Guwahati Kamakhya Temple: कामाख्या मंदिर के रहस्य जान हो जाएंगे हैरान, ऐसे बनाएं यहां जाने का प्लान

Kamakhya Temple Guwahati: कामाख्या देवी का मंदिर दुनियाभर में बहुत प्रसिद्ध है। चलिए आज हम आपको इस मंदिर के बारे में बताते हैं।

Update:2024-03-13 10:25 IST

 Kamakhya Temple Guwahati (Photos - Social Media)

Kamakhya Temple Guwahati: माता कामाख्या को समर्पित कामाख्या देवी मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक है। इस मंदिर में कई ऐसी रोचक घटनाएं घटित होती हैं जो व्यक्ति को अचरज में डाल देती हैं। इस मंदिर में कोई मूर्ति नहीं है। मूर्ति के स्थान पर यहां एक योनि-कुण्ड स्थित है। जो फूलों से ढका रहता है। इस कुंड की खासियत यह है कि इस कुंड से हमेशा पानी निकलता रहता है।

मंदिर से जुड़ी पौराणिक कथा

माता कामाख्या को समर्पित कामाख्या देवी मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक है। इस मंदिर में कई ऐसी रोचक घटनाएं घटित होती हैं जो व्यक्ति को अचरज में डाल देती हैं। इस मंदिर में कोई मूर्ति नहीं है। मूर्ति के स्थान पर यहां एक योनि-कुण्ड स्थित है। जो फूलों से ढका रहता है। इस कुंड की खासियत यह है कि इस कुंड से हमेशा पानी निकलता रहता है।

Kamakhya Temple Guwahati


पौराणिक कथा

धर्म पुराणों के अनुसार माना जाता है कि इस शक्तिपीठ का नाम कामाख्या इसलिए पड़ा क्योंकि इस जगह भगवान शिव का मां सती के प्रति मोह भंग करने के लिए विष्णु भगवान ने अपने चक्र से माता सती के 51 भाग किए थे जहां पर यह भाग गिरे वहां पर माता का एक शक्तिपीठ बन गया और इस जगह माता की योनी गिरी थी, जोकी आज बहुत ही शक्तिशाली पीठ है। यहां वैसे तो सालभर ही भक्तों का तांता लगा रहता है लेकिन दुर्गा पूजा, पोहान बिया, दुर्गादेऊल, वसंती पूजा, मदानदेऊल, अम्बुवासी और मनासा पूजा पर इस मंदिर का अलग ही महत्व है जिसके कारण इन दिनों में लाखों की संख्या में भक्त यहां पहुचतें है।

कब जाएं कामाख्या मंदिर

कामख्या मंदिर की यात्रा के लिए साल में किसी भी दिन को शुभ माना जा सकता है, लेकिन यदि आप देवी का आशीर्वाद शीघ्र प्राप्त करना चाहते हैं, तो यहां नवरात्रि के समय में जाएं। बता दें कि देवी सती के योनि रूप की पूजा की जाती है, इसलिए यहां महिलाएं अपने मासिक धर्म के दौरान भी जा सकती हैं।

Kamakhya Temple Guwahati


दिया जाता है अनोखा प्रसाद

यहां तीन दिन मासिक धर्म के चलते एक सफेद कपड़ा माता के दरबार में रख दिया जाता है और तीन दिन बाद जब दरबार खुलते है तो कपड़ा लाल रंग में भीगा होता है। जिसे प्रसाद के रूप में भक्तों को दिया जाता है। माता सती का मासिक धर्म वाला कपड़ा बहुत पवित्र माना जाता है।

वायु परिवहन

कामाख्या मंदिर के सबसे नजदीक लोकप्रिय गोपीनाथ बारडोलोई एयरपोर्ट (गुवाहाटी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा) है। एयरपोर्ट से मंदिर की दूरी महज 20 किलोमीटर है। इस एयरपोर्ट के लिए नई दिल्ली, मुंबई और चेन्नै से नियमित फ्लाइट मिल जाती हैं। आप यहां आकर टैक्सी, ऑटो या फिर बस के जरिए मंदिर तक जा सकते हैं।

सड़क परिवहन

गुवाहाटी रेलवे स्टेशन और कामाख्या मंदिर के बीच 7 किलोमीटर की दूरी है। रेलवे स्टेशन से बाहर निकलकर फुट ओवर ब्रिज को पार करें। अब यहां से ऑटो रिक्शा, बस या टैक्सी कर लें। आम तौर पर ऑटो रिक्शा 100 रुपये लेता है। आप चाहें तो असम ट्रांसपोर्ट कॉर्पोरेशन की बसों में भी यात्रा कर सकते हैं। सलाह यही है कि पहले आप होटेल में जाएं ताकि वहां थोड़ी देर रेस्ट करके आराम से तरोताजा दिमाग के साथ मंदिर की ओर प्रस्थान कर सकें। बाकी देवी मंदिरों की तरह ही कामाख्या देवी का मंदिर भी एक पहाड़ी पर स्थित है। इस पहाड़ी का नाम नीलाचल पर्वत है। इस पहाड़ी के नीचे से सीढ़ियां शुरू होती हैं जहां से आप मंदिर के लिए यात्रा शुरू कर सकते हैं। वृद्ध लोगों के लिए यहां कुलियों की भी व्यवस्था भी है

Kamakhya Temple Guwahati


रेल परिवहन

कामाख्या शहर के लिए अपना एक जंक्शन है। इसका नाम कामाख्या जंक्शन रेलवे स्टेशन है। हालांकि देश के सभी कोनों से कनेक्टिविटी के लिए गुवाहाटी रेलवे स्टेशन ही बेस्ट है। गुवाहाटी रेलवे स्टेशन पहुंचने के बाद किसी ऑटो/बस के सहारे मंदिर या अपनी तय होटेल का सफर किया जा सकता है।

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