Bharat Ke Famous Siddha Temple: अपने भक्तों की हर इच्छा पूरी करते हैं ये सिद्ध मंदिर, जानिए भारत में कहां हो सकते हैं इनके दर्शन
Indias Famous Siddha Temple History: भारत में ऐसे कई चमत्कारिक मंदिर हैं, जहां दर्शन करने से भक्त की हर इच्छा पूरी हो जाती है। हम आपके लिए कुछ ऐसे ही सिद्ध मंदिरों की लिस्ट लेकर आए हैं।;
Bharat Ke Manokamana Puri Karne Wale Mandir: हमारी हिन्दू संस्कृति में कई ऐसे सिद्ध मंदिर (Hindu Mandir) हैं, जो अपने अनगिनत रहस्यों और चमत्कारों के चलते देश ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में प्रसिद्ध हैं। इन मंदिरों को लेकर ऐसा भी कहा जाता है कि यहां देवी देवता सदैव जागृत अवस्था में रहते हैं। इन मंदिरों में श्रद्धालु जो भी ईश्वर से मांगते हैं, वह इच्छा जरूर पूरी होती हैं। इन मंदिरों के चमत्कारिक रहस्यों को वैज्ञानिक भी अपने तर्कों से काटने में असमर्थ रहे हैं। आइए जानते हैं ऐसे जागृत मंदिरों के बारे में-
कसारदेवी मंदिर (Bharat Ke Manokamana Puri Karne Wale Siddh Mandir, Kasar Devi Mandir)
इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यहां आने वालों की मुरादें तुरंत ही पूरी होती हैं। यहां कुदरत की खूबसूरती के दर्शन के साथ ही अद्भुत तरह की अनुभूति होती है। अल्मोड़ा से 10 किमी दूर अल्मोड़ा-बिंसर मार्ग पर स्थित कसारदेवी के आसपास पाषाण युग के अवशेष मिलते हैं।
अल्मोड़ा (उत्तराखंड) में स्थित कसारदेवी मंदिर को लेकर कहा जाता है कि स्वामी विवेकानंद 1890 में ध्यान के लिए कुछ महीनों के लिए आए थे। अल्मोड़ा से करीब 22 किमी दूर काकड़ीघाट में उन्हें विशेष ज्ञान की अनुभूति हुई थी। इसी तरह बौद्ध गुरु लामा अंगरिका गोविंदा ने गुफा में रहकर विशेष साधना की थी। कई पर्यावरण विदों का कसारदेवी मंदिर स्थल को लेकर कहना है कि मंदिर के आसपास वाला पूरा क्षेत्र वैन एलेन बेल्ट है, जहां धरती के भीतर विशाल भू-चुंबकीय पिंड है। इस पिंड में विद्युतीय चार्ज कणों की परत होती है जिसे रेडिएशन भी कह सकते हैं।
जगन्नाथ मंदिर (Bharat Ke Manokamana Puri Karne Wale Siddh Mandir, Jagannath Temple)
ओडिशा में स्थित जगन्नाथ मंदिर विष्णु के 8वें अवतार श्रीकृष्ण को समर्पित है। इस मंदिर के बारे में कई चमत्कार प्रसिद्ध हैं। पुराणों में इसे धरती का वैकुंठ कहा गया है। यह भगवान विष्णु के 4 धामों में से एक है। इसे श्रीक्षेत्र, श्रीपुरुषोत्तम क्षेत्र, शाक क्षेत्र, नीलांचल, नीलगिरि और श्री जगन्नाथ पुरी भी कहते हैं। हिन्दुओं की प्राचीन और पवित्र 7 नगरियों में पुरी ओडिशा राज्य के समुद्री तट पर बसे इस मंदिर को लेकर मान्यता है कि लक्ष्मीपति विष्णु ने तरह-तरह की लीलाएं की थीं। यहां जो भी सच्चे मन से मन्नत लेकर आता है उसकी मन्नत अवश्य पूरी होती है।
महाकाली शक्तिपीठ, पावागढ़ (Bharat Ke Manokamana Puri Karne Wale Siddh Mandir, Mahakali Mataji Temple, Pavagadh)
