Kanpur Holi Celebration: कानपुर की होली होती है पूरी रंगभरी, जहां खाने के स्वाद के साथ ट्रेडिशनल भी होते है फॉलो
Kanpur Holi Celebration History: प्रदेश के कानपुर जिले में होली का उत्साह और उल्लास हमेशा हर साल पंचमी से शुरू होकर पूरे 7 दिन रहता है।
Holi Festival In Kanpur: उत्तर प्रदेश में होली का त्योहार बहुत ही उत्साह और धूमधाम से मनाया जाता है। यहां पर लोग होली के दिन रंगों के मेले में भाग लेते हैं, जहां वे एक-दूसरे पर रंग फेंकते हैं। लोग घरों में परिवार और मित्रों के साथ मिलते हैं, मिठाई खाते हैं और एक-दूसरे को गुलाल और अबीर से रंगते हैं। बड़े और विशेष रंगों के मेले भी आयोजित किए जाते हैं, जो त्योहार को और भी रंगीन बनाते हैं। प्रदेश के कानपुर जिले में होली का उत्साह और उल्लास हमेशा हर साल पंचमी से शुरू होकर पूरे 7 दिन रहता है। यह शहर रंगों, खाने के पकवानों और अपने अनूठे आकर्षण के साथ जीवंत हो उठता है। वे कहते हैं कि जो यहां हमेशा से होता रहा है वही होता है। हर साल उसी पुराने ढंग से होली मनाना थोड़ा उबाऊ हो सकता है। तो सेलिब्रेशन के लिए हर बार नई - नई थीम भी कॉलोनी और व्यवसायी लोग द्वारा आयोजित की जाती है।
कानपुर में 7 दिन खेली जाती है होली
कानपुर में होली का त्योहार पूरे 7 दिन लगातार खेली जाती है। इस सात दिन होली खेलने के पीछे ब्रिटिश शासन से जुड़ा इतिहास है। ब्रिटिश समय मैं बड़ी घटना के विरोध में शुरू हुई ये परंपरा वर्तमान में भी लोग मानते है।7 दिनों तक लगातार होली खेली जाती है। देश भर में होलिका दहन से शुरू और रंगोत्सव के साथ समाप्त हो जाने वाला ये त्योहार कानपुर शहर में पूरे सात दिन तक चलता है और गंगा मेला के दिन जाकर समाप्त होता है।
होली के बाद लगता है घाट पर भव्य मेला
कानपुरवासियों ने 24 और 25 मार्च को लगातार दो दिनों तक होली का त्योहार मनाया जायेगा। अब शहर ने 31 मार्च को होने वाले एक और भव्य रंगारंग गंगा मेला का भी आयोजन किया जायेगा। कानपुर शहर के सिविल लाइन्स में सरशैय्या घाट पर एक भव्य गंगा मेला भी लगता है। होली त्योहार के 7 दिन बाद लगने वाले इस मेले में शहर के अलग अलग कोने से लोग इकट्ठा होकर होली खेलते हैं। हटिया इलाके से बड़ी संख्या में लोग ढोल नगाड़ों, गाजे बजे के साथ रंग से खेलते हुए सरशैय्या घाट तक जाते हैं। अंग्रेजों के विरोध से शुरु हुई, ये परंपरा आज तक लगातार चली आ रही है।
82 साल पूर्व शुरू हुई क्रान्ति का प्रतीक है 7 दिन होली
कानपुर में आज से 82 साल पहले वर्ष 1942 में 7 दिन होली खेलने का दौर शुरू किया गया था। उस समय से कानपुर जिले में होली सात दिनों तक मनाई जाने लगी। कानपुर में होली के रंगों की धूम रंग पंचमी के दिन से शुरू होती है। गांव-गांव से लोग इकट्ठा होकर गंगा के तट पर एक-दूसरे को रंग लगाकर क्रांति की होली खेलने का प्रतीक है। प्रदेश के कानपुर जिले में 7 दिन होली खेलने के पीछे एक ऐतिहासिक घटना जुड़ी हुई है।
ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ छेड़ी थी जंग
वर्ष 1942 से पहले भारत के अन्य राज्यों और जगह के जैसे कानपुर में भी पूरे देश की तरह एक दिन की ही होली खेली जाती थी। लेकिन उस वर्ष होली में कुछ ऐसा हुआ की यहां के लोग 7 दिनों तक होली खेलने को परंपरा शुरू कर दी। ऐसा कहा जाता है कि वर्ष 1942 में ब्रिटिश सरकार ने होली खेलने पर बैन लगा दिया गया। व्यापारियों पर लगान बढ़ा दिया गया था। जिसके विरोध में जमींदारों ने जिले में जंग छेड़ दी थी। उसके बाद अंग्रेज कलेक्टर ने सभी विरोध कर रहे जमींदारों को पकड़कर जेल में डाल दिया। जिसके बाद ग्रामीण में आक्रोश ने भयंकर रूप ले लिया। जिससे ग्रामीण वालों ने अपने देश के लिए आजादी की जंग छेड़ दी। चारो तरफ प्रदर्शन करने शुरू कर दिए गए।
त्योहार के एकजुटता से जीता था अधिकार
जमींदारों की गिरफ्तारी पर उस समय में बड़े स्तर पर प्रदर्शन शुरू कर दिया गया था। पूरे शहर में भयंकर होली खेली गई। ग्रामीणों का कहना था कि जब तक ब्रिटिश बेगुनाह जमींदारों को नहीं छोड़ेंगे तब तक लगातार होली खेली जाएगी। प्रदर्शन से परेशान होकर अंत में अंग्रेज को हर मानना पड़ा, उन्होंने अपना फैसला वापस ले लिया। तब से कानपुर में होली 7 दिन खेली जाने लगी। प्रमुख बात एक यह भी है कि जहां पर यह सारा कुछ हुआ वह सराशैया घाट था। जहां पर गंगा मेले का आयोजन आज भी किया जाता है।