History Of Charminar: हैदराबाद की पहचान बन चुके ऐतिहासिक 'चारमीनार' का क्या है इतिहास? जानिए एक-एक डिटेल

Hyderabad Charminar Ka Itihas: चारमीनार, हैदराबाद के सबसे प्रसिद्ध स्थल के रूप में जाना जाता है। चारमीनार के चार कोनों में चार मीनारें हैं, जो एक ऊंची मंजिल पर स्थित हैं जहां से शहर का मनोरम दृश्य देखा जा सकता है।;

Written By :  Shivani Jawanjal
Update:2025-01-18 08:00 IST

Charminar (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

Charminar History In Hindi: चारमीनार भारत के तेलंगाना राज्य (Telangana) की राजधानी हैदराबाद (Hyderabad) में स्थित एक स्मारक और मस्जिद है। हैदराबाद की पहचान 'चारमीनार' (Charminar), भारत के प्रमुख और प्रसिद्ध ऐतिहासिक स्थलों (Famous Historical Sites Of India) में से एक है। शहर के केंद्र में स्थित यह बहुमंजिला ईमारत करीब 450 वर्ष से अधिक पुरानी है। इसे मुगल सम्राट मुहम्मद कुली कुतुब शाह (Muhammad Quli Qutb Shah) द्वारा 1591 में बनवाया गया था।

चारमीनार यह शब्द "चार" (चार) और ‘मीनार’ ( मीनार या स्तंभ) ऐसे दो शब्दों को मिलकर बना है जो इसे चार विशाल मीनारों के रूप में पहचान दिलाता है। यह एक मुस्लिम शैली की संरचना है। चारमीनार के चार कोनों में चार मीनारें हैं, जो एक ऊंची मंजिल पर स्थित हैं जहां से शहर का मनोरम दृश्य देखा जा सकता है। यह एक प्रमुख पर्यटक स्थल है जो हैदराबाद के सबसे प्रसिद्ध स्थल के रूप में जाना जाता है। इसके आसपास एक लोकप्रिय बाजार भी है, जिसे मक्का मस्जिद (Makkah Masjid) और लाड बाजार (Laad Bazar) सहित स्थानीय चीज़ों के लिए जाना जाता है। न्यूजट्रैक के इस लेख के माध्यम से अहम आपको चारमीनार के बारे में विस्तृत और महत्वपूर्ण जानकारी देने का प्रयास करेंगे।

क्या है 'चारमीनार' का इतिहास (Charminar Ka Itihas In Hindi)

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

चारमीनार का इतिहास सवा चारसो साल से भी अधिक पुराना है। चारमीनार का निर्माण सुल्तान मोहम्मद क़ुली क़ुतुब शाह ने 1591 ईसवी में किया था। 'मोहम्मद क़ुली क़ुतुब शाह’ (Mohammad Quli Qutb Shah), कुतुबशाही राजवंश के पाचवे शासक थे और मोहम्मद कुली क़ुतुब शाह इब्राहिम कुली क़ुतुब शाह के तीसरे पुत्र थे। जिन्होंने करीब 31 सालों तक गोलकोंडा किले पर राज किया था। गोलकोंडा (Golkonda) से हैदराबाद शहर में अपनी राजधानी स्थानांतरित करने के बाद सुल्तान मोहम्मद क़ुली क़ुतुब शाह ने चारमीनार का निर्माण करवाया था।

ऐसा भी कहा जाता है कि 16वीं शताब्दी के अंत में हैदराबाद में प्लेग महामारी (Plague Epidemic) के समाप्त होने के बाद, शहर में अपने आभार और प्रार्थना को व्यक्त करने के लिए इस स्मारक का निर्माण किया गया था। हैदराबाद शहर को विकसित करने के लिए एक पर्शियन आर्किटेक्ट को भी बुलाया गया था। इस कारण, प्लेग महामारी की समाप्ति की खुशी को दर्शाने के लिए इस संरचना का निर्माण किया गया। कहा जाता है कि क़ुतुब शाह ने प्लेग महामारी समाप्त होने के बाद मस्जिद बनाने की कसम खाई थी, और इसलिए 1591 में उन्होंने चारमीनार की नींव रखी थी।

कहा जाता है कि मुग़ल गवर्नर के समय, क़ुतुब शाही और आसफ जाही शासन के दौरान, चारमीनार के दक्षिण-पश्चिमी मीनार पर बिजली गिरने से उसे नुकसान हुआ था, जिसके बाद 60,000 रुपये की लागत से इस ऐतिहासिक धरोहर की तत्काल मरम्मत की गई थी। 1824 में, स्मारक को फिर से प्लास्टर किया गया, जिसकी लागत 100,000 रुपये आई थी।

चारमीनार के पास स्थित क्षेत्र एक प्रसिद्ध बाजार है, जिसे लाड बाजार और पठेर गट्टि के नाम से जाना जाता है। यह बाजार अपनी चूड़ियों और मोतियों के लिए खासतौर पर प्रसिद्ध है। चारमीनार के सुनहरे दिनों में, यहाँ 14,000 से अधिक दुकानें हुआ करती थीं।

क्यों कहा जाता है चारमीनार (Charminar Ka Naam Kaise Pada)

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

इस स्मारक की संरचना में चार मीनारें शामिल है, इसलिए इसके आकर के कारन इसे "चारमीनार" (Charminar) नाम दिया गया। कहा जाता है, इस स्मारक के निर्माण में कई गणितीय और ज्यामितीय शोधों का उपयोग किया गया था। चारमीनार की चार मीनारें इस्लाम के पहले चार खलीफाओं (नेताओं) का प्रतीक मानी जाती हैं। प्रत्येक मीनार में 4 मंजिलें हैं।

