Mumbai Dharavi History: एशिया का सबसे बड़ा स्लम जो देता है करोड़ों का बिजनस, कैसे शुरू हुआ धारावी का सफर, चलिए जानते हैं

Sabse Badi Jhuggi Basti Dharavi: धारावी का इतिहास 19वीं शताब्दी से जुड़ा हुआ है। यह स्थान मूल रूप से एक दलदली क्षेत्र था, जहां मछुआरे और कुम्हार अपनी रोजी-रोटी कमाने के लिए बसे थे।

Written By :  AKshita Pidiha
Update:2025-01-03 15:52 IST

India Biggest Slum Mumbai Dharavi History 

Mumbai Dharavi Ka Itihas: धारावी, मुंबई के हृदय में स्थित, एशिया का सबसे बड़ा और दुनिया के सबसे घनी आबादी वाले स्लम्स में से एक है। इसका नाम केवल गरीबी और संघर्ष का पर्याय नहीं है, बल्कि यह मेहनत, सहनशीलता और सामूहिक जीवन की शक्ति का भी प्रतीक है। यह स्लम मुंबई के बांद्रा और माहिम के बीच स्थित है और लगभग 2.1 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है। यहां की जनसंख्या करीब 10 लाख है, जो इसे दुनिया के सबसे भीड़भाड़ वाले स्थानों में से एक बनाती है। धारावी केवल एक भौगोलिक स्थान नहीं है, बल्कि यह मानव अस्तित्व की शक्ति और जिजीविषा की जीवंत मिसाल है।

धारावी का इतिहास और स्थापना

धारावी का इतिहास 19वीं शताब्दी से जुड़ा हुआ है। यह स्थान मूल रूप से एक दलदली क्षेत्र था, जहां मछुआरे और कुम्हार अपनी रोजी-रोटी कमाने के लिए बसे थे। 1882 में, ब्रिटिश सरकार ने माहीम खाड़ी के आसपास के दलदल को सुखाकर इसे बसाने का कार्य शुरू किया। इस क्षेत्र में भारत के विभिन्न हिस्सों से लोग आकर बसने लगे, जो काम की तलाश में मुंबई आए थे। शुरुआती दिनों में, धारावी में मुख्य रूप से कुम्हार, मछुआरे और चमड़ा उद्योग से जुड़े मजदूर रहते थे।


20वीं शताब्दी की शुरुआत में, धारावी में अप्रवासियों की संख्या बढ़ने लगी। यहां मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश, बिहार, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल से आए लोग बस गए। जैसे-जैसे मुंबई औद्योगिक और आर्थिक रूप से समृद्ध होता गया, धारावी का भी विस्तार हुआ। यह स्थान एक बड़े प्रवासी केंद्र में बदल गया, जहां लोग छोटी-छोटी झोपड़ियों में रहने लगे।

भौगोलिक और भौतिक संरचना

धारावी मुंबई के पश्चिमी उपनगरों में स्थित है। इसका भौगोलिक स्थान इसे शहर के अन्य भागों के साथ जोड़ता है। धारावी के पास से माहीम खाड़ी गुजरती है, जो इसके शुरुआती विकास का केंद्र थी। यह स्थान मुंबई के व्यावसायिक केंद्रों से बहुत नजदीक है, जिससे यहां के लोगों को काम के अवसर आसानी से मिलते हैं।


धारावी का क्षेत्रफल भले ही छोटा हो। लेकिन यहां की जनसंख्या घनी है। औसत घर का आकार केवल 100-150 वर्ग फीट होता है। ज्यादातर घर संकरे गलियारों से जुड़े होते हैं। यहां की गलियां इतनी संकरी हैं कि इनमें से वाहन नहीं गुजर सकते। धारावी की यह भौतिक संरचना इसे अन्य शहरी स्लम्स से अलग बनाती है।

धारावी की आर्थिक गतिविधियां

धारावी मुंबई के आर्थिक परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। यहां छोटे पैमाने पर चलने वाले उद्योग और कुटीर उद्योग न केवल स्थानीय बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी योगदान देते हैं। धारावी की अर्थव्यवस्था लगभग 1 बिलियन अमेरिकी डॉलर के बराबर है।

चमड़ा उद्योग

धारावी का चमड़ा उद्योग दुनिया भर में प्रसिद्ध है। यहां बने चमड़े के उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय बाजारों में निर्यात किया जाता है। यह उद्योग धारावी की पहचान का एक प्रमुख हिस्सा है और हजारों लोगों को रोजगार देता है।

