Kedarnath Dham Mandir: केदारनाथ की सुंदरता में लगेगा चार चांद, जब होगी 50 टन वजनीय ॐ की स्थापना

Kedarnath Dham Mandir: केदारनाथ मंदिर गर्भगृह में सोने की परत चढ़ाए जाने मंदिर के अंदर कलश व छत्र सोने का लगने के बाद अब धाम में पचास टन भारी ऊँ का स्थापना किया जा रहा। पचास टन भारी यह निशान टैक्टर के माध्मय से केदारनाथ धाम पहुंचाया गया।

Update: 2023-05-18 09:27 GMT
Kedarnath Temple

Kedarnath Dham: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट के तर्ज पर कई स्थानों के विकास कार्य पायलट प्रोजेक्ट की तरह पूरे किए जा रहे है। इन्ही ड्रीम प्रोजेक्ट में सर्व प्रथम है केदारनाथ पुनर्निर्माण। केदारनाथ पुनर्निर्माण के तहत दूसरे चरण के कार्य चल रहे है। चिनूक हेलिकॉप्टर बीते रविवार को गौचर हवाई पट्टी पर पहुंच चुका था। चिनूक द्वारा दो डंपर, एक पोकलैंड, पुल बनाने के पाइल मशीन सहित अन्य निर्माण सामग्री पहुंचाई जाएगी। एरिया के ने बताया कि पुनर्निर्माण के दूसरे चरण के अधिकांश कार्य इस वर्ष पूरे करने का लक्ष्य रखा गया है।

ओम की स्थापना

केदारनाथ मंदिर की खूबसूरती में चार चांद लगाया जा रहा है। मंदिर में चबूतरे के पास पचास टन का 'ऊँ' का निशान स्थापित किया जा रहा है। इसका ट्रायल कार्य बीते दिन किया गया था। अनुमान लगाया जा रहा है कि लगभग दो सप्ताह के अंदर यह ओम का प्रारूप पूरी तरह स्थान पर फिट कर दिया जाएगा।

आठवीं शताब्दी में बना यह बाबा केदारनाथ का मंदिर आपदाओं का सामना करने के बाद भी ज्यों का त्यों है। इसकी भव्यता को निखारने का काम किया जाता रहता है। केदारनाथ मंदिर में पहले इसके गर्भगृह में सोने की परत चढ़ा कर इसे और दिव्य बनाया गया। फिर मंदिर के अंदर कलश व छत्र सोने का लगने के बाद अब धाम में पचास टन भारी ऊँ का निशान लगाया जा रहा है। इसके लिए काम भी जोर शोर में शुरू हो गया है।

तांबा व पीतल मिलाकर बना है यह भव्य ओम

यह ओम का पचास टन भारी निशान टैक्टर के माध्मय से केदारनाथ धाम तक ले जाया गया है। एक दर्जन से अधिक टुकड़ों को जोड़कर इसको बनाया गया है। लोक निर्माण विभाग ने इसका ट्रायल कार्य देख लिया है। यह केदारनाथ मंदिर से लगभग 200 मीटर दूरी पर मंदिर के चबूतरे पर लगाया जा रहा है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, इसे तांबा व पीतल मिलाकर बनाया गया है। इसका विशेष पदार्थ जर्मनी से मंगवाया गया है। ऊँ का यह निशान केदारनाथ बाबा के दर्शन के लिए आए भक्तों को काफी आकर्षित करेगा। पब्लिक वर्क्स डिपार्टमेंट के एक्जीक्यूटिव इंजीनियर जितेन्द्र झिंकवाण ने बताया कि ऊँ के निशान को लगाने के लिए ट्रायल लिया गया है। जो पूरी तरह सफल रहा, लगभग दो से तीन सप्ताह में यह चिन्ह जगह पर लगा दिया जाएगा। यहा काफी आकर्षण का केंद्र रहेगा।

केदारनाथ बाबा के पहले ईशानेश्वर महादेव को लगाते है भोग

केदारनाथ आपदा के नौ वर्ष बाद भगवान के शिव आराध्य गुरू ईशानेश्वर का मन्दिर भी बनकर तैयार हो जाएगा। इस मंदिर में अंतिम दौर का कार्य चल रहा है इसी महीने के अंत तक कार्य पूरा होने की उम्मीद है। आपदा के बाद से भगवान की मूर्तियों की पूजा अर्चना तो शुरू हो गई थी, लेकिन भगवान को आवास नहीं मिला था। खुले आसमान के नीचे ही पूजा अर्चना की जा रही थी। बाबा केदार की पूजा-अर्चना व भोग से पहले ईशानेश्वर महादेव की अराधना कर भोग लगाने की परम्परा है। सुख-समृद्धि और वैभव का प्रतीक भी माना जाता है। केदारनाथ धाम में स्थित ईशानेश्वर मंदिर प्राचीन मंदिर है। विश्व प्रसिद्ध धाम केदारनाथ धाम का मंदिर का निर्माण पाण्डवों ने किया था।

क्यों बना था यह मंदिर?

ऐसी परपंरा है कि जैसे घर बनाने के लिए जब नींव डाली जाती है तो उसके पहले ईशान दिशा में वास्तु पूजन किया जाता है, वैसे ही केदारनाथ मंदिर निर्माण से पहले ईशान कोण में ईशानेश्वर महादेव का मंदिर बनाया गया था। आज भी परम्पराओं के अनुसार हर दिन केदारनाथ मंदिर की पूजा अर्चना से पहले ईशानेश्वर महादेव में पूजा की जाती है, हालांकि, साल 2013 की बादल फटने की आपदा में मंदिर मलबे से ध्वस्त हो गया था। लेकिन अब मंदिर का निर्माण अंतिम दौर में पहुंच चुका है। इसी महीने मंदिर का कार्य पूरा कर लिया जाएगा, पत्थरों का तराशा जा रहा है। लगभग एक करोड़ की लागत से इस मंदिर का पुनर्निर्माण किया जा रहा है।

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