यह मंदिर गुजरात की प्राचीन राजधानी चंपारण्य के पास स्थित है, जो वडोदरा शहर से लगभग 50 किलोमीटर दूर है। पावागढ़ मंदिर ऊंची पहाड़ी की चोटी पर स्थित इस मंदिर तक जाने के लिए रोप-वे से उतरने के बाद लगभग 250 सीढ़ियां चढ़नी होती हैं। तब जाकर आप मंदिर के मुख्य द्वार तक पहुंचते हैं। गुजरात की ऊंची पहाड़ी पावागढ़ पर बसा मां कालिका का शक्तिपीठ सबसे जाग्रत माना जाता है। यहां स्थित काली मां को ’महाकाली’ कहा जाता है। कालिका माता का यह प्रसिद्ध मंदिर मां के शक्तिपीठों में से एक है। ऐसा माना जाता है कि मां पार्वती के दाहिने पैर की अंगुलियां पावागढ़ पर्वत पर गिरी थीं।
बालाजी हनुमान मंदिर (Bharat Ke Manokamana Puri Karne Wale Siddh Mandir, Balaji Hanuman Temple)
राजस्थान के दौसा जिले के पास दो पहाड़ियों के बीच बसा हुआ घाटा मेहंदीपुर नामक स्थान है। जनश्रुति है कि यह मंदिर करीब 1,000 साल पुराना है। यहां पर एक बहुत विशाल चट्टान में हनुमानजी की आकृति स्वयं ही उभर आई थी। इसे ही श्री हनुमानजी का स्वरूप माना जाता है। इनके चरणों में छोटी-सी कुंडी है जिसका जल कभी समाप्त नहीं होता। यहां के हनुमानजी का विग्रह काफी शक्तिशाली एवं चमत्कारिक माना जाता है तथा इसी वजह से यह स्थान न केवल राजस्थान में बल्कि पूरे देश में विख्यात है। यहां हनुमानजी के साथ ही शिवजी और भैरवजी की भी पूजा की जाती है।
शनि शिंगणापुर (Bharat Ke Manokamana Puri Karne Wale Siddh Mandir, Shani Shingnapur)
महाराष्ट्र के एक गांव शिंगणापुर में स्थित शनि भगवान का प्राचीन मंदिर अद्भुत चमत्कार से भरा हुआ है। इस गांव के बारे में कहा जाता है कि यहां रहने वाले लोग अपने घरों में ताला नहीं लगाते हैं और आज तक के इतिहास में यहां किसी ने चोरी नहीं की है। ऐसी मान्यता है कि बाहरी या स्थानीय लोगों ने यदि यहां किसी के भी घर से चोरी करने का प्रयास किया तो वह गांव की सीमा से पार नहीं जा पाता है और उससे पूर्व ही शनिदेव का प्रकोप उस पर हावी हो जाता है। शनि भगवान के समक्ष उसे माफी भी मांगना होती है वर्ना उसे जीवन में अनगिनत कष्ट सहने होते हैं।
कैलाश मानसरोवर मंदिर (Bharat Ke Manokamana Puri Karne Wale Siddh Mandir, Kailash Mansarovar Mandir)
कैलाश मानसरोवर वही पवित्र जगह है जिसे शिव का धाम माना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, मानसरोवर के पास स्थित कैलाश पर्वत पर शिव-शंभू का धाम है। यही वह पावन जगह है, जहां शिव-शंभू विराजते हैं। कैलाश पर्वत 22,028 फीट ऊंचा एक पत्थर का पिरामिड है, जिस पर सालभर बर्फ की सफेद चादर लिपटी रहती है। कैलाश पर्वत की तलछटी में कल्पवृक्ष लगा हुआ है। कैलाश पर्वत के दक्षिण भाग को नीलम, पूर्व भाग को क्रिस्टल, पश्चिम को रूबी और उत्तर को स्वर्ण रूप में माना जाता है।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, यह जगह कुबेर की नगरी है। यहीं से महाविष्णु के कर-कमलों से निकलकर गंगा कैलाश पर्वत की चोटी पर गिरती है, जहां प्रभु शिव उन्हें अपनी जटाओं में भर धरती में निर्मल धारा के रूप में प्रवाहित करते हैं। कैलाश मानसरोवर दुनिया की सबसे दुर्गम और सुंदर तथा अद्भुत यात्रा है।
