदंती

भगवान शिव को समर्पित यह एक बहुत पुराना मंदिर है। मंदिर की खोज के बारे में एक बहुत ही दिलचस्प कहानी है। दरअसल यह हरा-भरा मैदान था, और चरवाहे यहां आया करते थे। ताकि गायें यहां स्वतंत्र रूप से चर सकें। उन्होंने पाया कि कोई उनकी जानकारी के बिना गाय का दूध निकाल रहा है। ध्यान से देखने पर उन्होंने पाया कि जब गाय एक निश्चित बिंदु पर आती है तो उनके शरीर से दूध अपने आप टपकने लगता है। फिर उन्होंने इस स्थान पर खुदाई शुरू की और गहराई में जाने पर उन्हें भगवान शिव का प्रारूप शिवलिंग यहां मिला।



 न्दिर को लेकर दूसरी कहानी

वहीं दूसरी ओर कोट नामक गांव में उच्चकोटि के दसनामी जूना अखाड़े के एक सन्यासी सिद्ध महात्मा को भगवान शिव ने स्वप्न में दर्शन दिए और उस स्थान पर पहुंचने का आदेश दिया। प्रातः इधर गाँव वाले लोग पहुंचे और दूसरी तरफ से महात्मा अपने शिष्यों के साथ इस पावन स्थल पर पहुंच गए। इसके बाद खुदाई शुरू की गई। खुदाई के बाद शिवलिंग नजर आएं। इसके बाद उनकी वहां स्थापना करके पूजा की जाने लगी।

दशानन से भी है इस मंदिर का संबंध

ग़ाज़ियाबाद के इस दूधेश्वर नाथ मंदिर का संबंध रावण काल से भी जोड़ा जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, हिंडन नदी के किनारे पुलस्त्य के पुत्र ऋषि विश्रवा ने घोर तपस्या की थी जोकि रावण के पिता थे। इसी स्थान को दुधेश्वर हिरण्यगर्भ महादेव मंदिर मठ के रूप में जानते हैं। माना जाता है कि यहां पर भगवान शिव खुद प्रकट हुए थे। आज यहां पर जमीन से तीन फीट नीचे शिवलिंग मौजूद है।

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