Hasanamba Temple Karnataka: साल में एक सप्ताह के लिए खुलता है कर्नाटक का ये मंदिर, जानें इससे जुड़े अनोखे रहस्य
Karnataka Hasanamba Temple History: भारत का दक्षिण इलाका अपने खूबसूरती और पौराणिक महत्व के लिए पहचाना जाता है। आज हम आपके यहां के एक मंदिर के बारे में बताते हैं।
Hasanamba Temple Karnataka : भारत में एक नहीं बल्कि ऐसे कई स्थान मौजूद है जो अपने चमत्कारों के लिए पहचाने जाते हैं। खास तौर पर यहां के जितने भी धार्मिक स्थान है वह अपने चमत्कारों और भक्तों की विश्वसनीयता की वजह से पहचाने जाते हैं। ऐसा ही एक मंदिर बेंगलुरु से 180 किलोमीटर दूर हसन में स्थित है जिसे हसनंबा मंदिर के नाम से पहचाना जाता है। यह मंदिर मां अंबा को समर्पित किया गया है और इसका निर्माण 12वीं सदी में किया गया था। यह माता को हसन की पीठासीन देवी के रूप में पूजा जाता है। इस मंदिर की कहानी खासियत है और इससे कई सारी कहानियां भी जुड़ी हुई है। इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि साल में एक बार केवल एक सप्ताह के लिए ही भक्तों के लिए खोला जाता है।
मंदिर की कहानी
पौराणिक कथाओं के अनुसार, बहुत पहले एक राक्षस, अंधकासुर था, जिसे कठोर तपस्या के बाद, ब्रह्मा से अदृश्य होने का वरदान प्राप्त हुआ। ऐसा वरदान पाकर उसने चारों ओर अत्याचार मचा दिया। ऐसे में भगवान शिव ने उसका अंत करने का बीड़ा उठाया। उसमें इतनी शक्ति थी कि जब शिव उन्हें मारने की कोशिश करते हैं, तो जमीन पर गिरती उसके खून की एक एक बूंद राक्षस बन जाती। तब भगवान शिव ने अपनी शक्तियों से योगेश्वरी देवी का निर्माण किया, जिन्हाेंने अंधकासुर का नाश कर दिया।
केवल 7 दिन होंगे दर्शन
इस मंदिर को दिवाली के दौरान भक्तों के लिए केवल 7 दिन के लिए खोला जाता है। यहां बालीपद्यमी उत्सव के तीन दिन बाद इसे बंद कर दिया जाता है। इस दौरान बड़ी संख्या में भक्त माता का आशीर्वाद लेने के लिए यहां पर पहुंचते हैं। मंदिर बंद होने पर यहां घी का दीपक जलाया जाता है। इसी के साथ गर्भगृह में फूल और पके हुए चावल का प्रसाद रखा जाता है।
सब कुछ रहता है ताजा
यहां जब मंदिर के पट बंद किए जाते हैं और फिर साल भर बाद वापस खोले जाते हैं तो माता का चमत्कार देखने को मिलता है। क्योंकि यहां माता के लिए जलाया गया दीपक उन्हें अर्पित किए गए फूल और प्रसाद बिल्कुल ताजा बने रहते हैं। दीपक पूरी तरह से जलता हुआ दिखाई देता है।