प्लास्टिक और पुनर्चक्रण- धारावी मुंबई का प्रमुख पुनर्चक्रण केंद्र है। यहां मुंबई के विभिन्न हिस्सों से प्लास्टिक और कचरा लाकर पुनर्चक्रण किया जाता है। धारावी में प्लास्टिक से नए उत्पाद बनाए जाते हैं, जो स्थानीय बाजारों में बेचे जाते हैं।


कुम्हारवाड़- धारावी का कुम्हारवाड़ा पारंपरिक कुम्हारों का घर है। यहां मिट्टी के बर्तन और अन्य हस्तशिल्प वस्तुएं बनती हैं, जिन्हें मुंबई और अन्य स्थानों पर बेचा जाता है।

गारमेंट और टेक्सटाइल उद्योग - धारावी का गारमेंट उद्योग भी प्रसिद्ध है। यहां हजारों लोग कपड़े बनाने के व्यवसाय में लगे हुए हैं। यहां के गारमेंट्स न केवल स्थानीय स्तर पर बिकते हैं, बल्कि कई बार विदेशों में भी निर्यात किए जाते हैं।

जीवनशैली और सामाजिक संरचना

आवास और जीवन की परिस्थितियां- धारावी के ज्यादातर घर छोटे और अस्थायी संरचना वाले होते हैं। यहां की आबादी घनी होने के कारण, घर एक-दूसरे से सटे हुए हैं और गलियां संकरी हैं। यहां की अधिकांश इमारतें बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं। बिजली और पानी की आपूर्ति अस्थिर है। शौचालय जैसी बुनियादी जरूरतों के लिए सार्वजनिक सुविधाओं पर निर्भर रहना पड़ता है।


स्वास्थ्य और स्वच्छता- स्वच्छता धारावी की एक बड़ी समस्या है। यहां कचरा प्रबंधन की व्यवस्था कमजोर है, इस कारण बीमारियां तेजी से फैलती हैं। धारावी में डेंगू, मलेरिया, टाइफाइड और त्वचा रोग जैसी बीमारियां आम हैं।

शिक्षा और रोजगार - धारावी में शिक्षा का स्तर अपेक्षाकृत कम है। हालांकि, सरकार और कई गैर-सरकारी संगठन यहां के बच्चों को शिक्षा प्रदान करने के लिए काम कर रहे हैं। रोजगार के लिए लोग छोटे उद्योगों और कुटीर उद्योगों पर निर्भर हैं।

धारावी की सांस्कृतिक विविधता

धारावी अपनी सांस्कृतिक विविधता के लिए भी जाना जाता है। यहां विभिन्न जातियों, धर्मों और भाषाओं के लोग रहते हैं। हिंदू, मुस्लिम, ईसाई और सिख समुदाय के लोग यहां एक साथ रहते हैं।


यह विविधता धारावी को ‘मिनी इंडिया’ का स्वरूप देती हैं। यहां विभिन्न राज्यों से आए लोग अपनी-अपनी परंपराओं और त्योहारों को मनाते हैं। गणेश चतुर्थी, ईद, होली और पोंगल जैसे त्योहार यहां बड़े उत्साह के साथ मनाए जाते हैं। धारावी की यह सांस्कृतिक विविधता इसे एक अनोखा रूप देती है।

फिल्में और धारावी

धारावी ने बॉलीवुड और अंतरराष्ट्रीय सिनेमा में भी अपनी पहचान बनाई है। ऑस्कर विजेता फिल्म ‘स्लमडॉग मिलियनेयर’ धारावी की पृष्ठभूमि पर आधारित थी।


इस फिल्म ने धारावी की गरीबी और संघर्ष को दुनिया के सामने लाया। इसके अलावा, ‘गली बॉय’ जैसी फिल्में धारावी के युवाओं की प्रतिभा और संघर्ष को दर्शाती हैं।

धारावी पुनर्विकास परियोजना

धारावी को पुनर्विकसित करने के लिए 2004 में एक महत्वाकांक्षी योजना शुरू की गई थी। इस परियोजना का उद्देश्य धारावी को एक आधुनिक और संरचनात्मक क्षेत्र में बदलना है। इसमें लोगों को बेहतर आवास, स्वच्छता और बुनियादी सुविधाएं प्रदान करना शामिल है। हालांकि, इस योजना के सामने कई चुनौतियां आई हैं।


