Gujrat Famous Tourist Place: कला प्रेमियों के लिए बहुत खास है गुजरात का ये संग्रहालय

Gujrat Famous Tourist Place: पर्यटन के हिसाब से गुजरात एक प्रसिद्ध जगह है। अगर आप इतिहास प्रेमी हैं तो आपको अहमदाबाद के संग्रहालय जरूर जाना चाहिए।

Update: 2024-05-27 03:30 GMT

Lalbhai Dalpatbhai Museum Gujrat (Photos - Social Media)

Lalbhai Dalpatbhai Museum Gujrat : गुजरात भारत का एक ऐसा राज्य है जिसे अपनी समृद्धि संस्कृति और खूबसूरत पर्यटक स्थलों की वजह से पहचाना जाता है। अगर आप एक ऐसे व्यक्ति हैं जो इतिहास और कला में दिलचस्पी रखते हैं तो आज हम आपको गुजरात की एक शानदार जगह के बारे में बताते हैं जहां जाकर आपको इतिहास से रूबरू होने का मौका मिल सकेगा। इस जगह पर जाकर आप 75000 पांडुलिपियों का संग्रह और अलग-अलग भाषाओं के 45000 पुस्तक देख सकते हैं। हम जिस जगह की बात कर रहे हैं यह गुजरात के अहमदाबाद में मौजूद लाल भाई दलपत भाई संग्रहालय जहां पर छठवीं शताब्दी की प्रतिमाएं आज भी देखने को मिलती है।

कब बना म्यूजियम (When Was The Museum Built?)

लाल भाई दलपत भाई संग्रहालय इतिहास प्रेमियों के लिए एक बहुत ही खास जगह है। 1956 में एलडी इंस्टीट्यूट आफ इंडोलॉजी के रूप में इसकी शुरुआत हुई थी। इस संग्रहालय को शुरू करने के लिए अहमदाबाद के प्रसिद्ध उद्योगपति कस्तुरभाई लाल भाई और साधु मुनि पुण्य विजय जी ने बहुत कोशिश की थी।

Lalbhai Dalpatbhai Museum Gujrat


1985 में जनता के लिए खुला (Opened For Public in 1985)

छोटे से संग्रह से शुरू हुई यह जगह धीरे-धीरे संग्रहालय में बदलती चली गई और एक नई इमारत में तब्दील होने के बाद 1985 में से जनता के लिए खोल दिया गया।

देख सकते हैं ये चीजें (You Can See These Things)

इस संग्रहालय में 11वीं सदी की नटराज की प्रतिमा देखी जा सकती है जो चोल साम्राज्य से जुड़ी हुई है। 18 वीं शताब्दी के नेपाली और तिब्बती संग्रह चीनी जापानी शैली की अलमारी भी यहां पर आकर्षण का केंद्र है। इस संग्रहालय में आपको 1855 से ज्यादा पेंटिंग देखने को मिलेगी इसके अलावा पाली, गुजराती, हिंदी, संस्कृत, राजस्थानी भाषा में लिखी गई 45000 पुस्तक भी यहां पर मौजूद है।

Lalbhai Dalpatbhai Museum Gujrat


75 हजार पांडुलिपियों का संग्रह (Collection Of 75 Thousand Manuscripts)

लालभाई दलपत भाई संग्रहालय में मूर्तियां, पांडुलिपियों, चित्र, कांस्य कृतियां, पत्थर, संगमरमर, तांबे और लकड़ी से बनी कलाकृतियां देखने को मिलेंगी। यहां पर जैन धर्म से जुड़ी 75000 पांडुलिपियों मौजूद है। छठवीं शताब्दी में पत्थर से तशी की भगवान राम की प्रतिमा भी यहां सबसे बड़ा आकर्षण है। भारतीय संस्कृति से जुड़ी मध्यकालीन चीजों की आप यहां पर देख सकते हैं। 

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