Kodinhi Twins Village History: इस अनोखे गांव में प्रति 1000 बच्चों में से 45 बच्चे जन्म लेते हैं जुड़वां, जानिए क्या है वजह
Kodinhi Twins Village History: इस गांव में प्रवेश करते ही आपको हर कदम पर हमशक्ल दिखाई देंगे। अपनी इस विशेष पहचान के चलते अब इस गांव को जुड़वा लोगों का गांव कहा जाने लगा है।
Kodinhi Twin Village History: भारत में एक ऐसा अनोखा गांव जहां भाई के साथ एक भाई, या फिर बहन के साथ एक बहन या यूं भी कह लीजिए कि एक भाई एक बहन अपना अकेलापन दूर करने और साथ में मिलकर खेलने कूदने के लिए अपनी मां की कोख से ही जोड़े में जन्म लेते हैं। इसे महज इत्तेफाक समझने की भूल मत करिएगा बल्कि जुड़वां बच्चों का जन्म अब यहां का चलन बन चुका है। भारत में मौजूद यह ऐसा गांव है, जो दुनियाभर में अपनी इसी खूबी के चलते काफी चर्चित है। इस गांव में प्रवेश करते ही आपको हर कदम पर हमशक्ल दिखाई देंगे। अपनी इस विशेष पहचान के चलते अब इस गांव को जुड़वा लोगों का गांव कहा जाने लगा है। यहां लगभग हर घर में आपको जुड़वा बच्चे या फिर वयस्क मिल जाएंगे। एक रिपोर्ट के अनुसार दुनिया में एक हजार में से 9 जुड़वा बच्चे पैदा होते हैं, वहीं भारत के इस गांव में 1000 बच्चों में से 45 बच्चे जुड़वा जन्म लेते हैं। वैज्ञानिकों भी अब तक इस विषय पर रिसर्च करने के बाद कोई मजबूत तर्क नहीं पेश कर सके हैं।
अब तक पैदा हो चुके हैं सैकड़ों जुड़वा बच्चे
केरल के मलप्पुरम जिले के कोडिन्ही गांव में अब तक सैकड़ों जुड़वा बच्चे जन्म ले चुके हैं। यहां आपको हर घर में हमशक्ल मिल जाएंगे। एक रिपोर्ट के मुताबिक, यहां पर 2000 परिवार में 550 जुड़वा बच्चे और बड़े निवास करते हैं। नवजात बच्चे से लेकर 65 साल के बुजुर्ग तक के हमशक्लों से भरे इस गांव में आना भी एक अजूबा सा लगता है। पहली बार साल 2008 में इस गांव के 280 जुड़वा बच्चों की लिस्ट सामने आई थी। इसके बाद यह गांव चर्चा में आ गया था। दुनियाभर से लोग इस अजूबे को देखने के लिए इस गांव में घूमने जाते हैं।
इस तरह सामने आई यह अनोखी बात
इस गांव के लोगों को लंबे वक्त तक इस अनोखी बात के बारे में पता ही नहीं था। गांव वालों ने इस ओर कभी ध्यान ही नहीं दिया था। लेकिन कुछ साल पहले गांव की दो जुड़वा बहनों समीरा और फेमिना ने अपनी क्लास में नोटिस किया कि वहां 8 जोड़े जुड़वा बच्चे हैं। इसके बाद उन्होंने स्कूल की अन्य क्लास के बच्चों पर गौर किया। उन्होंने पाया कि सभी क्लास में जुड़वा बच्चे थे। उन्होंने अपने दोस्तों के साथ मिलकर स्कूल असाइनमेंट में इसी टॉपिक पर काम किया। इसके बाद पता चला कि उनके स्कूल में 24 जोड़े जुड़वा बच्चे थे। दो बहनों की इस खोज पर धीरे-धीरे गांव वालों ने गौर किया। यहां आपको एक बोर्ड दिखेगा, जिस पर लिखा है- ’भगवान के जुड़वां गांव में आपका स्वागत है- कोडिन्ही।
