Srikhand Mahadev Details: श्रीखंड कैलाश हिमाचल का सबसे शानदार ट्रेक, यहां जानें महत्व और सभी डिटेल्स
Srikhand Mahadev Trekking: हिमाचल में जब सभी पहाड़ बर्फ से ढके रहते है, वहीं एक ऐसा स्थान है जो अपने धार्मिक मान्यताओं से प्रसिद्ध है। जहां कभी बर्फ नहीं जमा होता है..
Himachal Famous Trekking: श्रीखंड महादेव, भारत के सबसे कठिन तीर्थस्थलों में से एक, हिंदू पौराणिक कथाओं में भगवान शिव के लिए जाना जाता है। यह हिन्दूओं का प्रमुख तीर्थ स्थान है। इसे भगवान शिव का निवास स्थान माना जाता है। यह हिमाचल में एक रोमांचकारी और साहसिक ट्रेक भी कहा जाता है। जिसका नाम भगवान शिव के नाम पर रखा गया है। इस ट्रेक का प्रमुख आकर्षण पार्वती घाटी से हिमालय पर्वतमाला का मनमोहक नजारा है।
पंच कैलाशों में से एक है श्रीखंड
हिंदू पौराणिक कथाओं में पंच कैलाशों के बारे में बात की गई है , अर्थात् तिब्बत में कैलाश मानसरोवर, उत्तराखंड में आदि कैलाश और हिमाचल प्रदेश में श्रीखंड महादेव कैलाश, मणि महेश कैलाश और किन्नर कैलाश है। ये 5 कैलाश भगवान शिव के पवित्र निवास माने जाते हैं, जहां महादेव रहते हैं और ध्यान करते हैं। निस्संदेह श्रीखंड कैलाश ट्रेक दुनिया भर के एडवेंचर प्रेमियों के लिए सबसे रोमांचक और चुनौतीपूर्ण ट्रेक में से एक है। श्रीखंड महादेव यात्रा करने के बाद हमारा लक्ष्य ही यहां आकर्षण का प्रमुख केंद्र है, वो है श्रीखंड महादेव का शिवलिंग।
यात्रा का सही समय
श्रीखंड कैलाश क्षेत्र में जुलाई से अगस्त तक मानसून का मौसम होता है। हालांकि, ये महीने आधिकारिक समय हैं जब श्रीखंड महादेव यात्रा के लिए श्रद्धालु आते है। भारत के विभिन्न हिस्सों से भक्त श्रीखंड महादेव शिखर की यात्रा करने और भगवान शिव का आशीर्वाद लेने के लिए 32 किमी की पैदल यात्रा करते हैं।
समुद्र तल से ऊँचाई - 5200 मीटर
विज़िट किए जाने वाले स्थान: रामपुर - जाओ गांव - सिंगाराह - भीम तलाई - पार्वती बाग - मान सरोवर - श्री खंड महादेव - वापस
समय: 6 दिन
जाने का सबसे अच्छा मौसम- जून से सितंबर
लोकेशन: श्रीखंड महादेव, हिमाचल प्रदेश
हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले में यह पवित्र स्थान है। जाओं गांव को श्रीखंड महादेव ट्रेक का आधार माना जाता है। इस स्थल को हिंदू धर्म के अनुयायियों, विशेषकर भगवान शिव के भक्तों द्वारा बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है।
श्रीखंड महादेव का इतिहास
श्रीखंड शब्द की उत्पत्ति सर खंडन से हुई है क्योंकि ऐसा कहा जाता है कि राक्षस राजा रावण यहां गहरी तपस्या करता था। उसने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए अपना सिर काट दिया था और अंततः रावण को भगवान शिव से अमरता का आशीर्वाद मिला था।
एक अन्य कथा के अनुसार भस्मासुर को भगवान शिव से किसी को भी भस्म कर देने का वरदान प्राप्त था। भस्मासुर ने इसका फायदा उठाया और भोले बाबा को नष्ट करने का प्रयास किया। जिसके पश्चात, भगवान शिव देवढांक से भागने में सफल रहे और इस बड़ी चट्टान के शीर्ष पर समाधि ले ली थी। जिसे अब श्रीखंड महादेव शिवलिंग के रूप में जाना जाता है। भगवान शिव बाद में इस समाधि से उभरे, लेकिन इसके लिए माता पार्वती और उनके बच्चे भगवान गणेश और भगवान कार्तिकेय को कठिन परीक्षा से गुजरना पड़ा। श्रीखंड कैलाश शिखर पर दरारें अभी भी देखी जा सकती हैं।
श्रीखंड कैलाश की संरचना
18,570 फीट ऊंचे पहाड़ की चोटी पर 75 फीट ऊंचे श्रीखंड महादेव शिखर को स्वयंभू शिवलिंग माना जाता है। भगवान शिव के चेहरे को इस विशाल शिवलिंग द्वारा दर्शाया गया है। जो उलझे हुए बालों, आँखों और नाक से प्रदर्शित है। हर साल भगवान शिव के इस पवित्र शिखर पर महादेव के कई भक्त आते हैं। निकटवर्ती चोटियाँ बर्फ से ढकी होने पर भी श्रीखण्ड महादेव कभी बर्फ से नहीं ढकता।