History of Sambhal Jama Masjid: क्या है संभल जामा मस्जिद का इतिहास, जानिए क्या है इस विवाद से इसका सम्बन्ध
History of Sambhal Jama Masjid: क्या आप जानते हैं कि जामा मस्जिद का क्या इतिहास है और इस समय चल रहे इस विवाद का इससे क्या सम्भन्ध है। आइये विस्तार से समझते हैं इसका इतिहास और विवाद के मामले को भी।
History of Sambhal Jama Masjid: क्या आप जानते हैं कि संभल की जामा मस्जिद का क्या इतिहास रहा है और आखिर किन-किन शासको ने यहां पर शासन किया है। आइये आज हम आपको संभल जामा मस्जिद के इतिहास से रूबरू कराते हैं और जानते हैं आखिर कौन-कौन सी रियासतें यहां पर रहीं और कैसे इस मस्जिद का निर्माण हुआ।
क्या है संभल जामा मस्जिद का इतिहास
कहते हैं कि पृथ्वीराज चौहान के समय यह नगर पहले उनकी राजधानी रहा करता था लेकिन दिल्ली के राजधानी बनने के बाद इसे राजधानी से हटा दिया गया। वहीँ उस समय आल्हा उदल यहाँ के प्रमुख रक्षक हुआ करते थे। ऐसा भी कहा जाता है कि उदल ने एक ही छलांग में एक दीवार पर चक्की का एक पाट टांग दिया था। आज भी अल्लाह और उदल की शौर्य की गाथा वहां के लोग आपको सुनाते मिल जाएंगे।
वहीँ मध्यकाल में संभल का स्मारक सामरिक महत्व भी काफी बढ़ गया था क्योंकि यह आगरा और दिल्ली के काफी नजदीक था। संभल की जागीर बाबर के आक्रमण के समय अफगान सरदारों के हाथ में थी। वहीँ बाबर ने हुमायूं को संभाल की जागीर दी थी लेकिन इसके बाद वह बीमार हो गया इसलिए उसे आगरा ले आया गया। ऐसे में बाबर के बाद हुमायूं ने साम्राज्य को भाइयों में बांट दिया। वहीँ शेरशाह सूरी ने हुमायूं को हराकर अपने दामाद मुबारिज़ ख़ाँ को सम्भल की जागीर दे दी।
जामा मस्जिद या बाबरी मस्जिद संभाल के सबसे पुराने स्मारकों में से एक मानी गई। इस मस्जिद को 1528 में सम्राट बाबर के आदेश पर आमिर बाग द्वारा बनाया गया था वही जो चीज इस ऐतिहासिक बनती है वह है कि बाबर ने स्वयं इस मस्जिद का पहला पत्थर बनवाया था इस तरह ये एक ऐसा स्थान बन गया जो इतिहास के पन्नों पर दर्ज हो गया इस मस्जिद को शांति की भावना का प्रतीक भी माना जाता है। साथ ही साथ यह वास्तु कला की एक विशिष्ट मुगल शैली को दर्शाती है। मस्जिद का रखरखाव बेहद अच्छी तरीके से किया गया है और यह संभल में पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बनी रहती है।
जामा मस्जिद को लेकर 48 साल बाद एक बार फिर से तनाव काफी बढ़ गया है 1976 में कुछ शरारती तत्वों ने यहां घुसकर सांप्रदायिक दंगों को भड़काया था वही इस बार भी पथराव फायरिंग और आगजनी ने माहौल को खराब कर दिया है। वहीं लोगों से यह अपील की जा रही है कि वह भाईचारा कायम रखें और अफवाहों से बचे रहे।
ऐसा पहली बार नहीं है कि संभल की जामा मस्जिद में इस तरह की का पथराव और आगजनी हुई है 48 साल पहले भी सर्वे को लेकर मस्जिद सुर्खियों में आई थी और इस बार भी पहले की तरह फायरिंग और आगजनी जैसे मामले हुए हैं। इसी वजह से पुरानी यादें लोगों के ज़हन में ताजा हो चुकी हैं। 1976 में भी एक बड़ा बवाल हुआ था।
क्या है पूरा मामला
दरअसल संभल शहर की जामा मस्जिद को हरिहर मंदिर बताते हुए दाखिल वाद के आधार पर सर्वे के लिए कोर्ट कमिश्नर की टीम संभल पहुंची। जिसके बाद वहां बवाल मच गया रविवार सुबह अचानक वहां जुटी भीड़ मस्जिद में दाखिल होने की कोशिश करने लगी रोकने पर लोगों ने पुलिस पर पथराव कर दिए। हिंसा भड़क गयी और लोगों ने पुलिस की गाड़ी समेत कई वाहनों में तोड़फोड़ कर दी और आग भी लगा दी। इसी दौरान फायरिंग भी शुरू हो गई। पुलिस ने आंसू गैस की गोली और लाठी चार्ज भी करना चाहा वहीँ बावल में पांच लोगों की मौत हो गई कई अधिकारियों समेत दर्जन लोग घायल भी हुए तनाव को देखते हुए संभल में इंटरनेट सेवा फिलहाल बंद कर दी गई थी।