अमरनाथ (Bharat Ke Manokamana Puri Karne Wale Siddh Mandir, Amarnath Temple)
इस पवित्र गुफा में हिम शिवलिंग के साथ ही एक गणेश पीठ व एक पार्वती पीठ भी हिम से प्राकृतिक रूप में निर्मित होता है। पार्वती पीठ ही शक्तिपीठ स्थल है। यहां माता सती के कंठ का निपात हुआ था। पार्वती पीठ 51 शक्तिपीठों में से एक है। इसके अलावा यहां अजर और अमरता प्राप्त कबूतर के जोड़े रहते हैं, जो किसी भाग्यशाली को ही दिखाई देते हैं। इस पवित्र गुफा में भगवान शंकर ने भगवती पार्वती को मोक्ष का मार्ग दिखाया था। इस तत्वज्ञान को ’अमरकथा’ के नाम से जाना जाता है इसीलिए इस स्थान का नाम ’अमरनाथ’ पड़ा।
यह कथा भगवती पार्वती तथा भगवान शंकर के बीच हुआ संवाद है। यह उसी तरह है जिस तरह कृष्ण और अर्जुन के बीच संवाद हुआ था।केदारनाथ से आगे है अमरनाथ और उससे आगे है कैलाश पर्वत। कैलाश पर्वत शिवजी का मुख्य समाधिस्थ होने का स्थान है, तो केदारनाथ विश्राम भवन।
शिरडी साईं मंदिर (Bharat Ke Manokamana Puri Karne Wale Siddh Mandir, Shirdi Sai Mandir)
शिरडी के साई बाबा का मंदिर विश्वभर में प्रसिद्ध तीर्थस्थल है। शिर्डी अहमदनगर जिले के कोपरगांव तालुका में है। गोदावरी नदी पार करने के पश्चात मार्ग सीधा शिर्डी को जाता है। 8 मील चलने पर जब आप नीमगांव पहुंचेंगे तो वहां से शिर्डी दृष्टिगोचर होने लगती है। श्री सांईंनाथ ने शिर्डी में अवतीर्ण होकर उसे पावन बनाया। सांईं बाबा पर यह विश्वास जाति-धर्म व राज्यों से परे देशों की सीमा लांघ चुका है। यही वजह है कि ’बाबा की शिर्डी’ में भक्तों का मेला हमेशा लगा रहता है जिसकी तादाद प्रतिदिन जहां 30 हजार के करीब होती है, वहीं गुरुवार व रविवार को यह संख्या दुगनी हो जाती है। आज ’सांईं बाबा की शिर्डी’ के नाम से इसे दुनियाभर में जाना जाता है।
कालभैरव (Bharat Ke Manokamana Puri Karne Wale Siddh Mandir, Kaalbhairav)
उज्जैन, मध्यप्रदेश में स्थित कालभैरव का अतिप्राचीन और चमत्कारिक मंदिर है। कालांतर में यह मंदिर आम लोगों के लिए खोल दिया गया, लेकिन बाबा ने भोग स्वीकारना यूं ही जारी रखा।वाम मार्गी संप्रदाय के इस मंदिर में कालभैरव की मूर्ति को न सिर्फ मदिरा चढ़ाई जाती है, बल्कि बाबा भी मदिरापान करते हैं। यहां देश-विदेश से हजारों श्रद्धालु मन्नत मांगने आते हैं।
कालभैरव का यह मंदिर लगभग 6,000 साल पुराना माना जाता है। यह एक वाम मार्गी तांत्रिक मंदिर है। वाम मार्ग के मंदिरों में मांस, मदिरा, बलि, मुद्रा जैसे प्रसाद चढ़ाए जाते हैं। प्राचीन समय में यहां सिर्फ तांत्रिकों को ही आने की अनुमति थी। वे ही यहां तांत्रिक क्रियाएं करते थे और कुछ विशेष अवसरों पर कालभैरव को मदिरा का भोग भी चढ़ाया जाता था।