चारमीनार की संरचना (Structure of Charminar)

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

• चारमीनार की संरचना में ग्रेनाइट, चूना पत्थर, मोर्टार और चूर्णित संगमरमर का उपयोग किया गया है।

• इस स्मारक की योजना इस तरह से बनाई गई थी कि चार मेहराबों(अर्धवृत्ताकार संरचना जो सामान्यतः मुस्लिम वास्तुकला में होती है) से हैदराबाद शहर के चारों कोनों के दृश्य देखे जा सके । जब चारमीनार का निर्माण हुआ, तो प्रत्येक मेहराब एक प्रमुख शाही मार्ग के सामने था, जिससे हर मेहराब से शहर के अलग-अलग हिस्सों की झलक दिखाई देती थी।

• चारमीनार एक आयताकार आकार की संरचना है, जिसका प्रत्येक भाग लगभग 20 मीटर (66 फुट) लंबा है। प्रत्येक भाग पर एक भव्य मेहराब है, जो सामने वाली सड़क से सीधे जुड़ा हुआ है। इसके हर कोने पर एक ऊँची मीनार है, जिसकी ऊँचाई 56 मीटर (लगभग 184 फुट) है और यह डबल छज्जे से सुसज्जित है। मीनारों के शिखर पर एक बल्बनुमा गुंबद( bulb-shaped dome) स्थित है, जिसे मिठाई की पत्तियों के आकार में डिजाइन किया गया है।

• चारमीनार में एक सुंदर मस्जिद भी है, जो खुले छत के पश्चिमी छोर पर स्थित है, जबकि बाकी की छत कुतुब शाही काल के दौरान एक अदालत के रूप में इस्तेमाल होती थी।

• मीनार के हर तरफ एक वक्र (आर्च) बना हुआ है, जो 11 मीटर चौड़ा और 20 मीटर ऊंचा है। प्रत्येक वक्र पर एक घड़ी लगी हुई है, जिसे 1889 में स्थापित किया गया था।

• चारमीनार हैदराबाद में बनी पहली बहुमंजिला इमारत थी। चारमीनार के ऊपरी मंजिल तक पहुँचने के लिए 149 सीढ़िया मौजूद हैं। ऊपर एक शांत और एकांत स्थान है, जहाँ ताजगी और शांति का अनुभव होता है। मीनारों के बीच स्थित ऊपरी मंजिल विशेष रूप से नमाज पढ़ने के लिए तैयार की गई है जहा एक साथ 45 लोग नमाज पढ़ सकते है।

• चारमीनार के आधार पर भाग्यलक्ष्मी मंदिर स्थित है, और हैदराबाद उच्च न्यायालय ने इसके आगे के विस्तार पर रोक लगाई है। मंदिर की उत्पत्ति पर विवाद नहीं है, लेकिन इसकी वर्तमान संरचना 1960 के दशक में खड़ी की गई मानी जाती है। द हिंदू (The Hindu) ने 2012 में तस्वीरें प्रकाशित कीं,जिनमें 1957 और 1962 में मंदिर का कोई ढांचा नहीं दिखा, जबकि 1986,1990, और 1994 की तस्वीरों में मंदिर की संरचना मौजूद है। यह पुष्टि करता है कि यह एक हालिया निर्माण है। 1986 में ली गई तस्वीर आगा खान विज़ुअल आर्काइव (एमआईटी लाइब्रेरीज़) के संग्रह में उपलब्ध है।

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

गोलकोंडा किले से जुड़ी है गुप्त सुरंग:- किवदंती के अनुसार गोलकोंडा किले और चारमीनार को जोड़ने के लिए एक भूमिगत गुप्त सुरंग का निर्माण किया गया था। यह सुरंग घेराबंदी की स्थिति में सुल्तान के लिए एक सुरक्षित मार्ग के रूप में बनाई गई थी। हालांकि, यह सुरंग आज भी एक रहस्य है।

पाकिस्तान में मौजूद है चारमीनार की प्रतिकृति:- 2007 में, पाकिस्तान में रहने वाले हैदराबादी मुसलमानों ने कराची के बहादुराबाद मोहल्ले के मुख्य क्रॉसिंग पर चारमीनार की एक छोटी सी प्रतिकृति बनाई थी।

वर्तमान समय में चारमीनार:- वर्तमान समय में चारमीनार हैदराबाद का एक प्रमुख पर्यटन स्थल और ऐतिहासिक स्मारक है, जो भारत की सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है। यह न केवल स्थानीय लोगों के लिए बल्कि दुनियाभर के पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है। इसके आसपास के क्षेत्र में एक जीवंत बाजार है, जिसे "लाड बाजार" कहा जाता है, जहां पारंपरिक चूड़ियाँ, कपड़े, और अन्य हस्तशिल्प वस्तुएं खरीदी जा सकती हैं।

चारमीनार की देखभाल भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा की जाती है, और यह रात के समय रोशनी में और भी आकर्षक दिखती है। इसके चारों ओर एक पैदल यात्री क्षेत्र विकसित किया गया है, जिससे पर्यटकों को इसकी खूबसूरती का आनंद लेने में सुविधा होती हो । यह स्मारक हैदराबाद की पहचान बन चुका है और भारत की समृद्ध वास्तुकला और इतिहास का प्रमाण है।

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