धारावी में रहने वाले लोगों को पुनर्वास के लिए तैयार करना, उनके छोटे उद्योगों को संरक्षित रखना और कानूनी व वित्तीय बाधाओं को दूर करना कठिन साबित हुआ है।

चुनौतियां और समस्याएं

धारावी में स्वच्छता की स्थिति बेहद खराब है। यहां की घनी आबादी और कमजोर बुनियादी ढांचे के कारण स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं आम हैं। धारावी के घर छोटे और असुरक्षित संरचना वाले हैं।


यह स्थिति लोगों के जीवन को कठिन बनाती है। धारावी के लोग मुख्य रूप से छोटे उद्योगों पर निर्भर हैं। हालांकि, शिक्षा के निम्न स्तर और कौशल की कमी के कारण यहां बेरोजगारी की समस्या भी है।

धारावी की खास बातें

मुंबई के सबसे तेजी से बढ़ते कमर्शियल हब मुंबई-कुर्ला कॉम्प्लेक्स से धारावी की दूरी पांच किलोमीटर है। धारावी में रहने वाले लोग छोटी-छोटी झुग्गियों से ही अपना बिजनेस चलाते हैं। इनमें चमड़ा, टेक्सटाइल और घड़ों की इंडस्ट्रीज अधिक है। आपको यह जानकार ताज्जुब होगा कि इन सिंगल रूम फैक्ट्री में बना माल एक्सपोर्ट भी होता है और कई बिजनेस तो ऐसे हैं, जिनका टर्नओवर 10 अरब रुपए से ज्यादा है। लेकिन कई सालों से एक ही जगह बिजनेस करने के कारण वे यहां से अपने यूनिट शिफ्ट नहीं करते हैं।माहिम और सायन धारावी के दोनों ओर बने मुख्य रेलवे स्टेशन हैं। यहां से करीब 8 लाख लोग रोज धारावी आते-जाते हैं।

22 हजार से ज्यादा छोटे और बहुत छोटे व्यवसायी

217 हेक्टेयर में फैली धारावी में 22 हजार से ज्यादा छोटे और बहुत छोटे व्यवसायी कारोबार करते हैं।सिर्फ रिसाइक्लिंग के कारोबार से 4 लाख से ज्यादा लोगों को रोजगार मिला हुआ है। इस विशालकाय बस्ती पर हार्वर्ड बिजनेस स्कूल में स्टडी भी हो चुकी है, जो बताती है कि धारावी कैसे बिना कोई लीगल हैसियत रखे, हमारी इकॉनामी को मजबूत कर रही है।


एक करोड़ से ज्यादा की है एक झुग्गी- इसे 1882 में ब्रिटिश राज के दौरान शहर की लेबर क्लास को रहने की किफायती जगह देने के लिए बसाया गया था। आबादी बढ़ने के कारण यहां हजारों झुग्गी-झोपडियां खड़ी हो गई है।इन झोपड़ियों का घनत्व इतना बढ़ गया है कि ऊपर से देखने पर इसके आप-पास की जमीन तक नहीं दिखाई देती है। धारावी में अब एक झुग्गी-झोपड़ियों की कीमत 1 करोड़ रुपए से ज्यादा की है। एक रियल एस्टेट रिपोर्ट के मुताबिक, यहां 1 Sqft जमीन की कीमत करीब 25,000 से 30,000 पहुंच चुकी है। दिखने में महज यह झोपड़पट्टी लगती है, लेकिन इसके कई कमरे होते हैं, जिनमें कई तरह के व्यवसाय चलते हैं।

धारावी की तस्वीर बदलेंगे अडानी

लंबे समय से प्रतीक्षित धारावी पुनर्विकास परियोजना को अब देश के प्रमुख उद्योगपति गौतम अडानी की कंपनी अडानी समूह नई दिशा देने जा रही है। पिछले 15 वर्षों के दौरान कई प्रयास असफल रहे।लेकिन अब महाराष्ट्र सरकार ने इस परियोजना के लिए अडानी समूह को अंतिम मंजूरी दे दी है।

मुंबई स्थित एशिया की सबसे बड़ी झुग्गी बस्ती, धारावी के पुनर्विकास के लिए महाराष्ट्र सरकार ने अडानी समूह की कंपनी अडानी प्रॉपर्टीज को नियुक्त किया है। यह परियोजना लगभग 600 एकड़ भूमि पर फैले धारावी क्षेत्र के पुनर्वास और पुनर्निर्माण का काम करेगी। 2022 में महाराष्ट्र सरकार ने इस परियोजना के लिए टेंडर जारी किया था।