वैष्णो देवी (Bharat Ke Manokamana Puri Karne Wale Siddh Mandir, Vaishno Devi)
यह मंदिर जम्मू और कश्मीर राज्य के जम्मू में स्थित है। हालांकि सदियों से यह गुफा लोगों के लिए अपने धार्मिक महत्व के साथ मनौती प्राप्ति का एक मुख्य स्थान रही है। यहां माता का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए विदेशों से भी बड़ी संख्या में सैलानी आते हैं।जम्मू शहर के उत्तर-पूर्व में 70 किमी की दूरी तय करके पवित्र त्रिकुटा पहाड़ियों पर स्थित वैष्णोदेवी की पावन गुफा ऋषि मुनियों की भी शरण स्थली रही है।
सबरीमाला मंदिर (Bharat Ke Manokamana Puri Karne Wale Siddh Mandir, Sabarimala Temple)
भगवान अयप्पा का यह धाम केरल और तमिलनाडु की सीमा पर पश्चिमी घाट की पहाड़ियों पर स्थित है। इस मंदिर को दक्षिण भारत के प्रमुख तीर्थ स्थान का दर्जा मिला हुआ है। पूणकवन के नाम से प्रसिद्ध कुल 18 पहाड़ियों के बीच स्थित यह पवित्र धाम चारों ओर से घने वन और छोटी-बड़ी पहाड़ियों से घिरा हुआ है। माना जाता है कि महर्षि परशुराम ने सबरीमाला पर भगवान अयप्पा की साधना के लिए उनकी मूर्ति स्थापित की थी। यह प्रभु अयप्पा का निवास स्थान माना जाता है।
इस विश्वविख्यात मंदिर की महिमा का जितना गुणगान किया जाए, कम ही है। यह मंदिर करोड़ों श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र है। माना जाता है की मक्का-मदीना के बाद यह विश्व का दूसरा बड़ा तीर्थ स्थान माना जाता है। इस पवित्र स्थल पर करोड़ों भक्त दर्शन के लिए आते हैं।
रामेश्वरम (Bharat Ke Manokamana Puri Karne Wale Siddh Mandir, Rameswaram)
रामेश्वरम शहर से करीब डेढ़ मील उत्तर-पूर्व में गंधमादन पर्वत नाम की एक छोटी-सी पहाड़ी है। हनुमानजी ने इसी पर्वत से समुद्र को लांघने के लिए छलांग मारी थी। बाद में राम ने लंका पर चढ़ाई करने के लिए यहीं पर विशाल सेना संगठित की थी। इस पर्वत पर एक सुंदर मंदिर बना हुआ है, जहां श्रीराम के चरण-चिन्हों की पूजा की जाती है। इसे पादुका मंदिर (Paduka Mandir) कहते हैं।
चार धामों में से एक रामेश्वरम तमिलनाडु के रामनाथपुरम जिले में स्थित है। यहां स्थापित शिवलिंग बारह द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक माना जाता है। यह शिवलिंग स्वयं भगवान राम ने स्थापित किया था। इस चमत्कारिक शिवलिंग के दर्शनमात्र से मनोकामना पूर्ण हो जाती है।
तिरुपति बालाजी मंदिर (Bharat Ke Manokamana Puri Karne Wale Siddh Mandir, Tirupati Balaji Temple)
तिरुमाला पर्वत पर स्थित भगवान बालाजी के मंदिर में हर साल करोड़ों लोग इस मंदिर के दर्शन के लिए आते हैं।वेंकटेश्वरैया का यह मंदिर सप्तगिरी की सातवीं पहाड़ी पर स्थित है, जो वेंकटाद्री नाम से प्रसिद्ध है। प्रभु वेंकटेश्वर या बालाजी को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि प्रभु विष्णु ने कुछ समय के लिए स्वामी पुष्करणी नामक तालाब के किनारे निवास किया था। यह तालाब तिरुमाला के पास स्थित है। तिरुमाला- तिरुपति के चारों ओर स्थित पहाड़ियां, शेषनाग के सात फनों के आधार पर बनीं सप्तगिरी कहलाती हैं।
