Bhitarkanika Mangroves: भारत का दूसरा सबसे बड़ा मैंग्रोव वन भितरकनिका नेशनल पार्क

Bhitarkanika Mangroves: भितरकनिका नेशनल पार्क करीब 670 वर्ग किमी क्षेत्र में फैला है और भारत का दूसरा सबसे बड़ा मैंग्रोव वन के रूप में भी जाना जाता है।

Written By :  Sarojini Sriharsha
Update: 2023-09-07 12:00 GMT

Bhitarkanika Mangroves (Photo: Social Media)

Bhitarkanika Mangroves: भारत के ओडिशा राज्य में कहीं पहाड़ है, तो कहीं घने जंगल तो कहीं समुद्र। ऐसी कई जगह है जिसके लिए ओडिशा दुनिया भर में मशहूर है। उन्हीं में से एक है भितरकनिका नेशनल पार्क। भितरकनिका नेशनल पार्क ओडिशा राज्य के केंद्रपाड़ा जिले में स्थित है और इसकी गणना भारत के प्रमुख राष्ट्रीय उद्यानों में होती है। भितरकनिका नेशनल पार्क करीब 670 वर्ग किमी क्षेत्र में फैला है और भारत का दूसरा सबसे बड़ा मैंग्रोव वन के रूप में भी जाना जाता है।

ऐसा कहा जाता है कि प्राचीन काल में यह क्षेत्र कनिका शासकों का शिकारगाह था। इस जगह को इसकी प्राकृतिक वातावरण और नजारों के कारण 1975 में पार्क के रूप में नामित किया गया और 1998 में इसे राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा दिया गया। नेशनल पार्क बनने के बाद इसकी ख्याति बढ़ने से सैलानियों का इस ओर ध्यान खींचता गया और यह आकर्षण का केंद्र बन गया।

इस पार्क में दुनिया के कई दुर्लभ पशु-पक्षियों को एक जगह देखने का मौका मिलता है। इसके साथ-साथ पर्यटक प्राकृतिक दृश्यों के अद्भुत नजारों का भी आनंद उठा सकते हैं। इस पार्क में ट्रेकिंग और जंगल सफारी का भी लुत्फ उठा सकते हैं। इस पार्क में कई पक्षियों को बर्ड वाचर्स देख सकते हैं। किंगफिशर, हॉर्नबिल, कठफोड़वा, ब्राह्मणी सीगल, टर्न, व्हाइट-बेल्ड सी ईगल, बार-हेडेड, और वेडर्स जैसे पंख वाले जीव भितरकनिका नेशनल पार्क में देख सकते हैं। यहां नौका विहार की भी सुविधा उपलब्ध है।

यह नेशनल पार्क विशेष रूप से मगरमच्छों के लिए जाना जाता है। इसके अलावा इस पार्क में चित्तीदार हिरण, जंगली सूअर, लकड़बग्घे, सियार जैसे हजारों जीव भी मौजूद हैं। कई दुर्लभ वनस्पति भी इस पार्क में देख सकते हैं। इस पार्क में विशाल मैंग्रोव पेड़ भी पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं।

इस पार्क में प्रवेश के लिए दो प्रवेश द्वार हैं जिनमें से एक प्रवेश द्वार आपको घने जंगलों से गुजरने का अलग एहसास दिलाता है। पार्क में एक द्वार जो सबसे लोकप्रिय है जिसे खोला नाम से जाना जाता है । वहां से दंगमल तक नौका विहार का आनंद ले सकते हैं। पर्यटक पार्क के अंदर फॉरेस्ट गेस्ट हाउस में ऑनलाइन बुकिंग करके रहने का आनंद उठा सकते हैं। इसे सैलानी प्रकृति और समृद्ध वन्य जीवन का अनुभव ले सकते हैं। गेस्ट हाउस में रहकर रात में वन के अंदर रहने का भी एक अलग एहसास होता है।

भितरकनिका नेशनल पार्क के आसपास कई अन्य पर्यटक स्थल है जिसे आप घूम सकते हैं। इनमें प्रमुख हैं:

बारबती फोर्ट:

कटक शहर से करीब 8 किमी दूर बरबती किला नक्काशीदार प्रवेश द्वार के लिए प्रसिद्ध है। महानदी नदी पर स्थित यह किला 14वीं शताब्दी में गंगा राजवंश के दौरान बनाया गया था। 9 मंजिले इस किले का निर्माण दुश्मन के हमलों से बचाने और किलेबंदी के साथ बनाया गया था। किले की दीवारों को बलुआ पत्थर और लेटराइट से बनाया गया है।



स्टोन रिवेटमेंट:

11वीं शताब्दी में कटक के पास काठजुरी नदी के तट पर बना स्टोन रिवेटमेंट उस जमाने की इंजीनियरिंग का एक अनोखा परिचय देता है। उसके पत्थर की दीवारों का निर्माण उस वक्त बाढ़ के पानी को शहर में प्रवेश करने से रोकने के लिए किया गया था।



धबलेश्वर मंदिर:

यह मंदिर कटक शहर से 37 किमी दूर महानदी नदी में एक द्वीप पर स्थित है और भगवान शिव को समर्पित है। 10वीं शताब्दी में स्थापित यह मंदिर एक प्रमुख तीर्थस्थल भी है। इस जगह कटक से नौका और घाटों की सहायता से पहुंच सकते हैं। इसके अलावा इस मंदिर में फुट-ओवर ब्रिज की सहायता से भी पहुंच सकते हैं।



प्रदीप समुद्री तट:

यह समुद्री तट कटक से करीब 94 किमी और पारादीप से 125 किमी दूर स्थित है। ओडिशा के सबसे शांत समुद्र तटों में से यह एक है। यह एक प्रमुख बंदरगाह भी है। इस तट के किनारे पर चट्टानों पर पड़ने वाले पानी का छींटा वहां टहलने वालों को एक अद्भुत एहसास कराता है।



कैसे पहुंचें?

यहां पहुंचने के लिए निकटतम हवाई अड्डा भुवनेश्वर है । देश के सभी प्रमुख शहर इस हवाई अड्डे से जुड़े हैं। यहां से पार्क की दूरी 140 किमी है। इस हवाई अड्डे से भितरकनिका नेशनल पार्क जाने के लिए आप टैक्सी बुक कर सकते हैं।

भितरकनिका नेशनल पार्क पहुंचने के लिए निकटतम रेलवे स्टेशन ओडिशा का कटक है जहां से पार्क की दूरी लगभग 110 किमी है। स्थानीय वाहन या टैक्सी बुक करके यहां से आसानी से भितरकनिका नेशनल पार्क पहुंच सकते हैं।

अक्टूबर से फरवरी तक का महीना सुहावना होता है, तो देर किस बात की अभी समय हो रहा है इस जगह जाने का, इधर की प्लानिंग करने की, अपने दोस्तों या परिवार के संग घूम कर इस प्राकृतिक अनुभूति का लुत्फ उठाइए।

(लेखिका वरिष्ठ पत्रकार हैं।)

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