Bhilai Kalchuri Shiv Mandir: रहस्यों से भरपूर है छत्तीसगढ़ में स्थित कलचुरी शिव मंदिर, जानें पौराणिक कथा
Bhilai Kalchuri Shiv Mandir : शैली और संस्कृति के प्रति अपनी महानता से प्रसिद्ध था। कलचुरी शिव मंदिर अपनी ऐतिहासिक महत्वपूर्ण विशेषताओं के लिए प्रसिद्ध है।
Bhilai Kalchuri Shiv Mandir : छत्तीसगढ़ में ऐतिहासिक मंदिरों का अपना विशेष महत्व है। भिलाई भारत के छत्तीसगढ़ राज्य के दुर्ग ज़िले में स्थित एक नगर है। यह भारत का एक प्रमुख औद्योगिक केन्द्र है और मध्य भारत का एक मुख्य शिक्षा केन्द्र भी है। भिलाई शिवनाथ नदी के तट पर बसा हुआ है। यह दुर्ग शहर से सटा हुआ है, जिस से दुर्ग-भिलाई वास्तव में इन जुड़वा शहरों का एक ही संयुक्त्त नगरीय क्षेत्र है। भिलाई का कलचुरी शिव मंदिर भी इनमें से एक है। इसका निर्माण कलचुरी राजवंश के समय में हुआ था, जो शैली और संस्कृति के प्रति अपनी महानता से प्रसिद्ध था। कलचुरी शिव मंदिर अपनी ऐतिहासिक महत्वपूर्ण विशेषताओं के लिए प्रसिद्ध है।
जानें पौराणिक कथा (Know The Mythological Story)
कलचुरी शिव मंदिर के गर्भगृह में बाबा भोलेनाथ स्वयं प्रकट हुए थे, जो उस स्थान को और भी पवित्र बनाती है। नाग-नागिन का जोड़ा भी मंदिर की विशेषता है, जिसे लोग भगवान भोलेनाथ के आशीर्वाद के रूप में मानते हैं। ये सभी कथाएँ मंदिर को एक अद्वितीय और धार्मिक स्थल के रूप में सजीव रखती हैं।
नहीं सूखता कुंड का पानी (The Water in The Pond Does Not Dry Up)
बता दें कि इस मंदिर परिसर में एक कुंड बना हुआ है। जिसके लेकर पौराणिक कथाएं भी है। जिसके अनुसार, यहां का पानी कभी भी सूखता या कम नहीं होता है। इसके अंदर एक सुरंग भी है जोकि छत्तीसगढ़ के आरंग जिले में निकलता है। ये पानी कहां से आता है, इसका उद्गम स्थल कहां है ये किसी को भी नहीं पता है। महाशिवरात्रि मेला जैसे अवसर पर लोग भगवान शिव के दर्शन के लिए आते हैं और अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए प्रार्थना करते हैं।
कुंड का रहस्य (Mystery of The Pond)
पुजारी की मानें तो इस मंदिर का निर्माण छमासी की रात को एक व्यक्ति ने कराया था जो इस कुंड में नहाया करता था। जिसके बाद वो बिना कपड़ों के ही मंदिर बनाने के कार्य में जुट जाता था। वहां उसकी पत्नी रोज खाना लेकर आती थी, लेकिन एक दिन उसकी बहन खाना लेकर उसके पास पहुंची। जब वह अपनी बहन को देखा तो वा शर्मा गया और नग्न अवस्था में ही कुंड में कूद गया। तब से उस व्यक्ति का कोई सुराग नहीं मिला, इसलिए यहां का गुंबद अधूरा है।