Banarasi Paan History: वाराणसी की पहचान है बनारसी पान, जिसका स्वाद लेने दूर-दूर से आते हैं लोग, जानिए क्या है इतिहास
Banarasi Paan History: से दुनियाभर में इस पान के चर्चे कहीं कम नहीं हैं। बनारसी शहर में आज भी खुशी और मेजबानी की निशानी कहा जाता है। जिसका जिक्र आपने पुराणों में भी जरूर सुना होगा।
Banarasi Paan History: पूरी दुनिया में अपनी अलग पहचान के लिए मशहूर बनारस के पान के लिए लोगों में एक अलग ही क्रेज देखा जाता है। वैसे तो वाराणसी में पान के लिए लोगों में होड़ देखी जाती थी, लेकिन फिल्मी गाने खईके पान बनारस वाला नें इसे और हवा देने का काम किया है। यह भी एक कारण है जिस वजह से दुनियाभर में इस पान के चर्चे कहीं कम नहीं हैं। बनारसी शहर में आज भी खुशी और मेजबानी की निशानी कहा जाता है। जिसका जिक्र आपने पुराणों में भी जरूर सुना होगा। आइए जानते हैं बनारस के पान की दिलचस्प कहानी
Also Read
बेहद दिलचस्प है पान से जुड़ा इतिहास
भगवान शिव का प्रिय है पान!
बनारस और पान का इतिहास बेहद ही प्राचीन है, जितना पुराना काशी है, कहा जाता है कि पान का इतिहास भी उतना ही पुराना है। मान्यताओं के अनुसार पान भगवान शिव को अति प्रिय है, जिसका जिक्र आपको पुराणों में भी जरूर मिल जाएगा। कहते हैं कि माता पार्वती और भगवान शिव पान के बीज को हिमालय पर्वत पर बोया था। जिसके बाद से इसे एक पवित्र पत्ते की पहचान मिली थी और आज यह पत्ता विवाह और कई धार्मिक रस्मों के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
पुराणों में है पान का जिक्र
हिंदुओं के पवित्र पुराण रामायण और महाभारत में भी पान का जिक्र मिलता है। इन कथाओं के मुताबिक माता सीता मिलने जब भगवान हनुमान लंका गए थे, तो भगवान राम का संदेश मिलने पर माता जी ने उन्हे पान की माला ही उपहार के रूप में दी थी। वहीं द्वापर युग में महाभारत के दौरान अर्जुन द्वारा किए गए यज्ञ में पान का वर्णन किया गया था। कहा जाता है कि महाभारत के युद्ध के बाद किए जाने यज्ञ के लिए अर्जुन को पान के पत्ते की आवश्यकता पड़ी थी। लेकिन उन्हें कहीं भी पान नहीं मिल पाया, जिसके बाद वह नाग लोक जाकर यह पान पत्ता लाए और यज्ञ पूरा हो पाया।
यानी अभी से नहीं बल्कि प्राचीन समय से पान का महत्व लोगों के बीच रहा है। आज देश विदेश के लोग इस पान का स्वाद चखने वाराणसी आते हैं। शहर में आपको कई वैरायटी में पान मिल जाता है, जिसका स्वाद आपको दीवाना बना देगा।