कामाख्या मंदिर (Bharat Ke Manokamana Puri Karne Wale Siddh Mandir, Kamakhya Temple)
गुवाहाटी, असम में स्थित कामाख्या देवी शक्तिपीठ को 51 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है। यह मंदिर एक पहाड़ी पर बना है व इसका तांत्रिक महत्व है। यहां देवी की योनि का पूजन होता है। जो मनुष्य इस शिला का पूजन, दर्शन स्पर्श करते हैं, वे दैवी कृपा तथा मोक्ष के साथ भगवती का सान्निध्य प्राप्त करते हैं। यह शक्तिपीठ तंत्र साधना के लिए प्रसिद्ध है। कामाख्या शक्तिपीठ असम की राजधानी दिसपुर के पास गुवाहाटी से 8 किलोमीटर दूर कामाख्या में है। यहां आने वाले की हर मनोकामना पूर्ण होती है। यहीं भगवती की महामुद्रा (योनि-कुण्ड) स्थित है। यह मंदिर शक्ति की देवी सती का मंदिर है।
गजानन महाराज (Bharat Ke Manokamana Puri Karne Wale Siddh Mandir, Gajanan Maharaj)
शेगांव, महाराष्ट्र में स्थित श्री गजानन महाराज का समाधि स्थल मनोकामना पूर्ति के लिए बेहद चर्चित है। श्री गजानन महाराज दिगंबर वृत्ति के सिद्ध कोटि के साधु थे। जो भी मिले वह खाना, कहीं भी रहना, कहीं भी भ्रमण करना ऐसी उनकी दिनचर्या थी। मुख से हमेशा परमेश्वर का भजन करते रहते थे। शेगांव स्थित गजानन महाराज के मंदिर में हमेशा भक्तों की भीड़ लगी रहती है। शेगांव महाराष्ट्र के प्रमुख तीर्थस्थानों में शामिल है। शेगांव महाराष्ट्र में बुलढाना जिले में सेंट्रल रेलवे के मुंबई-नागपुर मार्ग पर है।
श्रीबाबा रामदेव मंदिर (Bharat Ke Manokamana Puri Karne Wale Siddh Mandir, Shribaba Ramdev Temple)
भक्तों के भी है पीर के रूप में लोकप्रिय इन बाबा को बाबारी कह कर भी पुकारते हैं। हिन्दू उन्हें रामदेवजी और मुस्लिम उन्हें रामसा पीर कहते हैं। यह चमत्कारिक मंदिर रुणिचा धाम रामदेवरा (राजस्थान) में स्थित है। यहां आकर माथा टेकने से सारे मनोरथ पूरे हो जाते हैं।
बाबा रामदेव को द्वारिकाधीश (श्रीकृष्ण) का अवतार भी माना जाता है। हिन्दू-मुस्लिम एकता के प्रतीक बाबा रामदेव के समाधि स्थल रुणिचा में मेला लगता है, जहां भारत और पाकिस्तान से लाखों की तादाद में लोग अपनी मुरादें मांगने के लिए आते हैं।
नाथद्वारा मंदिर (Bharat Ke Manokamana Puri Karne Wale Siddh Mandir, Nathdwara Temple)
राजस्थान के उदयपुर शहर से 30 मील की दूरी पर स्थित प्रसिद्ध एकलिंगजी स्थान से मात्र 17 मील उत्तर में स्थित है यह विश्व प्रसिद्ध मंदिर। श्रीवल्लभाचार्य के सम्प्रदाय का श्रीनाथ द्वारा मंदिर वैष्णव और वल्लभ सम्प्रदाय ही नहीं समूचे हिंदू समाज के बीच अपनी दिव्यता को लेकर खासा लोकप्रिय है।
गोरखनाथ मंदिर (Bharat Ke Manokamana Puri Karne Wale Siddh Mandir, Gorakhnath Temple)