रिपोर्ट्स के अनुसार, 2008 में, लगभग 300 महिलाओं ने यहां स्वस्थ बच्चों को जन्म दिया। इनमें से 15 जोड़े जुड़वा बच्चे पैदा हुए। इसके बाद हर गुजरते साल के साथ जुड़वा बच्चों की संख्या बढ़ रही है। गांव वाले बताते हैं कि इस गांव में जुड़वा बच्चे पैदा होने का सिलसिला करीब तीन पीढ़ी पहले शुरू हुआ था।
जुड़वा बच्चों और उनके परिवारों की सहायता के लिए हुई ट्विन्स एंड किन एसोसिएशन की स्थापना
जुड़वा बच्चों से भरे इस गांव को अब ट्विन टाउन के नाम से जाना जाता है। जिसका वास्तविक नाम कोडिन्ही गांव है। इस जगह के जुड़वा बच्चों और उनके परिवारों के सामने आने वाली चुनौतियों से निपटने और जुड़वा बच्चों के रजिस्ट्रेशन और उन्हें सहायता प्रदान करने के लिए ट्विन्स एंड किन एसोसिएशन की स्थापना भी की गई है। जुड़वा बच्चों को पालन पोषण और उन पर खर्च होने वाली लागत की व्यवस्था और बच्चों की मां के लिए उन्हें पालने के लिए शारीरिक रूप से कठिन काम साबित होता है, इसलिए ये एसोसिएशन ग्रामीणों को शिक्षित करने और उनकी हर प्रकार से मदद करने को तैयार रहता है।
वैज्ञानिक कर रहे इस पर रिसर्च
लगातार जुड़वा बच्चों के पैदा होने जैसे हैरतअंगेज विषय पर केरल के डॉक्टर कृष्णन श्रीबिजू कई सालों से रिसर्च कर रहें हैं। इस बारे में डॉ बीजू का कहना है कि गांव में इस तरह का बदलाव 60 से 70 साल पहले के करीब शुरू हुआ था। उनका मानना है कि गांववासियों के खानपीन से इस घटना का काई लेना देना नहीं है।पिछले 10 साल में कोडिन्ही में जुड़वा बच्चों की संख्या दोगुनी हो गई है।
इसके अलावा 2016 में यहां भारत, लंदन और जर्मनी के शोधकर्ताओं के एक समूह ने भी इस आश्चर्यजनक विषय पर रिसर्च की। जिसके लिए मेडिकल साइंस का सहारा लिया गया। वैज्ञानिकों ने गांव वालों का डीएनए सैंपल लिया। इसके लिए उन्होंने ग्रामीणों के बाल और स्लाइवा के सैंपल इकट्ठा किए। लेकिन अब तक किए गए इन सारे रिसर्च के बावजूद भी वैज्ञानिक जुड़वा बच्चों के जन्म के पीछे की मिस्ट्री को खंगालने में असमर्थ रहें हैं।
जुड़वा बच्चे होने की संभावना बढ़ने के बारे में बातें
जुड़वा बच्चे तब हो सकते हैं, जब दो अलग-अलग अंडे गर्भ में फर्टिलाइज हो जाएं, या फिर जब एक फर्टिलाइज्ड एग दो भ्रूण में बंट जाए। सीडीस के अनुसार, पिछले 40 वर्षों में जुड़वां बच्चों का जन्म लगभग दोगुना हो गया है। कुल मिलाकर ऐसे मामले आम होते जा रहे हैं।
अमेरिकन कॉलेज ऑफ़ ऑब्स्टेट्रिक्स एंड गायनोकोलॉजी के मुताबिक, जिन महिलाओं का बॉडी मास इंडेक्स 30 या उससे ज़्यादा है, उनमें जुड़वा बच्चे होने की संभावना ज़्यादा होती है। सीडीस के मुताबिक, 20 साल से कम उम्र की महिलाओं की तुलना में, 30 से 39 साल की उम्र की महिलाओं में जुड़वा बच्चे होने की संभावना दोगुनी होती है।