Kanpur Famous Dal Bati Chokha: खाना है बिहारी स्टाइल में दाल-बाटी-चोखा, तो आइये कानपुर में यहाँ, स्वाद का है भंडार

Kanpur Famous Dal Bati Chokha: अगर आपको कानपुर में बिहारी स्टाइल दाल-बाटी-चोखा खाना हो तो आपको आना होगा CSA रावतपुर के गेट नंबर तीन के पूर्वांचल दाल बाटी चोखा के फ़ूड स्टाल पर। यह फ़ूड स्टाल देखने में तो छोटा सा है लेकिन स्वाद के मामले में इसका कोई जवाब नहीं है।

Written By :  Preeti Mishra
Update:2023-09-14 08:43 IST

Kanpur Famous Dal Bati Chokha (Image: Social Media)

Kanpur Famous Dal Bati Chokha: बिहार का लिट्टी चोखा अब इंटरनेशनल हो चुका है। वहीँ राजस्थान का दाल-बाटी भी कम फेमस नहीं है। इन दोनों डिश का स्वाद अब आप भारत में कहीं भी ले सकते हैं। लेकिन अब एक ऐसी जगह है जहाँ इन दोनों डिश का फ्यूज़न मिलता है। इसको खाने के लिए आपको कानपुर आना पड़ेगा। यहाँ आपको ना लिट्टी चोखा मिलेगा ना दाल बाटी। बल्कि यहाँ आपको मिलेगा बिहारी स्टाइल दाल-बाटी-चोखा।

कहाँ मिलता है बिहारी स्टाइल दाल-बाटी-चोखा

अगर आपको कानपुर में बिहारी स्टाइल दाल-बाटी-चोखा खाना हो तो आपको आना होगा CSA रावतपुर के गेट नंबर तीन के पूर्वांचल दाल बाटी चोखा के फ़ूड स्टाल पर। यह फ़ूड स्टाल देखने में तो छोटा सा है लेकिन स्वाद के मामले में इसका कोई जवाब नहीं है। यहाँ पर आपको दाल-बाटी-चोखा के साथ दाल, चटनी, सलाद और भुनी हुई मिर्ची खाने को मिलता है।

क्या खास है इनके दाल-बाटी-चोखा में

इनकी बाटी सादी नहीं होती है बल्कि उसमे सत्तू भरा जाता है। सत्तू का मसाला बनाने के लिए उसमे अदरक, लहसुन, मिर्च, जीरा, अजवाइन, सौंफ, सरसो का तेल, भरवा मिर्च का अचार, काला नमक, निम्बू, और मंगरैल डाला जाता है। फिर इसको अच्छे से मिला कर लिट्टी में भरने के लिए सत्तू का मसाला तैयार कर लिया जाता है। बाटी को कंडे पर पकाया जाता है। यहाँ का चोखा भी लाजबाब होता है। यहाँ आलू और बैगन को मिक्स कर के चोखा बनाया जाता है। चोखे में टमाटर, और कभी-कभी सरसों का तेल भी मिलाया जाता है। उसके बाद उसे घी में डुबो कर चोखा, दाल, चटनी, मिर्च के साथ परोसा जाता है।

कब से खिला रहे हैं दाल-बाटी-चोखा

यहाँ के ओनर ने बताया कि उन्होंने लखनऊ में 1992 में बाटी-चोखा खिलाने की शुरुआत की थी। लखनऊ में उन्हें अच्छा रिस्पांस नहीं मिला। उसके बाद उन्होंने आगरा में अपना स्टॉल खोला। वहां उन्हें अच्छा रिस्पांस मिला। आगरा के बाद वो कानपुर चले आये। कानपुर में उनके चाहने वाले लोगों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती चली गयी। पूर्वांचल दाल बाटी चोखा पर दोपहर 12 बजे से लोगों की भीड़ लग जाती है और शाम पांच बजे तक यह सिलसिला चलता रहता है।

दाल बाटी चोखा खाने का सबसे बेहतर तरीका बाटी को टुकड़ों में तोड़कर दाल और चोखा में डूबा कर खाना होता है। कुरकुरी बाटी, स्वादिष्ट दाल और स्मोकी चोखा का संयोजन बनावट और स्वाद का एक आनंददायक मिश्रण बनाता है।

यह व्यंजन अपने समृद्ध स्वाद के लिए जाना जाता है, जिससे यह उन क्षेत्रों में विशेष अवसरों और त्योहारों के लिए एक लोकप्रिय विकल्प बन जाता है जहां यह आमतौर पर तैयार किया जाता है। जबकि परंपरागत रूप से घी के उपयोग और बाटी को पकाने की प्रक्रिया के कारण यह काफी कैलोरी से भरपूर व्यंजन है, कुछ विविधताओं में वसा की मात्रा को कम करने के लिए स्वस्थ खाना पकाने के तरीकों का उपयोग किया जा सकता है।

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