गोरखनाथ का यह मंदिर उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में स्थित है। यहां गुरु गोरखनाथ की समाधि है। यहां स्थित मंदिर में गुरु गोरखनाथजी महाराज की श्वेत संगमरमर की एक ध्यानावस्थित मूर्ति भी प्रतिष्ठित है। माना जाता है कि ज्वालादेवी के स्थान से परिभ्रमण करते हुए ’गोरक्षनाथ जी’ ने आकर भगवती राप्ती के तटवर्ती क्षेत्र में तपस्या की थी और इसी स्थान पर अपनी दिव्य समाधि लगाई थी। नाथ सम्प्रदाय की मान्यता के अनुसार भगवान शिव के साक्षात् स्वरूप ’श्री गोरक्षनाथ जी’ सतयुग में पेशावर में, त्रेता युग में गोरखपुर, द्वापर युग में हरमुज, द्वारिका के पास तथा कलियुग में गोरखमधी सौराष्ट्र में अवतरित हुए थे।
गुरु गोरखनाथ जी के प्रतिनिधि के रूप में सम्मानित संत को महंत की उपाधि से विभूषित किया जाता है। इस मंदिर के वर्तमान महंत आदित्यनाथ है। गुरु गोरखनाथ एक चमत्कारिक सिद्ध संत थे। उनके बारें में हजारों किस्से प्रचलित है।
आकाशीगंगा पीठ (Bharat Ke Manokamana Puri Karne Wale Siddh Mandir, Akashiganga Peeth Temple)
अरुणाचल प्रदेश में स्थित आकाशीगंगा पीठ मंदिर कई रहस्यों के चलते काफी चर्चित है। यहां से जुड़ी एक पौराणिक कथा के मुताबिक जब भगवान शिव गुस्से में अपनी पत्नी पार्वती के शव को लेकर घूम रहे थे तब भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र से उनके शव को टुकड़ों में काट दिया था। उस शव का एक टुकड़ा इस इलाके में भी गिरा था। इसके अलावा पुराणों के अनुसार भगवान कृष्ण अपनी कई पत्नियों में से एक रुक्मणी को अरुणाचल पर राज करने वाले उनके पिता से दूर भगा ले गए थे। खुदाई से यहां आर्यों की बहुत पुरानी बस्ती का भी पता चला है।
एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान परशुराम ने अपने मातृहत्या के पाप को यहां की ही लोहित नदी में धोया था। बाद में इसका नाम परशुराम कुंड पड़ा। जनवरी के महीने में लगने वाले परशुराम मेले में भाग लेने दूर-दूर से लोग आते हैं। इस जगह से दूर से ब्रहम्पुत्र नदी का विहंगम दृश्य भी दिखाई देता है।
हिंगलाज माता मंदिर (Manokamana Puri Karne Wale Siddh Mandir, Shri Hinglaj Mata Temple, Pakistan)
जागृत मंदिरों में एक नाम पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत के जिला लसबेला में हिंगोल नदी के किनारे पहाड़ी गुफा में स्थित माता पार्वती का हिंगलाज मंदिर का भी आता है। यहां वर्ष में एक बार भारत और पाकिस्तान के हिन्दू यात्रा करते हैं। इस मंदिर से कई तरह के चमत्कार जुड़े हुए हैं। हिंगलाज माता मंदिर माता पार्वती के 51 शक्तिपीठों में से एक है। इस मंदिर के महत्व का उल्लेख देवी भागवत पुराण सहित अन्य पुराणों में भी पढ़ने को मिलता है।
भारत विभाजन के बाद पाकिस्तान के कई ऐतिहासिक और प्राचीन मंदिरों के नष्ट होने के बीच यह मंदिर आज भी सुरक्षित है। इस मंदिर को कट्टरपंथियों ने तोड़ने का कई बार प्रयास किया। लेकिन किसी चमत्कार के चलते उनकी मृत्यु हो गई। वर्तमान में इस मंदिर की देखरेख भी मुसलमान समुदाय ही करता है।