Jodhpur Famous Malai Roti: 1200 रुपए किलो मिलती है ये खास रोटी, जोधपुर में है बहुत प्रसिद्ध

Jodhpur Famous Malai Roti: जोधपुर राजस्थान का एक प्रसिद्ध शहर है और यहां पर एक से बढ़कर एक पर्यटक स्थल मौजूद है। यहां की सकरी गलियों में मिलने वाली मलाई रोटी बहुत प्रसिद्ध है।

Update: 2024-05-09 12:06 GMT

Jodhpur Famous Malai Roti Vijay Restaurant

Jodhpur Famous Malai Roti: पर्यटन के लिहाज से राजस्थान बहुत ही खूबसूरत जगह है। जहां पर पुराने और ऐतिहासिक किले और दूर-दूर तक फैले हुए रेगिस्तान दिखाई देते हैं। रहन-सहन, संस्कृति, पहनावे, बोली और खान-पान के लिए भी राजस्थान बहुत प्रसिद्ध है। राजस्थान में जब भी खाने पीने की बात होती है तो जोधपुर का नाम सबसे पहले आता है। जोधपुर राजस्थान का एक प्रसिद्ध शहर है और जब भी पर्यटक यहां पर पहुंचते हैं, तो स्वादिष्ट व्यंजनों का स्वाद लेने से खुद को नहीं रोक पाते। ऐसा ही एक स्वादिष्ट व्यंजन जो यहां मिलता है वह मलाई रोटी जिसका नाम सुनते ही किसी के भी मुंह में पानी आ जाएगा।

बहुत प्रसिद्ध है मलाई रोटी

मलाई रोटी एक ऐसा व्यंजन है जिसका स्वाद एक बार चखने के बाद कोई नहीं भूल सकता। जोधपुर की तंग गलियों के अंदर मौजूद विजय रेस्टोरेंट पर आप पहुंचेंगे तो आपको इस स्वादिष्ट रोटी का स्वाद चखने को मिलेगा। 50 सालों से ज्यादा समय से एक ही दुकानदार इस रोटी को बनाता आ रहा है। इसे बनाने में कहीं तरह की चीजों का उपयोग होता है इसलिए जब यह बनाई जाती है तो यहां पर किसी को एंट्री नहीं मिलती।

पर्यटक हैं दीवाने

मलाई रोटी के बारे में सुनकर अगर आप भी इसका स्वाद चखने की सोच रहे हैं तो आपको जोधपुर की तंग गलियों में जाना होगा। यहां संकरी गलियों के बीच अचलनाथ महादेव और कुंज बिहारी मंदिर मौजूद है। इसके पास ही एक छोटा सा रेस्टोरेंट बना हुआ है। यह जगह भले ही छोटी हो लेकिन इसका स्वाद देश ही नहीं विदेशी पर्यटकों के बीच भी बहुत प्रसिद्ध है।

कितनी है कीमत

मलाई रोटी मिठाई को बनाने के लिए 15 किलो दूध में केवल एक से डेढ़ किलो तक मलाई रोटी मिठाई बनती है। एक मलाई रोटी का वजन 100 ग्राम से 150 सौ ग्राम का होता है। इस मिठाई का रेट ₹1200 किलो है।

ऐसे बनी मिठाई

रेस्टोरेंट संचालक भरत भाटी के अनुसार उनके पिता जवाहरलाल भाटी ने 1982 में इस मलाई रोटी की रेसिपी को तैयार किया था। दूध को उबालकर मलाई बनाई गई। उस मलाई को ठंडा करके गोल कट कर घी में तला गया। उसके बाद चासनी में डुबो दिया गया। फिर इसे मिठाई की तरह लॉन्च किया गया। शुरुआत में इस मिठाई की डिमांड कम थी। पहले इसे केवल सर्दियों में बनाया जाता था। लेकिन इसके बाद इतनी डिमांड बढ़ गई और हर सीजन में इसे तैयार किया जाने लगा।

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