Madhya Pradesh Tourism: भारत में है एक ऐसी जगह, जहां 200 से ज्यादा हिंदू देवी देवताओं के है मन्दिर
Morena Famous Place: मध्य प्रदेश में एक ऐसा मंदिर परिसर है, जहाज पर प्राचीन काल में 200 से ज्यादा मंदिर होने के साक्ष्य प्राप्त है....
Bateshwar Temple in Morena Madhya Pradesh: मुरैना जिसे कभी डकैतों की भूमि कहा जाता था। चंबल नदी के दोनों ओर के बीहड़, जिन्हें चंबल की घाट के नाम से जाना जाता है , कुख्यात डकैतों को आश्रय प्रदान करने के लिए जाने जाते हैं। लेकिन यही मुरैना में बटेश्वर मंदिर परिसर भी स्थित है। बटेसरा या बटेश्वर के नाम से भी जाना जाने वाला यह मंदिर परिसर ग्वालियर शहर से लगभग 30 किमी दूर पदावली गांव के पास एक पहाड़ी श्रृंखला पर स्थित है। ये मंदिर चंबल घाटी के घने जंगलों के भीतर स्थित हैं, यह भारत में सबसे दिलचस्प और चौंका देने वाले पुरातात्विक स्थलों में से एक है। ऐसा माना जाता है कि 25 एकड़ के क्षेत्र में भगवान शिव, विष्णु और शक्ति को समर्पित लगभग 200 मंदिर हैं। मंदिरों का यह समूह लगभग 1600 वर्ष पुराना है, जो मंदिरों के सबसे बड़े परिसरों में से एक था। 13वीं शताब्दी के अंत में, मंदिरों को नष्ट कर दिया गया, हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि यह भूकंप या मुस्लिम ताकतों द्वारा किया गया था।
लोकेशन: मितावली पदावली बानमोर के पास,बटेश्वर मंदिर समूह, मुरैना, मध्य प्रदेश
दूरी ग्वालियर से: 35 किलोमीटर
यात्रा अवधि: 3-4 घंटे
स्थान: पढ़ावली गांव के पास
यहां लगभग 200 बलुआ पत्थर के हिन्दी मंदिर हैं। यह ग्वालियर शहर से 56 किलोमीटर दूर है। निकटतम हवाई अड्डा ग्वालियर है। ग्वालियर जंक्शन से 35 किमी और मुरैना से 28 किमी की दूरी पर, बटेश्वर मंदिर मध्य प्रदेश के मुरैना जिले में स्थित ऐतिहासिक मंदिरों का एक समूह है। बटेश्वर मध्य प्रदेश में सबसे अच्छे विरासत स्थलों में से एक है और ग्वालियर में घूमने के लिए प्रमुख स्थानों में से एक है। इसका रखरखाव भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा किया जाता है।
मन्दिर का वास्तुकला
मंदिरों का निर्माण मोर्टार के उपयोग के बिना बलुआ पत्थर की सामग्री का उपयोग करके किया गया है, जिसमें जगती (आधार मंच), वेदीबंध, प्राग्रीवा (पोर्च), मंडप (बाहरी हॉल), अंतराल (आंतरिक मार्ग) गर्भ-गृह जैसे वास्तुशिल्प तत्व शामिल हैं। विभिन्न मंदिरों की नक्काशी/डिज़ाइन में नटराज (भगवान शिव) को कीर्ति मुख में, लकुलिसा की उत्कृष्ट नक्काशी, भगवान शिव को पार्वती का हाथ पकड़े हुए, कल्याण-सुंदरम की कथा, या विष्णु के साथ शिव और पार्वती के विवाह का वर्णन करते हुए दर्शाया गया है।
बटेश्वर मंदिर 5 सदी ही रहा था जीवंत
यह 25 एकड़ में फैला हुआ है। 8वीं शताब्दी में निर्मित और 13वीं शताब्दी के बाद नष्ट हो गया जिसका कारण अज्ञात है। बटेश्वर परिसर लगभग 200 बलुआ पत्थर के मंदिरों का घर है। चंबल के बीहड़ों में 25 एकड़ क्षेत्र में फैले बटेश्वर मंदिरों का निर्माण 8वीं से 11वीं शताब्दी के दौरान गुर्जर-प्रतिहार राजवंश के राजाओं द्वारा किया गया था। अधिकांश मंदिर भगवान शिव को समर्पित हैं जबकि कुछ भगवान विष्णु को समर्पित हैं। क्षेत्र में हुए किसी घटना के कारण मंदिर परिसर बर्बाद हो गया था।
पुराने किले के अंदर कई देवी देवताओं के अवशेष
पढावली मंदिर एक और ऐतिहासिक मंदिर है जो प्रसिद्ध बटेश्वर मंदिर परिसर से लगभग 2 किमी दूर स्थित है। एक पुराने किले के अंदर स्थित, यह भव्य मंदिर पूरी तरह से अपनी क्लासिक वास्तुकला और उत्कृष्ट पत्थर की कारीगरी के लिए जाना जाता है। मंदिर, विशेष रूप से इसकी छत, भगवान विष्णु के दस अवतारों, राम लीला, कृष्ण लीला, भगवान शिव के विवाह, समुद्र मंथन और महाकाव्य महाभारत के प्रसंगों को दर्शाती है। इस प्राचीन मंदिर का एक अन्य प्रमुख आकर्षण श्मशान में नृत्य करते हुए शिव की आकृति है।
एएसआई द्वारा किया जा रहा संरक्षित
2005 में एएसआई ने डकैत निर्भय सिंह गुज्जर और उसके गिरोह की मदद से गिरे हुए पत्थरों से इनका पुनर्निर्माण किया था। यहां शिव, विष्णु और शक्ति को समर्पित मंदिर हैं जो हिंदू धर्म की तीन प्रमुख परंपराओं का प्रतिनिधित्व करते हैं। अब तक 100 से अधिक मंदिरों का जीर्णोद्धार किया जा चुका है। बटेश्वर मंदिर परिसर अपनी पत्थर की वास्तुकला, जटिल मूर्तियों और समग्र डिजाइन के साथ अद्भुत है जो कला के प्रति उनके जुनून को दर्शाता है। एक ही स्थान पर इतने सारे मंदिरों को फैला हुआ देखना और भी आश्चर्यजनक है।