Jabalpur Famous Temple: जबलपुर फेमस शिव मंदिर, जहां सावन में हर साल भीड़ बनाती है रिकॉर्ड

Jabalpur Famous Shiv Temple: जबलपुर में वैसे तो बहुत कुछ खास है, लेकिन यहां एक ऐसा भी मंदिर है, जो हर साल सावन महीने में रिकॉर्ड बनाता है...

Written By :  Yachana Jaiswal
Update:2024-08-02 11:20 IST

Kailash Dham (Pic Credit-Social Media)

Kailash Dham Temple in Jabalpur: जबलपुर मध्य प्रदेश में पर्यटक के लिए उचित स्थान है। यहां के भेदाघाट की प्राकृतिक खूबसूरती पर्यटक के लिए इसे खास बनाती है। आपको यहां पर भगवान शिव का एक विशाल मंदिर भी देखने को मिलता है। इस मंदिर में हर साल शिव भक्तों का हुजूम उमड़ता है। जो हर साल नया रिकॉर्ड बनाता है, हम बात कर रहे हैं, कैलाश धाम मंदिर की।

जबलपुर में कैलाश धाम उन कुछ स्थानों में से एक है जहाँ कावड़ यात्रा के लिए सबसे ज़्यादा लोग आते हैं। इस कैलाश धाम को अखिलेश्वर महादेव मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। यह मंदिर जबलपुर, जंगल के बीच में ऊँचाई पर स्थित है, जहाँ से बहुत ही शानदार नज़ारा दिखाई देता है। बरसात और मानसून के मौसम में यह स्थान अद्भुत होता है। 

कैसे पहुंचे यहां(How To Reach Here)

यह मंदिर जबलपुर रेलवे स्टेशन से 10 किलोमीटर दूर और आयुध कारखाना खमरिया, भरदघाट के नजदीक है। आपको मंदिर के पास और मंदिर परिसर में भी कई अच्छे प्राकृतिक दृश्य देखने को मिल सकते हैं।

स्थानीय लोगों के लिए जबलपुर खमरिया से 6-7 किमी, पहाड़ी पर स्थित (448मी.) भगवान शिव को आकर्षण के रूप में समर्पित आकर्षण गोल गुम्बद वाला मंदिर है।



सावन में हर वर्ष भक्त बनाते है रिकॉर्ड

यह एक महादेव मंदिर है जो पहाड़ की चोटी पर स्थित है और यह जबलपुर से 25 किमी दूर है। महादेव के सावन महीने के दौरान कावड़ यात्रा के लिए प्रसिद्ध है। सावन महीने के हर दूसरे सोमवार को 60 हजार से अधिक भक्त शिवलिंग अभिषेक में भाग लेते हैं, वे ग्वारीघाट से कैलाश धाम तक लगभग 30 किमी पैदल दूरी तक नर्मदा जल लाते है, और भगवान को अर्पित करते है। रांझी मटामर स्थित कैलाश धाम में विराजे भगवान भोलेनाथ के दर्शन करने बड़ी संख्या में लोग पहुंचते हैं। कैलाशधाम के नाम से प्रसिद्ध हो चुकी पहाड़ी में स्थापित शिवलिंग का पूजन अर्चन करने और पहाड़ी का अद्भुत सौंदर्य निहारने जबलपुर ही नहीं बल्कि अन्य प्रदेशों से भी श्रद्धालु पहुंचने लगे हैं। खासतौर से श्रावण मास में कैलाश धाम की अद्भुत सौंदर्य देखते ही बनता है।



शिवजी का चमत्कार

दरअसल जिसे आज कैलाश धाम कहा जाता है आज से करीब 13 वर्ष पूर्व पत्थरीली पहाड़ी व मुरम थी, जो वर्तमान में हरी-भरी पहाड़ी का रूप ले चुकी है। यहां हरियाली की चादर बिखरी पड़ी है। पहाड़ी का सौंदर्य लगातार निखरता जा रहा है। यहां की शुद्ध हवा में घुली शीतलता के बीच मन को अध्यात्मिक शांति व ऊर्जा मिलती है। 



भीतर शिव, बाहर खड़े है नंदी

कैलाशधाम मंदिर के भी शिव विराजे हैं, वहीं परिसर में बाहर विशाल नंदी स्थापित हैं। मंदिर में अन्य देवी, देवताओं की स्थापना भी की गई है। श्रावण मास में यहां मेला लगता है। जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। यहां हर सीजन में जाना अच्छा है पर श्रावण में यहां की अद्भुत छंटा देखते ही बनती है। पर्यटन प्रेमियों के लिए भी ये धार्मिक स्थल घूमने-फिरने के लिए बेहद उपयुक्त है।



पौधे को देवतुल्य माना 

भैय्या जी सरकार ने पौधे को देवतुल्य मानते हुए, प्रकृति और पर्यावरण के महत्व को बताया। उनकी प्रेरणा से कैलाश धाम से निकाली जाने वाली कांवड़ यात्रा में कांवड़ के एक तरफ नर्मदा जल और दूसरी तरफ एक पौधा लेकर यात्रा निकाली जाने लगी। नर्मदा से लाए नर्मदा जल से शिव का जलाभिषेक किया जाता और पौधे को पहाड़ी पर लगाया जाता। बीते 13 सालों से रोपे जा रहे पौधों से पहाड़ी हरी-भरी हो गई। लगातार पहाड़ी का सौंदर्य बढ़ता जा रहा है। कैलाश धाम से निकाली जानी वाली कांवड़ यात्रा भी भव्य होती जा रही है। 

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