Kawad Yatra 2024: एक नहीं 4 तरह की होती है कावड़ यात्रा, जाने कैसे होते हैं उनके नियम

Types Of Kawad Yatra : सावन के महीने में कावड़ यात्रा का विशेष महत्व माना गया है। चलिए आज हम आपको कावड़ यात्रा के प्रकार और इसके नियम के बारे में बताते हैं।

Update:2024-07-19 15:50 IST

Types Of Kawad Yatra (Photos - Social Media)

Types Of Kawad Yatra : हिंदू धर्म में सावन के महीने को काफी महत्व दिया गया है। साल 2024 की बात करें तो 22 जुलाई से सावन का महीना शुरू हो रहा है। इस महीने में शिवजी की पूजन करने का विशेष महत्व माना गया है और कुछ लोग व्रत भी रखते हैं। महादेव को खुश करने के लिए सावन में कई तरह के उपाय भी कियाजाते हैं। कहीं भक्त इस दौरान कावड़ यात्रा करते हैं। जो लोग कावड़ यात्रा करते हैं उन्हें कांवड़िया कहा जाता है। सावन के महीने में लोग नंगे पैर भगवा वस्त्र धारण करें गंगा, शिप्रा, गोदावरी जैसी नदियों का जल लोटे में भरकर शिवलिंग का अभिषेक करते हैं। ऐसा कहा जाता है कि कावड़ यात्रा करने से जीवन में सुख शांति आती है। चलिए आज हम आपको उसके बारे में और इससे जुड़े नियमों के बारे में बताते हैं।

कावड़ यात्रा का महत्व (Importance Of Kavad Yatra)

कावड़ यात्रा इतनी खास क्यों है इसके पीछे एक वजह है। दरअसल इस यात्रा की शुरूआत भगवान शिव के परम भक्त परशुराम ने कीथी। एक मान्यता यह भी है कि श्रवण कुमार अपने अंधे माता-पिता की इच्छा पूरी करने के लिए कावड़ में बैठकर उन्हें हरिद्वार ले गए थे। लौटते समय वह गंगाजल लेकर आए थे और इसी जल्द से उन्होंने भोलेनाथ का जलाभिषेक किया था।

Types Of Kawad Yatra


कई प्रकार की होती है कावड़ यात्रा  (Many Types Of Kavad Yatra)

कावड़ यात्रा एक नहीं बल्कि चार तरह की होती है। हर कावड़ यात्रा के नियम भी अलग-अलग होते हैं। आप जिसकावड यात्रा के नियमों का पालन अच्छी तरह से कर सकते हैं आपको इस यात्रा को चुनना चाहिए।

सामान्य यात्रा - सामान्य कावड़ यात्रा के नियम बहुत ही सरल और सहज होते हैं। इसमें कावड़िया बीच रास्ते में कभी भी आराम कर सकता है और यात्रा फिर से शुरू कर सकता है। वैसे तो यही यात्रा पैदल की जाती है लेकिन लोग आजकल गाड़ियां लेकर जाते हैं और शिवलिंग पर जल अर्पित करते हैं। बिहार और झारखंड में इस तरह की कावड़ यात्रा प्रचलित है।

खड़ी कावड़ यात्रा - खड़ी कावड़ यात्रा थोड़ी मुश्किल होती है। इस यात्रा में लगातार चलना होता है और एक कावड़ के साथ दो से तीन कावड़िए होते हैं। जब एक व्यक्ति तक जाता है तो दूसरा व्यक्ति कावड़ लेकर चलता है। इस यात्रा में कावड़ को नीचे जमीन पर नहीं रखा जाता।

Types Of Kawad Yatra


डाक कावड़ यात्रा - यह यात्रा और मुश्किल है क्योंकि इसको नियमों का पालन करने के लिए बहुत मजबूत बनना पड़ता है। इसमें कावड़ को पीठ पर रखकर लगातार चलना पड़ता है। डाक कावड़ बिहार के सुल्तानगंज से देवघर जाते हैं। 24 घंटे के अंदर उन्हें देवघर के बाबा बैद्यनाथ धाम की शिवलिंग का अभिषेक करना होता है। ऐसा नहीं किया जाता तो यात्रा अधूरी मानी जाती है।

दांडी कावड़ यात्रा - इस यात्रा के दृश्य आपके बड़े-बड़े मंदिरों में देखने को मिले होंगे। इसे दंड प्रणाम कावड़ यात्रा भी कहते हैं और यह बहुत कठिन होती है। इसे पूरा करने में हफ्ते से महीने तक लगा सकते हैं। इस यात्रा में शिव भक्ति गंगा के घाट से शिव मंदिर तक दंडवत प्रणाम करते हुए जाते हैं। यानी भक्त जमीन पर लेकर हाथों सहित कुल लंबाई को मापते हुए आगेबढ़ाते हैं। इसमें यात्री जो है तो आराम कर सकते हैं या फिर लगातार चलते रह सकते हैं।

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