Gyanvapi History: यहां जानें ज्ञानवापी से जुड़ा इतिहास, आसपास मौजूद है ये पवित्र स्थान

Gyanvapi History: वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद का मामला बीते कई दिनों से कोर्ट में चल रहा है। मामले में हाई कोर्ट ने पूजन जारी रखने के आदेश दिए हैं।

Update:2024-02-26 13:16 IST

Gyanvapi Mandir History Significance (source : social media)

Gyanvapi History : उत्तर प्रदेश के वाराणसी में मौजूद ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का मामला पिछले कई दिनों से चर्चा में बना हुआ है। यहां पर पूजा करने की अनुमति दे दी गई है जिस पर अब इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी मुहर लगा दी है। मस्जिद पक्ष द्वारा हाईकोर्ट में याचिका लगाई गई थी। जिस पर 5 दिन तक चली सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख दिया गया था।

दिया ये फैसला

आज हाई कोर्ट ने अपने सुरक्षित रखे हुए फैसले को सुनाया और मुस्लिम पक्ष की याचिका को खारिज करते हुए पूजा जारी रखने की अनुमति दी है। फैसला सामने आने के बाद हिंदू पक्ष के वकील का कहना है कि यह सनातन धर्म की जीत है क्योंकि हाई कोर्ट ने पूजा जारी रखने का निर्णय सुनाया है। चलिए आज हम आपको ज्ञानवापी के इतिहास से रूबरू करवाते हैं।

ज्ञानवापी क्या है

ज्ञानवापी एक संस्कृत शब्द है जिसका मतलब ज्ञान का कुआं होता है। वाराणसी में स्थित ज्ञानवापी मस्जिद का नाम इसी कुएं के नाम पर रखा गया है। स्कंद पुराण में दिए गए विवरण के मुताबिक भगवान शिव ने अपने त्रिशूल से इस कुएं का निर्माण किया था। माना जाता है कि इस कुएं का पानी बहुत पवित्र है और इसे पीने से व्यक्ति को ज्ञान की प्राप्ति होती है।

ज्ञानवापी मस्जिद, काशी विश्वनाथ मंदिर से सटी हुई है. हिंदू पक्ष का दावा है कि यहां भगवान विश्वेश्वर का स्वयंभू ज्योतिर्लिंग स्थापित था। 1669 में मुग़ल आक्रमणकारी औरंगज़ेब ने प्राचीन विश्वेश्वर मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनवाई थी। 1991 से इस मस्जिद को हटाकर मंदिर बनाने की लड़ाई चल रही है।

ज्ञानवापी मस्जिद से जुड़े अलग-अलग अदालतों में 20 से ज़्यादा मुकदमे चल रहे हैं। हिंदू पक्ष का दावा है कि ASI के सर्वे में ज्ञानवापी के तहखाने में मंदिर से जुड़ी कलाकृतियां मिली हैं। दीवारों पर त्रिशूल, कलश, कमल और स्वास्तिक के निशान मिले हैं।

ज्ञानवापी

ज्ञानवापी का इतिहास

ज्ञानवापी मस्जिद वाराणसी मे स्थित एक विवादित मस्जिद है। यह मस्जिद काशी विश्वनाथ मंदिर से सटी हुई है। ईस्वी 1669 में, मुगल सम्राट औरंगजेब के आदेश से, मंदिर को अंततः ध्वस्त कर दिया गया और उसके स्थान पर एक ज्ञानवापी मस्जिद का निर्माण किया गया। 1776 और 1978 के बीच, इंदौर की रानी अहिल्याबाई होल्कर ने ज्ञानवापी मस्जिद के पास वर्तमान काशी विश्वनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार किया।

ज्ञानवापी के तहखाने में क्या है

उस समय तत्कालीन मुलायम सिंह यादव सरकार ने दिसंबर 1993 में पूजा पाठ को रुकवा दिया था। ऐसे में उन्हें 30 साल बाद इंसाफ मिला है। तहखाने में हिंदू धर्म के देवी देवताओं की प्राचीन मूर्तियां मौजूद हैं।

ज्ञानवापी

प्रमुख पर्यटन स्थल

काशी विश्वनाथ मंदिर

काशी विश्वनाथ मंदिर भगवान शिव को समर्पित एक प्रसिद्ध हिंदू मंदिर है। यह भारत के उत्तर प्रदेश के प्राचीन शहर बनारस के विश्वनाथ गली में स्थित है। यह हिंदुओं के सबसे पवित्र तीर्थ स्थलों में से एक है और भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंग मंदिरों में से एक है। यह मंदिर पिछले कई हजारों सालों से पवित्र गंगा नदी के पश्चिमी तट पर स्थित है। मंदिर के मुख्य देवता को श्री विश्वनाथ और विश्वेश्वर के नाम से जाना जाता है, जिसका शाब्दिक अर्थ है ब्रह्मांड के भगवान। ऐसा माना जाता है कि एक बार इस मंदिर के दर्शन करने और पवित्र गंगा में स्‍नान कर लेने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।

काशी विश्वनाथ मंदिर

अस्सी घाट

ये वाराणसी के प्रमुख और प्रसिद्ध घाटों में से एक है। यह गंगा नदी के किनारे स्थित है। यह भारतीय संस्कृति और पौराणिक कथाओं से घिरा हुआ है। अस्सी घाट वाराणसी के सबसे प्रचीन और प्रमुख घाटों में से एक है, जिसे हजारों भक्त स्नान के लिए आते हैं।

अस्सी घाट

रामनगर किला

रामनगर का किला वाराणसी के रामनगर में स्थित है। यह गंगा नदी के पूर्वी तट पर तुलसी घाट के सामने स्थित है। इसका निर्माण 1750 में काशी नरेश बलवन्त सिंह ने कराया था। यह मक्खन के रंग वाले चुनार के बलुआ पत्थर से बना है। वर्तमान समय में यह किला अच्छी स्थिति में नहीं है। यह दुर्ग तथा इसका संग्रहालय बनारस के इतिहास का खजाना है।

रामनगर किला

संकट मोचन हनुमान मंदिर

संकट मोचन हनुमान मंदिर हिन्दू भगवान हनुमान के पवित्र मंदिरों में से एक हैं। यह वाराणसी, उत्तर प्रदेश, भारत में स्थित है। यह बनारस हिंदू विश्वविद्यालय कॆ नजदीक दुर्गा मंदिर और नयॆ विश्वनाथ मंदिर के रास्ते में स्थित हैं। बनारस का प्रसिद्ध संकट मोचन हनुमान मंदिर, जिसके नाम से ही उसका अर्थ दर्शाता है लोगों की परेशानियों और दुख हरने वाला ये मंदिर हनुमान जी के प्राचीन मंदिरों में से एक है। इस मंदिर का इतिहास बहुत ही पवित्र है। इस मंदिर की स्थापना वहीं हुई है जहां तुलसीदास जी को पहली बार हनुमान जी का स्वप्न आया था।

संकट मोचन हनुमान मंदिर


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