Tourism: ग्रेटर नोएडा के पास मौजूद इस गांव में हुआ था रावण का जन्म, यहां दशहरे पर बनता है मातम
Bisrakh Village Where Ravana Born: जब भी रावण की बात निकलती है तो लोगों को श्रीलंका की याद आती है। लेकिन आपको बता दें कि रावण का जन्म स्थान ग्रेटर नोएडा के पास स्थित एक गांव हैं।
Bisrakh Village Where Ravana Born : उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्ध नगर में ग्रेटर नोएडा से करीबन 15 किमी दूर बसा बिसरख गांव है, जिसे रावण के गांव के रूप में जाना जाता है। कहते हैं कि इसी जगह पर लंकेश का जन्म हुआ था। यही वजह है कि यहां पर न तो दशहरा मनाया जाता है और न ही रावण के पुतले को जलाया जाता है। ऐसा भी कहते हैं कि कई दशक पहले जब इस गांव के लोगों ने रावण के पुतले को जलाया था तो यहां कई लोगों की मौत हो गई थी। जिसके बाद गांव के लोगों ने मंत्रोच्चारण के साथ रावण की पूजा की तब जाकर यहां शांति हुई थी। अब ये बात कितनी सच है, ये तो हम नहीं कह सकते, लेकिन हां इस गांव में दशहरा नहीं मनाया जाता है।
यहां हुआ था रावण का जन्म (Ravana Was Born Here)
धार्मिक ग्रंथों के मुताबिक, रावण का जन्म उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा ज़िले के बिसरख गांव में हुआ था. ऐसा माना जाता है कि इस गांव का नाम रावण के पिता विश्रवा ऋषि के नाम पर पड़ा था. विश्रवा ऋषि यहां रोज़ पूजा करने आते थे और उनके बेटे रावण का जन्म भी यहीं हुआ था. बिसरख में ही रावण ने शिक्षा भी हासिल की थी. यहां एक अष्टभुजीय शिवलिंग भी हैI हालांकि, कुछ और मान्यताओं के मुताबिक, रावण का जन्म लंका में हुआ था, जो आजकल श्रीलंका के पास है. वैदिक साहित्य और पुराणों के मुताबिक, रावण राक्षस राजा विश्रावसु और केकसी के पुत्र थे. जन्मकुंडली के मुताबिक, उनका जन्म चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष की नवमी को हुआ था. एक मान्यता के मुताबिक, रावण का जन्म नेपाल के म्याग्दी ज़िले में भी हुआ था I
दशहरा के दिन बिसरख में मनाया जाता है मातम (Mourning is Celebrated in Bisrakh on The Day of Dussehra)
यही नहीं, इस गांव में रावण के बाद कुंभकरण, सूर्पणखा और विभीषण ने भी जन्म लिया था। यही वजह है कि जब पूरे देश में श्री राम की जीत की खुशियां मन रही होती है, तो वहीं इस गांव में रावण की मौत का भी शौक मनाया जाता है। दशहरा के दिन यहां लोग मातम मनाते हैं।
रामलीला शुरू हुई, तो गांव में हुई लोगों की मौत (When Ramlila Started, People Died in The Village)
ऐसा कहते हैं कि गांव के लोगों ने यहां दो बार रामलीला का आयोजन किया था और रावण दहन भी यही किया गया था। लेकिन दोनों बार रामलीला के समय किसी न किसी मौत हो गई। इसलिए यहां कभी रावण दहन नहीं होता। अब बिसरख की आत्मा की शांति के लिए हवन किया जाता है। और तो और, नवरात्रि के दौरान शिवलिंग पर बलि पर चढ़ती है।
बिसरख में रावण ने प्राप्त की शिक्षा (Ravana Received Education in Bisrakh)
बिसरख रावण के पिता विश्रवा ऋषि का गांव हुआ करता था। उन्हीं के नाम पर इस जगह का नाम बिसरख पड़ा था। विश्व ऋषि यहां रोज पूजा करने के लिए आया करते थे। उनके बेटे रावण का जन्म भी यही हुआ था। इसके अलावा, पूरे देश में बिसरख एक ऐसी जगह है, जहां अष्टभुजीय शिवलिंग स्थित है। यही रावण ने अपनी शिक्षा भी प्राप्त की थी।