टेंडर प्रक्रिया:अडानी समूह ने इस परियोजना के लिए 5069 करोड़ रुपये की सबसे ऊंची बोली लगाई।DLF ने 2025 करोड़ रुपये की और नमन ग्रुप ने इससे कम की बोली लगाई थी।अडानी समूह ने सबसे बड़ी बोली के साथ इस परियोजना का अनुबंध जीत लिया।

प्रोजेक्ट की प्रमुख विशेषताएं

यह परियोजना 2.5 लाख वर्ग किमी क्षेत्र में रहने वाले 6.5 लाख योग्य निवासियों के पुनर्वास पर केंद्रित है।झुग्गीवासियों को फ्लैट दिए जाएंगे और यह सुनिश्चित किया जाएगा कि निर्माण के दौरान उन्हें अस्थायी घरों में नहीं रखा जाए।इस परियोजना की कुल समय सीमा 7 साल है। इसके पूरा होने के बाद धारावी की तस्वीर पूरी तरह बदल जाएगी।पुनर्विकास का पहला चरण 45-47 एकड़ रेलवे भूमि पर बनी झुग्गियों से शुरू होगा, जहां लाभार्थियों का सीधे पुनर्वास किया जाएगा।अनुमान है कि यह भारत की सबसे बड़ी पुनर्विकास परियोजना होगी, जिसे पूरा करने में 23,000 करोड़ रुपये का खर्च आएगा।

विशेष नियोजन और संरचना

इस परियोजना के लिए स्पेशल प्लानिंग अथॉरिटी का गठन किया गया है। इसके अंतर्गत: स्पेशल पर्पज व्हीकल (SPV) बनाया जाएगा।SPV में 80 फ़ीसदी इक्विटी (400 करोड़ रुपये) अडानी समूह की होगी, जबकि 20 फीसदी इक्विटी (100 करोड़ रुपये) महाराष्ट्र सरकार की हिस्सेदारी होगी।SPV धारावी क्षेत्र का विस्तृत सर्वेक्षण करेगी और पात्र लाभार्थियों की सूची तैयार करेगी।


पात्र निवासियों को पुनर्विकास योजना के तहत मुफ्त घर दिए जाएंगे।फ्लैट निर्माण के दौरान बुनियादी ढांचे और आवश्यक सुविधाओं का विशेष ध्यान रखा जाएगा।परियोजना का उद्देश्य न केवल आवास प्रदान करना है, बल्कि धारावी को आधुनिक और आत्मनिर्भर क्षेत्र में बदलना है।

अडानी समूह का दृष्टिकोण

अडानी समूह धारावी को विश्वस्तरीय बुनियादी ढांचे, स्वच्छता, और बेहतर जीवन स्तर से सुसज्जित करने की योजना बना रहा है। परियोजना में आवास के अलावा, स्कूल, अस्पताल, पार्क और बाजार जैसे सामुदायिक केंद्र विकसित किए जाएंगे।

चुनौतियां और संभावनाएं- धारावी पुनर्विकास एक बड़ा और जटिल प्रोजेक्ट है, जिसमें कई सामाजिक, आर्थिक और कानूनी चुनौतियां हैं।600 एकड़ क्षेत्र में सरकारी, निजी और रेलवे भूमि शामिल है, जिसका स्वामित्व स्पष्ट करना एक चुनौती है।बड़ी आबादी को पुनर्विकास प्रक्रिया के लिए राजी करना आसान नहीं है।इतनी बड़ी परियोजना में आर्थिक अस्थिरता का खतरा बना रहता है।

धारावी पुनर्विकास परियोजना न केवल मुंबई के शहरी परिदृश्य को बदल सकती है, बल्कि लाखों निवासियों के जीवन को भी बेहतर बना सकती है। अगर यह परियोजना समय पर और योजनाबद्ध तरीके से पूरी होती है, तो यह भारत में शहरी विकास की दिशा में एक मिसाल बनेगी।

धारावी केवल एक स्लम नहीं है, बल्कि यह मानव आत्मा की सहनशीलता और संघर्ष की कहानी है। यहां के लोग कठिन परिस्थितियों में भी अपने जीवन को बेहतर बनाने की कोशिश करते हैं। धारावी का हर कोना संघर्ष, मेहनत और उम्मीद का प्रतीक है। यह स्थान दिखाता है कि सीमित संसाधनों के बावजूद, अगर मेहनत और लगन हो, तो कुछ भी संभव है।

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