Jagannath Rath Yatra 2024: जगन्नाथ रथ यात्रा आज से, भगवान इस दिन पहुंचेंगे गुंडीचा मंदिर, यहां देखें 10 दिन का क्या है पूरा शेड्यूल

Jagannath Rath Yatra 2024: मान्यता है कि भगवान जगन्नाथ आषाढ़ शुक्ल द्वितीया से दशमी तक जन सामान्य के बीच रहते हैं। रथ यात्रा के दर्शन मात्र से ही 1000 यज्ञों का पुण्य फल मिल जाता है।

Update:2024-07-07 12:35 IST

Jagannath Rath Yatra 2024

Jagannath Rath Yatra 2024: उड़ीसा के पुरी में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा रविवार यानी आज से शुरू हो रही है। जगन्नाथ रथ यात्रा का आयोजन हर साल आषाढ़ माह में शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि से होता है। भगवान जगन्नाथ आषाढ़ शुक्ल द्वितीया से दशमी तिथि तक जन सामान्य के बीच रहते हैं। इस दौरान भगवान जगन्नाथ अपने बड़े भाई बलराम और बहन सुभद्रा के साथ रथ पर विराजमान होकर गुंडीचा मंदिर की ओर प्रस्थान करते हैं। इस रथ यात्रा का भव्य आयोजन 10 दिनों तक चलता है। ऐसी मान्यता है कि भगवान जगन्नाथ के रथ यात्रा के दर्शन मात्र से ही 1000 यज्ञों का पुण्य फल मिल जाता है। रथ यात्रा में लाखों की भीड़ जुटती है।यहां हम आपको घर में भगवान जगन्नाथ की पूजा कैसे करें, महाप्रसाद के साथ-साथ रथ यात्रा का पूरा शेड्यूल बताने जा रहे हैं। तो आइए जानते हैं कि इस दौरान क्या-क्या होता है।

रथ यात्रा में सबसे आगे ताल ध्वज पर श्री बलराम जी चलते हैं। बलराम जी के पीछे पद्म ध्वज रथ पर माता सुभद्रा और सुदर्शन चक्र होते हैं। अंत में गरुण ध्वज पर श्री जगन्नाथ जी सबसे पीछे चलते हैं। स्कंद पुराण में यह स्पष्ट उल्लेख मिलता है कि रथ यात्रा में जो व्यक्ति श्री जगन्नाथ जी के नाम का कीर्तन करता हुआ गुंडीचा नगर तक जाता है वह पुनर्जन्म चक्र से मुक्त हो जाता है। यही नहीं जो व्यक्ति भगवान जगन्नाथ के नाम का केवल कीर्तन ही करता हुआ रथ यात्रा में सम्मिलित होता है, उसकी सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।


भगवान जगन्नाथ का महाप्रसाद

भगवान जगन्नाथ जी को छह बार महाप्रसाद का भोग लगाया जाता है। भगवान के भोजन में सात विभिन्न प्रकार के चावल, चार प्रकार की दाल, नौ प्रकार की सब्जियां और अनेक प्रकार की मिठाइयां परोसी जाती हैं। यहां मीठे व्यंजन तैयार करने के लिए शक्कर की जगह अच्छे किस्म का गुड़ प्रयोग में लाया जाता है। आलू टमाटर और फूलगोभी का उपयोग मंदिर में नहीं होता है। इन्हें भगवान के भोग में शामिल नहीं किया जाता है।


घर में कैसे करें भगवान जगन्नाथ की पूजा?

जिन लोगों के लिए उड़ीसा के पुरी की रथ यात्रा में जाना संभव नहीं है वो अपने घर पर ही भगवान जगन्नाथ की उपासना कर सकते हैं। वे भगवान जगन्नाथ को भोग लगाएं और उनके मंत्रों का जाप करें। घर के पूजा स्थान पर श्री जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की प्रतिकृति स्थापित करें। उन्हें सात्विक भोग लगाएं। भोग में तुलसी दल अवश्य डालें। इसके बाद श्री जगन्नाथ जी की स्तुति करें। या हरि नाम या महामंत्र का संकीर्तन करें। इस बात का ध्यान रखें कि इस दिन घर में पूरी तरह सात्विकता बनी रहे।


7 जुलाई को रथ यात्रा का संभावित कार्यक्रम

रविवार यानी 7 जुलाई 2024 को भगवान जगन्नाथ, बलराम और सुभद्रा को रथों में विराजमान कराया जाएगा और वे सिंहद्वार से निकलकर गुंडिचा मंदिर की ओर प्रस्थान करेंगे। रथ यात्रा में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू भी शामिल होकर भगवान जगन्नाथ का आशीर्वाद लेंगी। रथ यात्रा के पहले दिन दोपहर के समय तीनों देवी-देवताओं को एक-एक कर मंदिर से बाहर लाया जाएगा, उसके बाद पुरी के शंकराचार्य रथ की पूजा करेंगे। इसके बाद जगन्नाथ रथ यात्रा से जुड़ी सबसे प्रसिद्ध रस्म छेरा पहरा की जाएगी। इसमें उड़ीसा के महाराज गजपति देवी-देवताओं और रथों के चारों ओर सोने की झाड़ू से सफाई करेंगे। इस झाड़ू से रथ का मंडप साफ किया जाएगा फिर उसी झाड़ू से रथ के लिए रास्ता भी साफ होगा। शाम के समय श्रद्धालु भगवान जगन्नाथ, बलराम और सुभद्रा के रथ को खींचना शुरू करेंगे।


सोमवार, 8 जुलाई 2024

8 जुलाई यानी सोमवार की सुबह फिर से रथ को आगे बढ़ाया जाएगा। पुरी मंदिर के एक अधिकारी ने बताया कि रथ यात्रा सोमवार को गुंडीचा मंदिर पहुंचेगी। अगर किसी कारणवश इसमें देरी होती है तो रथ मंगलवार को मंदिर पहुंचेंगे।


8-15 जुलाई 2024

आठ से 15 जुलाई तक भगवान जगन्नाथ, बलराम और सुभद्रा के रथ गुंडिचा मंदिर में रहेंगे। इस दौरान यहां उनके लिए कई प्रकार के पकवान बनाए जाते हैं। यह परंपरा सदियों से चली आ रही है और आज भी इसका पूरी तरह से पालन किया जाता है। 16 जुलाई 2024 को भगवान जगन्नाथ के रथ यात्रा का समापन हो जाएग और तीनों देवी-देवता वापस फिर जगन्नाथ मंदिर को लौट जाएंगे।

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