Himachal Pradesh Shiv Mandir: हिमाचल का यह खूबसूरत मंदिर, शिव जी को है समर्पित
Solan Famous Shiv Mandir: हिमाचल प्रदेश में पर्यटक से हटकर अगर धार्मिक जगह की तलाश में है तो यहां पर एक बहुत ही भव्य मंदिर आपके लिए ढूंढ निकाला है।
Shiv Ji Ka Anokha Mandir: हिमाचल प्रदेश पर्यटकों की पहली पसंद है। यदि कोई पर्यटक हिमाचल जाता है तो, उसका सबसे बड़ा आकर्षण का केंद्र ऊंचे स्थानों पर निवास करने वाले मंदिर जाना होता है। यदि आप भी हिमाचल प्रदेश जाने का प्लान कर रहे है तो, एक बहुत ही खूबसूरत मन्दिर है, जहां जाने से आप बिल्कुल भी न चुके। पहाड़ी की चोटी पर स्थित एक भव्य और शानदार मंदिर देखना चाहते है, तो जटोली शिव मंदिर (Jatoli Shiv Temple) उसके लिए उपयुक्त स्थान है। इस मंदिर की वास्तुकला देख आप भी आश्चर्यचकित हो जायेंगे की पहाड़ पर ऐसा भव्य मंदिर भी हो सकता है। इस मंदिर के नाम, जटोली का नाम भगवान शिव की लंबी जटा (बाल) के कारण रखा गया है। एशिया का सबसे ऊंचा शिव मंदिर माना जाने वाला यह मंदिर वास्तव में एक वास्तुशिल्प का चमत्कार है।
जटोली मंदिर की खूबसूरती जरूर देखे(Jatoli Shiv Mandir)
जटोली शिव मंदिर सोलन के प्रसिद्ध पवित्र स्थलों में से एक है जो बड़ी संख्या में तीर्थयात्रियों को आकर्षित करता है और शहर से केवल 6 किलोमीटर दूर है। यह मंदिर अपनी भव्यता के साथ एशिया का सबसे ऊंचा शिव मंदिर के रूप में भी जाना जाता है। इस मंदिर की भव्यता से आप इसके धार्मिक महत्व का अंदाजा लगा सकते है।
लोकेशन: शिव मंदिर, सोलन हिमाचल प्रदेश जटोली, सोलन, हिमाचल प्रदेश
समय: 24 घंटे
जटोली शिव मंदिर के इतिहास के साथ कई किंवदंतियों से जुड़ी हुई हैं। यह भगवान शिव के सबसे पुराने मंदिरों में से एक है, जहां लंबे समय से एक प्राचीन लिंग भी स्थापित किया हुआ है। ऐसा माना जाता है कि यह मंदिर कभी भगवान शिव का विश्राम स्थल हुआ करता था।
जटोली शिव मंदिर की वास्तुकला
एशिया का सबसे ऊंचा शिव मंदिर माना जाने वाला यह मंदिर वास्तव में एक वास्तुशिल्प चमत्कार है। जटोली शिव मंदिर सोलन के प्रसिद्ध पवित्र स्थलों में से एक है जो बड़ी संख्या में तीर्थयात्रियों को आकर्षित करता है। यह मंदिर विशिष्ट दक्षिणी-द्रविड़ शैली की वास्तुकला में बना है और लगातार तीन पिरामिडों से बना है। पहले पिरामिड पर भगवान गणेश की छवि देखी जा सकती है जबकि दूसरे पिरामिड पर शेष नाग की मूर्ति है। जटोली शिव मंदिर को एशिया का सबसे ऊंचा मंदिर होने का दर्जा प्राप्त है; मंदिर का निर्माण पूरा होने में 39 साल का समय लगा था।
मंदिर के पास है औषधीय जलकुंड
मंदिर के दूसरे कोने के तरफ एक पानी का तालाब जैसा भी बना हुआ है जिसे 'जल कुंड' कहा जाता है। इस कुंड को पवित्र नदी गंगा के समान माना जाता है। कहा जाता है कि इस तालाब के पानी में कई औषधीय गुण हैं जो त्वचा रोगों के इलाज के लिए उपयुक्त माने जाते हैं। मंदिर के अंदर एक गुफा है जहां स्वामी कृष्णानंद परमहंस जी रहते थे। यह प्राचीन मंदिर अपने वार्षिक मेले के लिए प्रसिद्ध है, जो महाशिवरात्रि के त्योहार के दौरान आयोजित किया जाता है। मंदिर में पूजा-अर्चना के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु एकत्रित होते हैं।